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शौचालय निर्माण में अनियमितता, पानी ना होने से लोगों को हो रही परेशानी

पाकुड़ जिला को खुले में शौच से मुक्त करने को लेकर वर्षों पहले चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन अभियान सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं की कारगुजारियों की वजह से मजाक बनकर रह गया है. शौचालय निर्माण में अनियमितता बरती गई, आलम ये है कि शौचालय बनाया गया लेकिन पानी की व्यवस्था नहीं की गई. जिससे लोगों को आए दिन परेशानियों से गुजरना पड़ता है.

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शौचालय
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Published : Mar 9, 2021, 9:37 AM IST

Updated : Mar 9, 2021, 4:26 PM IST

पाकुड़: जिला को ओडीएफ करने को लेकर चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन अभियान सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं की कारगुजारियों की वजह से मजाक बनकर रह गया है. ऐसा इसलिए कि जिस उद्देश्य से भारत सरकार के इस महत्वपूर्ण अभियान के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले या वैसे लोग जो खुले में शौच जाते थे, उनके घरों में शौचालय बनाया गया. लेकिन आज ये बेहाल और बदहाल शौचालय अधिकारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़े लोगों की गाथा बयां कर रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

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सैकड़ों ही नहीं बल्कि हजारों की संख्या में जिला के शौचालयों में गोयठा, सूखी लकड़ी रखा रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि अधिकांश शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं की गई है. एजेंसियों, शासन-प्रशासन के स्तर से इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की जा सकी है. सबसे ज्यादा खराब हालत शौचालयों की दुर्गम पहाड़ों पर स्थित गांव की है. जहां लोगों को पीने का पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि शौचालय बनाने के बाद इसे धरातल पर उतारने वाले अधिकारियों और कर्मियों ने आखिर पानी की समस्या पर ध्यान क्यों नहीं दिया.

शौचालय की टंकी भी बूंद पानी के लिए तरस रही है. झारखंड सरकार ने पूरे राज्य को वर्ष 2018 में घोषित कर दिया था. बिना पानी की व्यवस्था के शौचालय का बना दिया गया. इस वजह से आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. जिला में ऐसे स्थानों पर भी शौचालय बना दिया गया है, जो लाभुकों के घर से काफी दूर है.

ग्रामीणों का कहना है सबसे बड़ी समस्या शौचालय में पानी का नहीं रहना है. जबकि एजेंसियों के बनाए गए शौचालय की स्थिति भी ठीक नहीं है. किसी शौचालय में गेट नहीं है तो किसी का टंकी और किसी में बैठने के लिए शीट तक नहीं है. ग्रामीण बताते है कि उन्हें खुले में शौच जाने पर सबसे बड़ी समस्या सांप और अन्य कीड़ों-मकोड़ों का होता है, साथ उन्हें कई बार शर्मिंदगी भी उठानी पड़ती है.

इसे भी पढ़ें- पाकुड़ की कॉस्ट्यूम ज्वेलरी असली की खूबसूरती को दे रही मात, कारोबार से 'तेजस्विनी' बन रहीं युवतियां


इस मामले में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीक्षण अभियंता वृजनन्दन कुमार का कहना है कि संथाल परगना में शौचालयों की वर्तमान स्थिति का सर्वे कराया जा रहा है. इसकी रिपोर्ट आने पर खराब शौचालयों को दुरुस्त कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि अबतक पूर्ण रूप से खुले में शौचमुक्त घोषित नहीं किया गया है.
डीसी कुलदीप चौधरी ने बताया कि बेसलाइन सर्वे के अनुसार शौचालय बनाए गए, उसके बाद भी कुछ घरों में शौचालय नहीं बन पाया, उसका निर्माण कराया जा रहा था. उन्होंने कहा कि बैठक कर सभी अभियंताओं और अधिकारियों को निर्देश दिया गया है लोगों को जागरूक कर ताकि शौचालय का उपयोग हो सके.

पाकुड़: जिला को ओडीएफ करने को लेकर चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन अभियान सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं की कारगुजारियों की वजह से मजाक बनकर रह गया है. ऐसा इसलिए कि जिस उद्देश्य से भारत सरकार के इस महत्वपूर्ण अभियान के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले या वैसे लोग जो खुले में शौच जाते थे, उनके घरों में शौचालय बनाया गया. लेकिन आज ये बेहाल और बदहाल शौचालय अधिकारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़े लोगों की गाथा बयां कर रहा है.

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सैकड़ों ही नहीं बल्कि हजारों की संख्या में जिला के शौचालयों में गोयठा, सूखी लकड़ी रखा रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि अधिकांश शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं की गई है. एजेंसियों, शासन-प्रशासन के स्तर से इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की जा सकी है. सबसे ज्यादा खराब हालत शौचालयों की दुर्गम पहाड़ों पर स्थित गांव की है. जहां लोगों को पीने का पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि शौचालय बनाने के बाद इसे धरातल पर उतारने वाले अधिकारियों और कर्मियों ने आखिर पानी की समस्या पर ध्यान क्यों नहीं दिया.

शौचालय की टंकी भी बूंद पानी के लिए तरस रही है. झारखंड सरकार ने पूरे राज्य को वर्ष 2018 में घोषित कर दिया था. बिना पानी की व्यवस्था के शौचालय का बना दिया गया. इस वजह से आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. जिला में ऐसे स्थानों पर भी शौचालय बना दिया गया है, जो लाभुकों के घर से काफी दूर है.

ग्रामीणों का कहना है सबसे बड़ी समस्या शौचालय में पानी का नहीं रहना है. जबकि एजेंसियों के बनाए गए शौचालय की स्थिति भी ठीक नहीं है. किसी शौचालय में गेट नहीं है तो किसी का टंकी और किसी में बैठने के लिए शीट तक नहीं है. ग्रामीण बताते है कि उन्हें खुले में शौच जाने पर सबसे बड़ी समस्या सांप और अन्य कीड़ों-मकोड़ों का होता है, साथ उन्हें कई बार शर्मिंदगी भी उठानी पड़ती है.

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इस मामले में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीक्षण अभियंता वृजनन्दन कुमार का कहना है कि संथाल परगना में शौचालयों की वर्तमान स्थिति का सर्वे कराया जा रहा है. इसकी रिपोर्ट आने पर खराब शौचालयों को दुरुस्त कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि अबतक पूर्ण रूप से खुले में शौचमुक्त घोषित नहीं किया गया है.
डीसी कुलदीप चौधरी ने बताया कि बेसलाइन सर्वे के अनुसार शौचालय बनाए गए, उसके बाद भी कुछ घरों में शौचालय नहीं बन पाया, उसका निर्माण कराया जा रहा था. उन्होंने कहा कि बैठक कर सभी अभियंताओं और अधिकारियों को निर्देश दिया गया है लोगों को जागरूक कर ताकि शौचालय का उपयोग हो सके.

Last Updated : Mar 9, 2021, 4:26 PM IST
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