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ग्रामीणों की जीविका का जरिया बनेंगी बंद पत्थर की खदानें, मछली पालन को प्रशासन दे रहा बढ़ावा

पाकुड़ जिला प्रशासन (Pakur District Administration) सरकारी जमीन के अलावा रैयतों की जमीन पर मछली पालन को बढ़ावा देने की कवायद में जुट गया है. ऐसे में बंद पड़ी पत्थर की खदानें अब हजारों ग्रामीणों के आत्मनिर्भर बनने का जरिया बनेंगी.

promotion of fish farming in pakur
पाकुड़: ग्रामीणों की जीविका का जरिया बनेंगी बंद पत्थर की खदानें, मछली पालन को प्रशासन दे रहा बढ़ावा
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Published : Jul 28, 2021, 6:07 PM IST

Updated : Jul 28, 2021, 7:42 PM IST

पाकुड़: सूबे में बंद पड़ी पत्थर की खदानें अब हजारों ग्रामीणों के आत्मनिर्भर बनने का जरिया बनेंगी. वैसी पत्थर की खदानें जिनकी लीज अवधी खत्म हो गई है और उसमें पानी भरा है उसमें अब मछली पालन करवाया जाएगा. पाकुड़ जिला प्रशासन सरकारी जमीन के अलावा रैयतों की जमीन पर भी मछली पालन करवाएगी. राज्य सरकार की छाड़न योजना के तहत मत्स्य बीज का संचयन शुरू किया है.

इसे भी पढ़ें- डीवीसी विस्थापितों ने मछली पालन को बनाया रोजगार का साधन, सरकारी मदद ना मिलने से हैं मायूस

मत्स्य विभाग ने पहले चरण में जिले के मालपहाड़ी पत्थर औद्योगिक क्षेत्र की 123 एकड़ जमीन पर बंद पड़ी पत्थर खदान में कतला, रेहु, मिरीगल प्रजाति के 240 लाख मत्स्य बीज (स्पॉन) का संचयन किया है. पाकुड़ जिले के कई मजदूरों की जीविका का मुख्य साधन पत्थर खदानों में पत्थरों का उत्खनन और प्रेषण करना है. प्रशासन की ओर से पत्थर खदानों में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिए जाने से आसपास रहने वाले ग्रामीणों को रोजगार का दोहरा लाभ भी मिलेगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

मछली पालन को बढ़ावा देने का निर्णय

पाकुड़ जिले में सैकड़ों पत्थर खदानें हैं, लेकिन सरकारी और रैयतों की जमीन पर स्थित 333 ऐसी पत्थर खदानें हैं, जिनकी लीज अवधी सालों पहले ही खत्म हो चुकी है. इनमें पानी हमेशा लबालब भरा रहता है. पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर उत्खनन का काम बंद होने के बाद दूसरे पत्थर कारोबारियों के यहां मजदूरी का काम किया करते थे. इससे उनके और परिवार के भरण पोषण में कठिनाई उठानी पड़ती थी. जिला प्रशासन ने गांव के ग्रामीण मजदूरों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए मछली पालन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया.

promotion of fish farming in pakur
बंद पड़ी पत्थर खदानों में मत्स्य पालन को बढ़ावा

क्या बोले डीसी?

पाकुड़ डीसी वरूण रंजन (Pakur DC Varun Ranjan) ने जिला मत्स्य पदाधिकारी को बंद पड़ी पत्थर खदानों में मछली पालन को बढ़ावा (promotion of fish farming) देने के लिए कार्य करने का निर्देश दिया है. डीसी के निर्देश के बाद मत्स्य विभाग (fisheries department) ने सरकारी और रैयतों की जमीन पर बंद पड़ी वैसी पत्थर की खदानें जिनमें मछली पालन कराया जा सकता है उनका चयन किया है. पहले चरण में मालपहाड़ी की 123 एकड़ जमीन पर स्थित बंद पड़ी पत्थर खदान में मत्स्य बीज संचयन शुरू किया है. प्रशासन के इस सराहनीय कदम से ना केवल इन खदानों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को मछली का स्वाद मिलेगा, बल्कि बाजारों में बेचकर वो अच्छी कमाई कर सकेंगे.

promotion of fish farming in pakur
मछली पालन बनाएगा आत्मनिर्भर

इसे भी पढ़ें- पुनासी विस्थापित होंगे आत्मनिर्भर, मत्स्य विभाग ने डैम में छोड़ा अंगुलिका

ग्रामीणों में खुशी की लहर

जिला मत्स्य पदाधिकारी संजय कुमार गुप्ता ने बताया कि बंद पड़ी पत्थर की खदानों में स्पॉन (Spawn) डाला गया है. इससे खदानों के आसपास के लोगों को मछली मिलेगी. साथ ही वो इसे बेचकर आर्थिक रूप से मजबूत भी होंगे. जिला मत्स्य पदाधिकारी (District Fisheries Officer) ने बताया कि केज का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है और आने वाले दिनों में जाल के अलावा नाव समेत मछली पालन (Fisheries) में उपयोग आने वाली सामग्री भी उपलब्ध कराए जाएंगे.

पाकुड़: सूबे में बंद पड़ी पत्थर की खदानें अब हजारों ग्रामीणों के आत्मनिर्भर बनने का जरिया बनेंगी. वैसी पत्थर की खदानें जिनकी लीज अवधी खत्म हो गई है और उसमें पानी भरा है उसमें अब मछली पालन करवाया जाएगा. पाकुड़ जिला प्रशासन सरकारी जमीन के अलावा रैयतों की जमीन पर भी मछली पालन करवाएगी. राज्य सरकार की छाड़न योजना के तहत मत्स्य बीज का संचयन शुरू किया है.

इसे भी पढ़ें- डीवीसी विस्थापितों ने मछली पालन को बनाया रोजगार का साधन, सरकारी मदद ना मिलने से हैं मायूस

मत्स्य विभाग ने पहले चरण में जिले के मालपहाड़ी पत्थर औद्योगिक क्षेत्र की 123 एकड़ जमीन पर बंद पड़ी पत्थर खदान में कतला, रेहु, मिरीगल प्रजाति के 240 लाख मत्स्य बीज (स्पॉन) का संचयन किया है. पाकुड़ जिले के कई मजदूरों की जीविका का मुख्य साधन पत्थर खदानों में पत्थरों का उत्खनन और प्रेषण करना है. प्रशासन की ओर से पत्थर खदानों में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिए जाने से आसपास रहने वाले ग्रामीणों को रोजगार का दोहरा लाभ भी मिलेगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

मछली पालन को बढ़ावा देने का निर्णय

पाकुड़ जिले में सैकड़ों पत्थर खदानें हैं, लेकिन सरकारी और रैयतों की जमीन पर स्थित 333 ऐसी पत्थर खदानें हैं, जिनकी लीज अवधी सालों पहले ही खत्म हो चुकी है. इनमें पानी हमेशा लबालब भरा रहता है. पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर उत्खनन का काम बंद होने के बाद दूसरे पत्थर कारोबारियों के यहां मजदूरी का काम किया करते थे. इससे उनके और परिवार के भरण पोषण में कठिनाई उठानी पड़ती थी. जिला प्रशासन ने गांव के ग्रामीण मजदूरों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए मछली पालन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया.

promotion of fish farming in pakur
बंद पड़ी पत्थर खदानों में मत्स्य पालन को बढ़ावा

क्या बोले डीसी?

पाकुड़ डीसी वरूण रंजन (Pakur DC Varun Ranjan) ने जिला मत्स्य पदाधिकारी को बंद पड़ी पत्थर खदानों में मछली पालन को बढ़ावा (promotion of fish farming) देने के लिए कार्य करने का निर्देश दिया है. डीसी के निर्देश के बाद मत्स्य विभाग (fisheries department) ने सरकारी और रैयतों की जमीन पर बंद पड़ी वैसी पत्थर की खदानें जिनमें मछली पालन कराया जा सकता है उनका चयन किया है. पहले चरण में मालपहाड़ी की 123 एकड़ जमीन पर स्थित बंद पड़ी पत्थर खदान में मत्स्य बीज संचयन शुरू किया है. प्रशासन के इस सराहनीय कदम से ना केवल इन खदानों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को मछली का स्वाद मिलेगा, बल्कि बाजारों में बेचकर वो अच्छी कमाई कर सकेंगे.

promotion of fish farming in pakur
मछली पालन बनाएगा आत्मनिर्भर

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ग्रामीणों में खुशी की लहर

जिला मत्स्य पदाधिकारी संजय कुमार गुप्ता ने बताया कि बंद पड़ी पत्थर की खदानों में स्पॉन (Spawn) डाला गया है. इससे खदानों के आसपास के लोगों को मछली मिलेगी. साथ ही वो इसे बेचकर आर्थिक रूप से मजबूत भी होंगे. जिला मत्स्य पदाधिकारी (District Fisheries Officer) ने बताया कि केज का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है और आने वाले दिनों में जाल के अलावा नाव समेत मछली पालन (Fisheries) में उपयोग आने वाली सामग्री भी उपलब्ध कराए जाएंगे.

Last Updated : Jul 28, 2021, 7:42 PM IST
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