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पाकुड़ का यह प्रखंड आज भी मौलिक सुविधाओं से है दूर, सुध लेने नहीं पहुंच रहे कोई अधिकारी - पाकुड़ का लिट्टीपाड़ा प्रखंड मौलिक सुविधाओं से दूर

देश को आजादी मिले सात दशक और झारखंड को अलग हुए दो दशक बीत चुके हैं. इस दरमयान करीब सभी दलों ने राज्य में सासन किया और लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का दावा किया, लेकिन आज भी पाकुड़ में कई ऐसे गांव है, जहां लोग मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं.

पाकुड़ का यह प्रखंड आज भी मौलिक सुविधाओं से है दूर
Many villages of Pakur far from basic facilities
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Published : Jul 7, 2020, 9:00 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 10:09 PM IST

पाकुड़: झारखंड को अलग हुए दो दशक बीत चुके हैं. लेकिन इसके बाद भी यहां के कई गांवों में लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. ऐसा ही एक प्रखंड है पाकुड़ का लिट्टीपाड़ा जहां आज भी लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है.

देखें स्पेशल खबर

पगडंडियों का सहारा

गरीबी दूर करने और समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन न तो गरीबी दूर हो रही है और न ही लोगों को समस्याओं से मुक्ति मिल रही. झारखंड राज्य के शैक्षणिक दृष्टि से सबसे पिछड़े पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां लोग बरसात के मौसम में पीने के पानी के लिए लंबी दूरी तय कर रहे हैं. सड़क नहीं रहने के कारण लोगों को पगडंडियों का सहारा लेना पड़ रहा है.

मूलभूत सुविधाओं से आज भी दूर हैं लोग

यहां के अधिकांश गांव के लोग समस्याओं के लिए सरकार को जिम्मेदार मानते हैं. पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा प्रखंड स्थित जोरडीहा पंचायत में आदिम जनजाति पहाड़िया और आदिवासी रहते हैं. इनका मुख्य पेशा मजदूरी है. अलग राज्य बनने के बाद इस पंचायत के लोगों ने यह सपना देखा था कि उनके गांव की बदहाली दूर होगी, लेकिन हुआ ठीक उल्टा.

ये भी पढ़ें-झारखंड की 'पॉलिटिकल हिस्ट्री' में जुड़ा नया अध्याय, बिना नेता प्रतिपक्ष हुए दो असेंबली सेशन

यहां के लोग झोलाछाप डॉक्टरों पर हैं निर्भर

सरकार यहां सड़क की व्यवस्था करने में नाकाम रही. स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति ऐसी है कि अधिकांश लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. बिजली 24 घंटे में 4 घंटे भी नहीं मिल पाती है.

शौचालय में नहीं लगाया गया सीट

संथाल परगना का लिट्टीपाड़ा ही एक ऐसा प्रखंड है, जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने कार्यकाल में सबसे ज्यादा पहुंचे थे. यहां ग्रामीणों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए शौचालय का निर्माण कराया गया, लेकिन न तो टंकी लगायी गयी और न ही शौचालय में सीट लगाया गया. यह शौचालय लाभुकों के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन को भी मुंह चिढ़ा रहा है. लिट्टीपाड़ा प्रखंड के जोड़ाडीहा पंचायत में पड़ने वाले गांव के लोगों को अब तक मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली है.

सरकारी सुविधा मुहैया कराने में विलंब

इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने प्रखंड विकास पदाधिकारी पंकज कुमार रवि से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी मिली है और विभागीय अधिकारियों से जांच कराई जाएगी. बीडीओ ने बताया कि संबंधित कार्य एजेंसी से सड़क निर्माण कराया जाएगा. पेयजल के लिए चापानल का लगवाया जाएगा. बीडीओ ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में बसे गांव तक पहुंचने के लिए अब तक सड़क नहीं बना है, जिस कारण उन्हें सरकारी सुविधाएं मुहैया कराने में विलंब हो रही है.

पाकुड़: झारखंड को अलग हुए दो दशक बीत चुके हैं. लेकिन इसके बाद भी यहां के कई गांवों में लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. ऐसा ही एक प्रखंड है पाकुड़ का लिट्टीपाड़ा जहां आज भी लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है.

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पगडंडियों का सहारा

गरीबी दूर करने और समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन न तो गरीबी दूर हो रही है और न ही लोगों को समस्याओं से मुक्ति मिल रही. झारखंड राज्य के शैक्षणिक दृष्टि से सबसे पिछड़े पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां लोग बरसात के मौसम में पीने के पानी के लिए लंबी दूरी तय कर रहे हैं. सड़क नहीं रहने के कारण लोगों को पगडंडियों का सहारा लेना पड़ रहा है.

मूलभूत सुविधाओं से आज भी दूर हैं लोग

यहां के अधिकांश गांव के लोग समस्याओं के लिए सरकार को जिम्मेदार मानते हैं. पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा प्रखंड स्थित जोरडीहा पंचायत में आदिम जनजाति पहाड़िया और आदिवासी रहते हैं. इनका मुख्य पेशा मजदूरी है. अलग राज्य बनने के बाद इस पंचायत के लोगों ने यह सपना देखा था कि उनके गांव की बदहाली दूर होगी, लेकिन हुआ ठीक उल्टा.

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यहां के लोग झोलाछाप डॉक्टरों पर हैं निर्भर

सरकार यहां सड़क की व्यवस्था करने में नाकाम रही. स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति ऐसी है कि अधिकांश लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. बिजली 24 घंटे में 4 घंटे भी नहीं मिल पाती है.

शौचालय में नहीं लगाया गया सीट

संथाल परगना का लिट्टीपाड़ा ही एक ऐसा प्रखंड है, जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने कार्यकाल में सबसे ज्यादा पहुंचे थे. यहां ग्रामीणों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए शौचालय का निर्माण कराया गया, लेकिन न तो टंकी लगायी गयी और न ही शौचालय में सीट लगाया गया. यह शौचालय लाभुकों के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन को भी मुंह चिढ़ा रहा है. लिट्टीपाड़ा प्रखंड के जोड़ाडीहा पंचायत में पड़ने वाले गांव के लोगों को अब तक मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली है.

सरकारी सुविधा मुहैया कराने में विलंब

इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने प्रखंड विकास पदाधिकारी पंकज कुमार रवि से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी मिली है और विभागीय अधिकारियों से जांच कराई जाएगी. बीडीओ ने बताया कि संबंधित कार्य एजेंसी से सड़क निर्माण कराया जाएगा. पेयजल के लिए चापानल का लगवाया जाएगा. बीडीओ ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में बसे गांव तक पहुंचने के लिए अब तक सड़क नहीं बना है, जिस कारण उन्हें सरकारी सुविधाएं मुहैया कराने में विलंब हो रही है.

Last Updated : Jul 7, 2020, 10:09 PM IST

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