ETV Bharat / state

पाकुड़: प्रवासी मजदूरों को गांवों में मिल रहा है रोजगार, रंग ला रहे प्रशासन के प्रयास - Workers getting employment in MNREGA

पाकुड़ जिले में लॉकडाउन के दौरान लौटे बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों को उनके ही गांवों में ही रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. मनरेगा के अलावा राज्य सरकार की बिरसा ग्राम योजना के तहत पौधारोपण, नीलांबर पीताम्बर जय समृद्धि योजना से मजदूरों को बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया कराया गया.

मजदूरों को मिल रहा रोजगार
मजदूरों को मिल रहा रोजगार
author img

By

Published : Jun 10, 2020, 9:11 AM IST

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर शासन और प्रशासन की ओर से सभी प्रयास हो रहे हैं. साथ ही जिले में जारी अनलॉक-1 के दौरान हर तबके का सुख दुख का ख्याल रख रहा है. जरूरतमंदों को भोजन कराने का मामला हो या अन्य मुद्दा सभी पर ध्यान दिया जा रहा है. खासकर मनरेगा पंजीकृत मजदूरों को मजदूरी मुहैया कराने का हर दिशा में जोर-शोर से काम हो रहा है.

मजदूरों को मिल रहा रोजगार

रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का पलायन करने वाले मजदूर अब अपने ही गांव में मजदूरी कर रहे हैं और जो मजदूरी मिल रही है उससे अपना परिवार चला रहे हैं. लॉकडाउन के कारण से पाकुड़ जिले के मजदूर जो देश के दूसरे इलाकों में फंस गए थे उनके परिवार को भोजन कराने की सबसे बड़ी चुनौती शुरुआती दौर में प्रशासन के सामने थी.

जिला प्रशासन ने राशन का वितरण के अलावा मुख्यमंत्री दीदी किचन, मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र एवं पुलिस प्रशासन के सहयोग से खोले गए सामुदायिक रसोई घरों में भोजन कराना शुरू किया. मजदूरों के परिवारों के अलावा जरूरतमंदों के पेट भर जरूर रहे थे परंतु उनके सामने रोजगार की समस्या मुंह बाये खड़ी थी. इसी दौरान प्रवासी मजदूरों की घर वापसी भी शुरू हो गया.

महाराष्ट्र, दिल्ली, हैदराबाद, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल आदि कई राज्यों से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों बस, ट्रेन के अलावा पैदल भी अपने गांव आना शुरू किया.

मजदूरों को जिला प्रशासन ने क्वॉरेंटाइन सेंटर के अलावा होम क्वॉरेंटाइन किया गया. अवधि पूरी होने के बाद इन मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए कार्य योजना तैयार की गयी.

यह भी पढ़ेंः जामताड़ाः सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड से मरीज फरार, जिला प्रशासन ने जारी किया शो कॉज

मनरेगा के अलावा राज्य सरकार की बिरसा ग्राम योजना के तहत पौधारोपण, नीलांबर पीताम्बर जय समृद्धि योजना के तहत टीसीबी निर्माण, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना के तहत खेल मैदान का निर्माण कार्य की स्वीकृति दी गयी.

प्रशासन की स्वीकृति के बाद मजदूरों को गांव में ही रोजगार से जोड़ने का काम शुरू हुआ. सरकार ने अनलॉक 1 पूरे देश में लगाया और इसी अनलॉक वन में गांव के मजदूर जिनमें प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं, रोज डोभा एवं कुआं खोदने के अलावा पौधारोपण के लिए गड्ढा खोदने, जल संचयन के लिए टीसीबी निर्माण करने और अपने ही गांव में पारंपरिक खेल फुटबॉल के लिए मैदान बनाने के काम में जुटे हुए हैं.

इन कार्यों में काम करने से मजदूरों को न केवल मजदूरी मिल रही, बल्कि वह अपनी पेट की भूख मिटाने के साथ साथ इनकी जिंदगी भी पटरी पर आने लगी है. पूरे देश में अनलॉक 1 जारी है और इस दौरान एक ओर जहां व्यापारी हो या कारोबारी कुछ शर्तों के साथ मिली छूट के बाद अपना काम शुरू किया है, तो वहीं जिला प्रशासन मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराया है.

ऐसे मजदूर जो रोजी रोटी कमाने के लिए दूसरी राज्य पलायन करते थे वह आज खुलकर कह रहे हैं कि यदि सरकार हमें इसी तरह आगे भी रोजगार मुहैया कराती रही तो हम कभी परदेश काम करने के लिए नहीं जाएंगे.

पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर शासन और प्रशासन की ओर से सभी प्रयास हो रहे हैं. साथ ही जिले में जारी अनलॉक-1 के दौरान हर तबके का सुख दुख का ख्याल रख रहा है. जरूरतमंदों को भोजन कराने का मामला हो या अन्य मुद्दा सभी पर ध्यान दिया जा रहा है. खासकर मनरेगा पंजीकृत मजदूरों को मजदूरी मुहैया कराने का हर दिशा में जोर-शोर से काम हो रहा है.

मजदूरों को मिल रहा रोजगार

रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का पलायन करने वाले मजदूर अब अपने ही गांव में मजदूरी कर रहे हैं और जो मजदूरी मिल रही है उससे अपना परिवार चला रहे हैं. लॉकडाउन के कारण से पाकुड़ जिले के मजदूर जो देश के दूसरे इलाकों में फंस गए थे उनके परिवार को भोजन कराने की सबसे बड़ी चुनौती शुरुआती दौर में प्रशासन के सामने थी.

जिला प्रशासन ने राशन का वितरण के अलावा मुख्यमंत्री दीदी किचन, मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र एवं पुलिस प्रशासन के सहयोग से खोले गए सामुदायिक रसोई घरों में भोजन कराना शुरू किया. मजदूरों के परिवारों के अलावा जरूरतमंदों के पेट भर जरूर रहे थे परंतु उनके सामने रोजगार की समस्या मुंह बाये खड़ी थी. इसी दौरान प्रवासी मजदूरों की घर वापसी भी शुरू हो गया.

महाराष्ट्र, दिल्ली, हैदराबाद, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल आदि कई राज्यों से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों बस, ट्रेन के अलावा पैदल भी अपने गांव आना शुरू किया.

मजदूरों को जिला प्रशासन ने क्वॉरेंटाइन सेंटर के अलावा होम क्वॉरेंटाइन किया गया. अवधि पूरी होने के बाद इन मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए कार्य योजना तैयार की गयी.

यह भी पढ़ेंः जामताड़ाः सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड से मरीज फरार, जिला प्रशासन ने जारी किया शो कॉज

मनरेगा के अलावा राज्य सरकार की बिरसा ग्राम योजना के तहत पौधारोपण, नीलांबर पीताम्बर जय समृद्धि योजना के तहत टीसीबी निर्माण, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना के तहत खेल मैदान का निर्माण कार्य की स्वीकृति दी गयी.

प्रशासन की स्वीकृति के बाद मजदूरों को गांव में ही रोजगार से जोड़ने का काम शुरू हुआ. सरकार ने अनलॉक 1 पूरे देश में लगाया और इसी अनलॉक वन में गांव के मजदूर जिनमें प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं, रोज डोभा एवं कुआं खोदने के अलावा पौधारोपण के लिए गड्ढा खोदने, जल संचयन के लिए टीसीबी निर्माण करने और अपने ही गांव में पारंपरिक खेल फुटबॉल के लिए मैदान बनाने के काम में जुटे हुए हैं.

इन कार्यों में काम करने से मजदूरों को न केवल मजदूरी मिल रही, बल्कि वह अपनी पेट की भूख मिटाने के साथ साथ इनकी जिंदगी भी पटरी पर आने लगी है. पूरे देश में अनलॉक 1 जारी है और इस दौरान एक ओर जहां व्यापारी हो या कारोबारी कुछ शर्तों के साथ मिली छूट के बाद अपना काम शुरू किया है, तो वहीं जिला प्रशासन मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराया है.

ऐसे मजदूर जो रोजी रोटी कमाने के लिए दूसरी राज्य पलायन करते थे वह आज खुलकर कह रहे हैं कि यदि सरकार हमें इसी तरह आगे भी रोजगार मुहैया कराती रही तो हम कभी परदेश काम करने के लिए नहीं जाएंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.