पलामू: विभिन्न हादसों में सरकारी स्कूल के बच्चों की जान जा रही है. पिछले एक वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो 6 से अधिक बच्चों की मौत हादसे में हो चुकी है.ये हादसा सरकारी स्कूल के बच्चों के साथ हुआ जिनकी तालाब, अन्य जलश्रोत में डूबकर या सड़क हादसों में मौत हो गई. ये बच्चे जिन स्कूलों के थे उनमें अधिकतर में चहारदीवारी नहीं है. पलामू में फिलहाल 2691 सरकारी स्कूल संचालित है.
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सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कई बिंदुओं पर पहल की जा रही है. पलामू में सरकारी स्कूलों की चहारदीवारी और फेंसिंग की योजना तैयार की गई है. पलामू के कई ऐसा कई बार हुआ है कि सरकारी स्कूल के बच्चे स्कूल टाइम में बाहर निकले और हादसे का शिकार हो गए.
1400 से अधिक स्कूलों में चहारदीवारी नहीं: दो महीने पहले पलामू के पिपरा थाना क्षेत्र से स्कूल के समय ही एक तालाब में नहाने के लिए दो बच्चे चले गए. जहां दोनों की डूबकर मौत हो गई थी. वहीं कुछ महीने पहले पलामू के चैनपुर थाना क्षेत्र के महूगांवा में स्कूल का एक बच्चा बाहर निकाला और उसकी भी डूबकर मौत हो गई थी. कुछ दिनों पहले पलामू के रामगढ़ थाना क्षेत्र में भी एक बच्ची की डूबकर मौत हो गई थी. पलामू के चैनपुर थाना क्षेत्र में स्कूल से बाहर निकालने के बाद छात्र हादसे का शिकार हो गए थे और गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे. पलामू में 2691 सरकारी स्कूल संचालित हैं. जिनमें तीन लाख से भी अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं. ग्रामीण इलाके में मौजूद 1400 से अधिक स्कूलों की चहारदीवारी नहीं है.
पलामू डीसी शशिरंजन ने क्या कहा: पलामू डीसी शशिरंजन ने बताया कि स्कूल का डिमार्केशन जरूरी है. डीसी ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है, इस पर पहल की जाएगी. डीसी ने कहा कि स्कूलों में खेल के मैदान के साथ साथ कई बिंदुओं पर कार्य किया जा रहा है. हाई स्कूलों को पहले चरण में चहारदीवारी से घेराबंदी की जाएगी, अगर चहारदीवारी संभव नहीं हो तो स्कूलों की फेंसिंग की जाएगी. स्कूलों में कई आधारभूत संरचनाओं को बढ़ाने की पहल की जा रही है.