पाकुड़: पचुवाड़ा नॉर्थ कोल ब्लॉक में कोयला उत्खनन करने वाली पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड की सड़क और रेल मार्ग से कोयला की ढुलाई तक ठप हो गयी है. कोयले की ढुलाई ठप हो जाने के कारण पश्चिम बंगाल में होने वाले बिजली उत्पादन पर असर पड़ने के साथ-साथ खनन विभाग के अलावा रेल और वाणिज्यकर विभाग को राजस्व की क्षति उठानी पड़ रही है.
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कोयला की ढुलाई वन विभाग की ओर से बीते जुलाई माह में जारी अधिसूचना के मुताबिक ट्रांजिट परमिट नहीं लेने और वन विभाग को राजस्व का भुगतान नहीं किए जाने के कारण हुई है. वन विभाग की ओर से जारी नोटिस के बाद पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने कोयला की ढुलाई बंद करा दिया है. कोयला ढुलाई ठप होने की वजह से परिवहन में जूटे ट्रांसपोर्ट और वाहन मालिकों के अलावे वाहन चालकों के सामने दुर्गा पूजा के त्योहार के इस मौके पर विकट समस्या उत्पन्न हो गयी है.
जानकारी के अनुसार भारतीय वन अधिनियम 2(4) के तहत कोयला को वनोत्पाद की श्रेणी में उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद रखा गया. उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में झारखंड सरकार ने ट्रांजिट रूल 2020 के तहत कोयला उत्खनन करने वाली लीजधारी को परिवहन के लिए अनुमति लेने और प्रति मैट्रिक टन 57 रुपये के हिसाब से परिवहन के एवज में राजस्व देने की शर्त निर्धारित की है. झारखंड सरकार ने इस नियम को लागू करने के लिए बीते 30 जुलाई को अधिसूचना जारी की थी. 30 जुलाई की जारी अधिसूचना को 28 सितंबर 2020 को संशोधित करते हुए 1 अक्टूबर 2020 से कोयला उत्खनन करने वाली कंपनी को ट्रांजिट परमिट लेने और उसके बाद कोयला का किए जाने वाले परिवहन के एवज में प्रति मेट्रिक टन 57 रुपये राजस्व विभाग को देने का प्रावधान किया.
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सरकार के जारी इस अधिसूचना का अनुपालन कराने के लिए वन विभाग ने पाकुड़ जिले के अमरापुरा प्रखंड के पचुवाड़ा नोर्थ कोल ब्लॉक जिसे पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड को आवंटित किया गया था को नोटिस निर्गत किया है. नोटिस निर्गत करने के बावजूद डब्ल्यूबीपीडीसीएल ने वन विभाग से ना तो ट्रांजिट परमिट लिया और ना ही बीते 1 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक किए गए कोयला परिवहन के लिए निर्धारित राजस्व का भुगतान किया. विभाग की ओर से जारी नोटिस के बाद पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड पचुवाड़ा नॉर्थ कोल से उत्खनन कोयला की ढुलाई बंद कर दी गई है.
वन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह ने बताया कि परिवहन के एवज में 1 से 17 अक्टूबर तक लगभग दो करोड़ का राजस्व भुगतान डब्ल्यूबीपीडीसीएल को करना था लेकिन नोटिस निर्गत करने के बावजूद राशि का भुगतान नहीं किया गया. वन क्षेत्र पदाधिकारी ने कहा कि बिना ट्रांजिट परमिट लिए और बकाया राजस्व का भुगतान किए कोयला का परिवहन चालू हुआ तो कोयला का उत्पादन करने वाली कंपनी के साथ-साथ डंपर मालिकों और ट्रांसपोर्टिंग करने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. पचुवाड़ा नोर्थ कोल ब्लॉक से उत्खनित कोयला सड़क मार्ग से सदर प्रखंड के लोटामारा रेलवे साइडिंग पहुंचता है और रेलवे साइडिंग से कोयला पश्चिम बंगाल बिजली उत्पादन के लिए ले जाया जाता है.