पलामूः अभी ब्याहने की क्या जरूरत, थोड़ा लिख पढ़ जाने दो. प्रेम और ममता की मूरत, पूरी तो गढ़ जाने दो. यह कविता समाज के उस बुरी प्रथा को रोकने की बात करता है जिसे हम बाल विवाह कहते हैं. राजधानी से करीब 165 किलोमीटर दूर पलामू के कई इलाकों में अभी भी बाल विवाह की प्रथा कायम है. 2019 के मार्च से लेकर मई महीने तक10 बाल विवाह के मामले सामने आए. जिसमें से 9 शादी को प्रशासन ने रुकवाया है. जबकि एक मामले में परिजनों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है.
जानकारी के अनुसार पलामू में बाल विवाह को रोकने के लिए बाल संरक्षण आयोग ने टीम का गठन किया है. हर प्रखंड में संबंधित प्रखंड के बीडीओ को नोडल अधिकारी बनाया गया है. बाल संरक्षण आयोग की सक्रियता से 9 विवाह को अब तक रोका गया है. जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी बताते है कि पलामू के चैनपुर और छत्तरपुर में अधिकतर मामले सामने आए हैं. जिन्हें रोका गया है. सूचना मिलने के बाद टीम कार्रवाई करती है. उन्होंने बताया कि सूचना खुल कर सामने नहीं आ रही है. बाल विवाह को रोकने के लिए जिले में 2600 से अधिक बाल संरक्षण टीम बनाई गई है.
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बता दें कि छत्तरपुर में कुछ महीनें पहले जनप्रतिनधि की मौजूदगी में बाल विवाह हुई थी. मामले में जनप्रतिनिधियों की गिरफ्तारी भी हुई थी. जिस तबके के लोग अधिकतर बाल विवाह कर रहे है, वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं. पलामू देश के पिछड़े जिलों की सूची में शामिल है. जबकि पलामू की साक्षरता दर 65.5 फीसदी है.