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217 करोड़ की ग्रामीण जलापूर्ति योजना की गति धीमी ग्रामीणों की हो रही दुर्गति, जानिए क्या है मामला

पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के 304 गांवों में रहने वाले आदिवासी, पहाड़िया एवं अन्य समुदाय के लोगो के घर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने वाली 217 करोड़ की ग्रामीण जलापूर्ति योजना की गति काफी धीमी है. नतीजतन ग्रामीणों को पीने का पानी लेने के लिए दुर्गति झेलनी पड़ रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है शासन और प्रशासन इस योजना को महत्वपूर्ण योजना जरूर मान रहा लेकिन इसके क्रियान्वयन और समय पर पूरा कराने के मामले में विशेष ध्यान नही दे रहा.

villagers are upset with the slow pace of water supply scheme in pakur
ग्रामीण जलापूर्ति योजना
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Published : Oct 17, 2020, 3:47 PM IST

पाकुड़: जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के 304 गांवों में रहने वाले आदिवासी, पहाड़िया एवं अन्य समुदाय को साफ पीने पानी देने के लिए योजना शुरू कराई गई. 217 करोड़ की ग्रामीण जलापूर्ति योजना की गति इतनी धीमी है कि इसका खामियाजा यहां के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

कंपनी कर रही लेट-लतीफी

शासन और प्रशासन की लापरवाही एवं योजना के संवेदक मेसर्स टहल कंसल्टिंग इंजीनियर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की लेट लतीफी कर रही है. जिससे यहां की ग्रामीण महिलाओं को दुर्गम क्षेत्रों एवं पहाड़ों पर रहने वाले ग्रामीणों को बरसात के इस मौसम में भी पीने का पानी के लिए झाड़ियों जंगलों से गुजरते हुए झरना कुंआ और नदियों का पानी लेने को मजबुर होना पड़ रहा है. योजना के संवेदक की ओर से ग्रामीण इलाकों में रखे गये पाइप और अधुरे पड़े चेकडेम, इंटेकवेल, सम्प, टंकी ग्रामीणों को मुह चिढ़ा रहा है. जिस गति से लिट्टीपाड़ा वृहत ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम चल रहा है. शायद ही आने वाले एक साल के अंदर इसका काम पूरा हो सके और यह अपने उद्वेश्य में सफल हो पाये.


40 फीसदी भी नहीं हुआ काम

जिला के सबसे पिछड़े लिट्टीपाड़ा प्रखंड के आदिम जनजाति पहाड़िया ग्रामीणों की मांग पर तत्कालिन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने शासनकाल में 217 की लिट्टीपाड़ा वृहत ग्रामीण जलापूर्ति योजना की स्वीकृति दी. निविदा निकाली गयी और इस योजना को पूर्ण कराने की जिम्मेदारी मेसर्स टहल कंसल्टिंग इंजीनियर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दी गयी. टहल कंपनी ने पेयजल स्वच्छता विभाग के साथ 159 करोड़ रुपये का इकरारनामा किया और काम भी चालू किया गया. लेकिन इस महत्वपूर्ण योजना की की प्रगति 40 फीसदी भी नहीं हो पायी है. योजना को मार्च 2020 तक पूर्ण कराया जाना था.

विभाग ने दी कोविड-19 की दलील

विभाग का यह तर्क है कि कोविड 19 के चलते कई महिने तक काम बंद रह गये जिसके चलते निर्धारित समय के अंदर कार्य को पूरा नही किया जा सका. जबकि लाभाविंत होने वाले गांव के ग्रामीणो, पंचायत प्रतिनिधियों का मानना है कि इस कार्य को पूरा कराने में ना तो संवेदक और ना ही विभाग दिलचस्पी ले रहा. अगर संवेदक और विभाग दोनो मिलकर इमानदारी पूर्वक प्रयास करते तो यह योजना पूर्ण हो जाती और लोगो के घर-घर पीने का पानी अबतक जरूर पहुंच गया होता.

इसे भी पढ़ें- पाकुड़ में जिला परिषद की बैठक, कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का लिया गया निर्णय

डीसी ने लिया संज्ञान

लिट्टीपाड़ा वृहत ग्रामीण जलापूर्ति योजना का कार्य धीमी प्रगति को लेकर डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि कार्य अपेक्षाकृत कम हुआ है और इसकी समीक्षा की गयी है. डीसी ने कहा कि पथ निर्माण विभाग से एनओसी लेना था जिस कारण कार्य में विलंब हुआ है. डीसी ने कहा कि विभागीय अधिकारी और संवेदक को निर्देश दिया गया कि जल्द कार्य को पूरा करें ताकि लोगो के घरों में शुद्ध पेयजल मिल सके.

मंत्री ने भी दिया आश्वासन
वहीं राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि जल्द ही 20 सूत्री प्रस्ताव बनाया जाएगा और विगत दिनों जो भी बड़ी योजनाएं ली गयी है उसकी समीक्षा की जाएगी और कार्य तेज गति से निष्पादन कराया जाएगा. मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है राज्य के सभी गांव और मोहल्लों में 2024 तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना है.

पाकुड़: जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के 304 गांवों में रहने वाले आदिवासी, पहाड़िया एवं अन्य समुदाय को साफ पीने पानी देने के लिए योजना शुरू कराई गई. 217 करोड़ की ग्रामीण जलापूर्ति योजना की गति इतनी धीमी है कि इसका खामियाजा यहां के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.

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कंपनी कर रही लेट-लतीफी

शासन और प्रशासन की लापरवाही एवं योजना के संवेदक मेसर्स टहल कंसल्टिंग इंजीनियर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की लेट लतीफी कर रही है. जिससे यहां की ग्रामीण महिलाओं को दुर्गम क्षेत्रों एवं पहाड़ों पर रहने वाले ग्रामीणों को बरसात के इस मौसम में भी पीने का पानी के लिए झाड़ियों जंगलों से गुजरते हुए झरना कुंआ और नदियों का पानी लेने को मजबुर होना पड़ रहा है. योजना के संवेदक की ओर से ग्रामीण इलाकों में रखे गये पाइप और अधुरे पड़े चेकडेम, इंटेकवेल, सम्प, टंकी ग्रामीणों को मुह चिढ़ा रहा है. जिस गति से लिट्टीपाड़ा वृहत ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम चल रहा है. शायद ही आने वाले एक साल के अंदर इसका काम पूरा हो सके और यह अपने उद्वेश्य में सफल हो पाये.


40 फीसदी भी नहीं हुआ काम

जिला के सबसे पिछड़े लिट्टीपाड़ा प्रखंड के आदिम जनजाति पहाड़िया ग्रामीणों की मांग पर तत्कालिन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने शासनकाल में 217 की लिट्टीपाड़ा वृहत ग्रामीण जलापूर्ति योजना की स्वीकृति दी. निविदा निकाली गयी और इस योजना को पूर्ण कराने की जिम्मेदारी मेसर्स टहल कंसल्टिंग इंजीनियर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दी गयी. टहल कंपनी ने पेयजल स्वच्छता विभाग के साथ 159 करोड़ रुपये का इकरारनामा किया और काम भी चालू किया गया. लेकिन इस महत्वपूर्ण योजना की की प्रगति 40 फीसदी भी नहीं हो पायी है. योजना को मार्च 2020 तक पूर्ण कराया जाना था.

विभाग ने दी कोविड-19 की दलील

विभाग का यह तर्क है कि कोविड 19 के चलते कई महिने तक काम बंद रह गये जिसके चलते निर्धारित समय के अंदर कार्य को पूरा नही किया जा सका. जबकि लाभाविंत होने वाले गांव के ग्रामीणो, पंचायत प्रतिनिधियों का मानना है कि इस कार्य को पूरा कराने में ना तो संवेदक और ना ही विभाग दिलचस्पी ले रहा. अगर संवेदक और विभाग दोनो मिलकर इमानदारी पूर्वक प्रयास करते तो यह योजना पूर्ण हो जाती और लोगो के घर-घर पीने का पानी अबतक जरूर पहुंच गया होता.

इसे भी पढ़ें- पाकुड़ में जिला परिषद की बैठक, कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का लिया गया निर्णय

डीसी ने लिया संज्ञान

लिट्टीपाड़ा वृहत ग्रामीण जलापूर्ति योजना का कार्य धीमी प्रगति को लेकर डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि कार्य अपेक्षाकृत कम हुआ है और इसकी समीक्षा की गयी है. डीसी ने कहा कि पथ निर्माण विभाग से एनओसी लेना था जिस कारण कार्य में विलंब हुआ है. डीसी ने कहा कि विभागीय अधिकारी और संवेदक को निर्देश दिया गया कि जल्द कार्य को पूरा करें ताकि लोगो के घरों में शुद्ध पेयजल मिल सके.

मंत्री ने भी दिया आश्वासन
वहीं राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि जल्द ही 20 सूत्री प्रस्ताव बनाया जाएगा और विगत दिनों जो भी बड़ी योजनाएं ली गयी है उसकी समीक्षा की जाएगी और कार्य तेज गति से निष्पादन कराया जाएगा. मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है राज्य के सभी गांव और मोहल्लों में 2024 तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना है.

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