पाकुड़: राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार जनता के आशीर्वाद के बदौलत बनी है न कि भाजपा नेताओ और केंद्र सरकार की बदौलत. पहले भाजपा द्वारा राज्य के नेताओ को खरीदने का प्रयास किया गया और जब वे सफल नहीं हो पाये तो केंद्रीय एजेंसियों का सहारा लेकर हेमंत सोरेन की सरकार को अस्थिर करने का काम किया जा रहा. उक्त बातें जेएमएम सांसद विजय हांसदा ने कही.
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हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही झारखंड सरकार लोगों के बीच लोकप्रिय हो चुकी है और भाजपा नेताओं को यह डर सता रहा है कि यदि इसी तरह राज्य में विकास और कल्याणकारी काम होता रहा तो भाजपा को स्थान बनाना मुश्किल हो जायेगा. राज्य अलग बनने के बाद सबसे ज्यादा शासन भाजपा ने किया और उनके शासनकाल में ऐसा नहीं था कि अधिकारी दूध के धुले हुए थे, भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई इसलिए नहीं होती थी कि केंद्र में भी भाजपा और राज्य में भी भाजपा नीत सरकार जो चल रही थी.
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा और सरकार का स्टैंड क्लीयर है. कानून अपना काम करेगा, लेकिन जिस तरह भाजपा नेता इस मामले में खुद कोर्ट की तरह फैसला सुना रहे हैं, यह तरीका गलत है. जैसे पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में केंद्र सरकार को वहां की सरकार गिराने में सफलता नहीं मिली, ठिक उसी तरह झारखंड में भी केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा के बाहरी नेताओं को मुह की खानी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य में अडानी और अंबानी काम करें तो भाजपाईयो के लिए वाह-वाह और राज्य के ही लोग काम करें तो उन्हे आह क्यों होती है?