पाकुड़: जिले के तकरीबन 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मुहैया कराने वाला पत्थर उद्योग कोरोना वायरस की जद में आ गया है. यही वजह है की पत्थर कारोबार से जुड़े पत्थर खदान और ट्रक मालिक हों या मजदूर, गैरेज और पार्ट्स की दुकान चलाने वाले दुकानदार सभी लॉकडाउन के दौरान दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं.
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काले पत्थर के लिए प्रसिद्ध है पाकुड़
झारखंड राज्य का पाकुड़ जिला एशिया महादेश में काले पत्थर के लिए प्रसिद्ध है. यह वही पाकुड़ जिला है जहां के पत्थर न केवल देश के दूसरे राज्यों बल्कि निकटवर्ती बांग्लादेश भी जाता है, लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद से यह कारोबार पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. मजदूर ही नहीं, बल्कि इस व्यवसाय से जुड़े लोग भी लाचार और बेबस हो गए हैं. जिला प्रशासन और खनन विभाग पत्थर खदानों और क्रशर मशीनों का संचालन करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. लेकिन निकटवर्ती बिहार और पश्चिम बंगाल दो राज्यों के शासन प्रशासन में बैठे लोग सड़क मार्ग से पत्थरों की ढुलाई नहीं होने दे रहे जिसका खामियाजा जिले के लगभग 50 हजार लोग भुगत रहे हैं.
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पत्थरों का कारोबार पूरी तरह ठप
पाकुड़ जिले में सिर्फ मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग के ही पत्थर व्यवसायी मालगाड़ियों से पत्थरों का प्रेषण कर रहे हैं. जिले का मालपहाड़ी क्षेत्र एक ही नहीं बल्कि पीपलजोड़ी, राजबांध, कान्हूपुर, चेंगाडांगा, सुंदरापहाड़ी, सीतपहाड़ी, फतेहपुर, मानसिंहपुर, वीरग्राम, कालिदासपुर, मालीपाड़ा, रद्दीपुर, चांदपुर, गोलपुर, खकसा, सुंदरापहाड़ी आदि क्षेत्रों में लॉकडाउन लागू होने के बाद से पत्थरों का उत्खनन और प्रेषण पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. सरकार को तो राजस्व का घाटा उठाना पड़ ही रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान यदि किसी का हो रहा है तो वह है मजदूर वर्ग.
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सामने बड़ी समस्या
रमजान का महीना है और पत्थर व्यवसाय से ही नहीं बल्कि मजदूरों का एक सबसे बड़ा तबका इस्लाम धर्म को मानने वाला है, जिसके सामने त्योहार भी. ऐसे में इनके सामने बड़ी समस्या है. इस मामले में जिला खनन पदाधिकारी उत्तम कुमार विश्वास ने बताया कि पत्थर व्यवसायियों को गृह मंत्रालय के जारी गाइडलाइन की जानकारी देने के साथ खदानों और क्रशरों में काम करने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, लॉगडाउन का अनुपालन के साथ मजदूरों को मास्क, सेनेटाइजर उपलब्ध कराने की शर्तों की जानकारी दी गई है. श्विश्वास ने बताया कि रेलवे साइडिंग में और कुछ खदानों में काम शुरू होने की जानकारी मिली है. डीएमओ ने कहा कि सड़क मार्ग से पत्थरों का परिवहन नहीं होने को लेकर किसी भी व्यवसायी ने जानकारी नहीं दी है.