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पंक्चर मिस्त्री का देसी जुगाड़, घर बैठे बनाई इलेक्ट्रिक साइकिल

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए खींची गई लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा से देश में कोरोना संक्रमण तो कम हुआ ही साथ ही अन्य फायदे भी हुए हैं. मिसाल के लिए हैं पाकुड़ के गुलजार खान. पेशे से तो गुलजार पंक्चर बनाने का काम करते हैं. लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान बैट्री से चलने वाली साइकिल बनाई है. गुलजार ने बताया इसे बनाने में 24 हजार खर्च हुए हैं.

Puncher mechanic made electric bicycle
पंक्चर मिस्त्री का देसी जुगाड़
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Published : Jun 10, 2020, 7:10 AM IST

Updated : Jun 10, 2020, 11:00 AM IST

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था. वहीं अब कुछ सुधार होने के बाद अनलॉक वन लागू किया गया है. इस दौरान जहां लोग पेट भरने और कारोबार के लिए दिन रात एक किए हुए हैं. तो वहीं पंक्चर बनाने वाले गुलजार खान के आविष्कार ने ऐसा चमत्कार कर दिया है कि लोग उसकी वाह-वाही करते नहीं थक रहे.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

गुलजार ने साइकिल और मोटरसाइकिल के पार्ट्स को मिलाकर बैटरी चालित साइकिल बनाई है. लॉकडाउन में गुलजार की पंक्चर दुकान बंद पड़ी थी तो इस समय का सही इस्तेमाल करते हुए गुलजार ने अपने हुनर के दम पर, साइकिल के हैंडल, बॉडी और मोटरसाइकिल के टायर, बैटरी और अन्य सामानों से इलेक्ट्रिक साइकिल बनाने का बीड़ा उठाया. अब स्थानीय लोग इनकी मेहनत को देखकर तारीफ करते नहीं थक रहे.

Puncher mechanic made electric bicycle
इलेक्ट्रॉनिक साइकिल बनाते गुलजार खान

ऐसे हुई शुरुआत

गुलजार खान ने पहले साइकिल और मोटरसाइकिल के पार्ट्स इकट्ठा किए. कुछ सामान कबाड़ियों से भी खरीदा. गुलजार की मानें तो जब उन्होंने बैटरी चलित साइकिल बनाने का काम शुरू किया तो लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे, लेकिन जब साइकिल तैयार हो गया तो लोग प्रशंसा कर रहे हैं. गुलजार का मानना है कि देश के प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के दौरान ही देशवासियों से आह्वान किया था कि लोकल को वोकल करना है.

Puncher mechanic made electric bicycle
अपने बनाए साइकिल की सवारी करते गुलजार

ये भी पढ़ें- धरती आबा की पुण्यतिथि, मंत्री रामेश्वर उरांव और आलमगीर आलम ने किया माल्यार्पण

प्रधानमंत्री की वही बात उनके मन में घर कर गई और गुलजार के मन में इच्छा जगी कि क्यों ना बेकार पड़े मोटर पार्ट्स का इस्तेमाल कर कुछ नया बनाया जाए. गुलजार ने बताया कि बैटरी चलित साइकिल बनाने में 24 हजार खर्च हुए हैं.

Puncher mechanic made electric bicycle
इलेक्ट्रिक साइकिल को परखते स्थानीय लोग

आत्मनिर्भर भारत थीम वाले अपने संबोधन में पीएम मोदी ने लोगों से देश में बनाए गए उत्पाद खरीदने को कहा था. 'वोकल फॉर लोकल' के माध्यम से स्थानीय उत्पादों और ब्रैंड्स पर जोर देने की अपील की थी. ऐसे में यदि सरकार गुलजार खान की भी मदद करती है तो यह अपने आविष्कार से न केवल लोगों को फायदा पहुंचाएंगे, बल्कि उनकी खुद की आर्थिक स्थिति भी ठीक हो सकेगी.

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था. वहीं अब कुछ सुधार होने के बाद अनलॉक वन लागू किया गया है. इस दौरान जहां लोग पेट भरने और कारोबार के लिए दिन रात एक किए हुए हैं. तो वहीं पंक्चर बनाने वाले गुलजार खान के आविष्कार ने ऐसा चमत्कार कर दिया है कि लोग उसकी वाह-वाही करते नहीं थक रहे.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

गुलजार ने साइकिल और मोटरसाइकिल के पार्ट्स को मिलाकर बैटरी चालित साइकिल बनाई है. लॉकडाउन में गुलजार की पंक्चर दुकान बंद पड़ी थी तो इस समय का सही इस्तेमाल करते हुए गुलजार ने अपने हुनर के दम पर, साइकिल के हैंडल, बॉडी और मोटरसाइकिल के टायर, बैटरी और अन्य सामानों से इलेक्ट्रिक साइकिल बनाने का बीड़ा उठाया. अब स्थानीय लोग इनकी मेहनत को देखकर तारीफ करते नहीं थक रहे.

Puncher mechanic made electric bicycle
इलेक्ट्रॉनिक साइकिल बनाते गुलजार खान

ऐसे हुई शुरुआत

गुलजार खान ने पहले साइकिल और मोटरसाइकिल के पार्ट्स इकट्ठा किए. कुछ सामान कबाड़ियों से भी खरीदा. गुलजार की मानें तो जब उन्होंने बैटरी चलित साइकिल बनाने का काम शुरू किया तो लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे, लेकिन जब साइकिल तैयार हो गया तो लोग प्रशंसा कर रहे हैं. गुलजार का मानना है कि देश के प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के दौरान ही देशवासियों से आह्वान किया था कि लोकल को वोकल करना है.

Puncher mechanic made electric bicycle
अपने बनाए साइकिल की सवारी करते गुलजार

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प्रधानमंत्री की वही बात उनके मन में घर कर गई और गुलजार के मन में इच्छा जगी कि क्यों ना बेकार पड़े मोटर पार्ट्स का इस्तेमाल कर कुछ नया बनाया जाए. गुलजार ने बताया कि बैटरी चलित साइकिल बनाने में 24 हजार खर्च हुए हैं.

Puncher mechanic made electric bicycle
इलेक्ट्रिक साइकिल को परखते स्थानीय लोग

आत्मनिर्भर भारत थीम वाले अपने संबोधन में पीएम मोदी ने लोगों से देश में बनाए गए उत्पाद खरीदने को कहा था. 'वोकल फॉर लोकल' के माध्यम से स्थानीय उत्पादों और ब्रैंड्स पर जोर देने की अपील की थी. ऐसे में यदि सरकार गुलजार खान की भी मदद करती है तो यह अपने आविष्कार से न केवल लोगों को फायदा पहुंचाएंगे, बल्कि उनकी खुद की आर्थिक स्थिति भी ठीक हो सकेगी.

Last Updated : Jun 10, 2020, 11:00 AM IST

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