ETV Bharat / state

Cervical cancer Screening Camp: कई महिलाओं की हुई जांच - symptoms of Cervical cancer

पाकुड़ सदर अस्पताल में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग कैंप (Cervical cancer Screening Camp) लगाया गया. जिसमें 20 साल से ज्यादा उम्र की कई महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर ये कैंप लगाया गया.

cervical-cancer-screening-camp-organized-in-pakur
स्क्रीनिंग कैंप
author img

By

Published : Jul 17, 2021, 10:44 PM IST

पाकुड़: सदर अस्पताल में शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग कैंप (Cervical cancer Screening Camp) लगाया गया. इस कैंप में 20 साल के ऊपर की युवतियों और महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई. गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनीता सिन्हा (Gynecologist Dr Anita Sinha) ने कई महिलाओं की स्क्रीनिंग की.

इसे भी पढ़ें- सर्वाइकल कैंसर: इन दस संकेतों को नजरअंदाज ना करें


इस मौके पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. एसके झा (Dr. SK Jha, Deputy Superintendent of Sadar Hospital) ने बताया कि 20 साल से ऊपर की युवतियों, महिलाओं के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर (Cervical cancer) की संभावना सबसे ज्यादा रहती है. यह धीरे-धीरे फैलता है, जिससे मरीज की जान तक चली जाती है. उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में ही इस बीमारी की जानकारी हो जाए तो मरीजों का इलाज आसानी से किया जा सकता है और उसको मौत से बचाया जा सकता है.

देखें पूरी खबर

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग कैंप में जांच कराने पहुंचीं महिलाओं का टेस्ट करने के बाद चिकित्सकों की ओर से परामर्श भी दिया गया. कैंप को सफल बनाने में एएनएम, सहिया ने भी अपनी भूमिका निभाई. जिला में पहली बार स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर किया गया. इस कैंप में पाकुड़ शहरी क्षेत्र सहित सदर प्रखंड के अलावा हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा, महेशपुर और पाकुड़िया प्रखंड की कई महिलाएं पहुंचीं.

इसे भी पढ़ें- कम उम्र में बेटियों की शादी करना सर्वाइकल कैंसर को दे रहा न्यौता, जागरूकता की जरूरत

क्या है गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर (Cervical cancer)

अल्पविकसित देशों में महिलाओं में होने वाले कैंसरों में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर सर्वाधिक होता है. इसका मुख्य कारण एक विषाणु है, जो जननांगों के मस्से उत्पन्न करता है. यह कैंसर लगभग 10 वर्ष तक धीरे-धीरे वृद्धि करता है और इसीलिए अगर इसका उपचार जल्दी कर दिया जाए तो इसको पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. इसके बावजूद भी अनके महिलाओं की इस कैंसर के कारण मृत्यु हो जाती है, क्योंकि उन्हें यह पता नहीं होता है कि उन्हें कैंसर था.

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के विकास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण जोखिम कारक, मानव अंकुरार्बुद-विषाणु के उच्च जोखिम वाले उपभेद का संक्रमण है. विषाणु कैंसर संबंध, गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में परिवर्तनों से शुरू होता है, जो गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली में परिणत हो सकता है, जो आगे कैंसर को जन्म दे सकता है. गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लगभग सभी मामलों के विकास में मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) संक्रमण एक आवश्यक कारक रहा है.

कारण और कारक

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के विकास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण जोखिम कारक, मानव अंकुरार्बुद-विषाणु के उच्च जोखिम वाले उपभेद का संक्रमण है. विषाणु कैंसर संबंध, गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में परिवर्तनों से शुरू होता है, जो गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली में परिणत हो सकता है, जो आगे कैंसर को जन्म दे सकता है.

ऐसी महिलाओं को ज्यादा खतरा है, जिनके कई यौन साथी हैं.

अमेरिकन कैंसर सोसायटी गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के जोखिम कारकों की सूची दी है. मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) संक्रमण, धूम्रपान, HIV संक्रमण, क्लामाइडिया संक्रमण, आहार तत्व, हार्मोन गर्भनिरोधक, एकाधिक गर्भधारण, हार्मोनल दवा डाइइथैलस्टिलबेस्ट्रॉल (DES) और गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का पारिवारिक इतिवृत्त, HLA-B7 के साथ संभाव्य आनुवंशिक-जोखिम जुड़ा हुआ है.

इसे भी पढ़ें- महिलाओं में सर्विकल कैंसर के प्रति जागरुकता

संकेत और लक्षण

गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसर की प्रारंभिक अवस्था पूरी तरह अलाक्षणिक हो सकती है. उन्नत बीमारी में रोग-व्याप्ति, उदर, फेफड़े या और कहीं भी हो सकती है. उन्नत गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लक्षणों में भूख में कमी, वज़न में कमी, थकान, श्रोणि में दर्द, पीठ दर्द, पैर दर्द, एक पैर में सूजन और हड्डी टूटना शामिल है.

पाकुड़: सदर अस्पताल में शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग कैंप (Cervical cancer Screening Camp) लगाया गया. इस कैंप में 20 साल के ऊपर की युवतियों और महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई. गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनीता सिन्हा (Gynecologist Dr Anita Sinha) ने कई महिलाओं की स्क्रीनिंग की.

इसे भी पढ़ें- सर्वाइकल कैंसर: इन दस संकेतों को नजरअंदाज ना करें


इस मौके पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. एसके झा (Dr. SK Jha, Deputy Superintendent of Sadar Hospital) ने बताया कि 20 साल से ऊपर की युवतियों, महिलाओं के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर (Cervical cancer) की संभावना सबसे ज्यादा रहती है. यह धीरे-धीरे फैलता है, जिससे मरीज की जान तक चली जाती है. उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में ही इस बीमारी की जानकारी हो जाए तो मरीजों का इलाज आसानी से किया जा सकता है और उसको मौत से बचाया जा सकता है.

देखें पूरी खबर

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग कैंप में जांच कराने पहुंचीं महिलाओं का टेस्ट करने के बाद चिकित्सकों की ओर से परामर्श भी दिया गया. कैंप को सफल बनाने में एएनएम, सहिया ने भी अपनी भूमिका निभाई. जिला में पहली बार स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर किया गया. इस कैंप में पाकुड़ शहरी क्षेत्र सहित सदर प्रखंड के अलावा हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा, महेशपुर और पाकुड़िया प्रखंड की कई महिलाएं पहुंचीं.

इसे भी पढ़ें- कम उम्र में बेटियों की शादी करना सर्वाइकल कैंसर को दे रहा न्यौता, जागरूकता की जरूरत

क्या है गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर (Cervical cancer)

अल्पविकसित देशों में महिलाओं में होने वाले कैंसरों में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर सर्वाधिक होता है. इसका मुख्य कारण एक विषाणु है, जो जननांगों के मस्से उत्पन्न करता है. यह कैंसर लगभग 10 वर्ष तक धीरे-धीरे वृद्धि करता है और इसीलिए अगर इसका उपचार जल्दी कर दिया जाए तो इसको पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. इसके बावजूद भी अनके महिलाओं की इस कैंसर के कारण मृत्यु हो जाती है, क्योंकि उन्हें यह पता नहीं होता है कि उन्हें कैंसर था.

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के विकास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण जोखिम कारक, मानव अंकुरार्बुद-विषाणु के उच्च जोखिम वाले उपभेद का संक्रमण है. विषाणु कैंसर संबंध, गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में परिवर्तनों से शुरू होता है, जो गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली में परिणत हो सकता है, जो आगे कैंसर को जन्म दे सकता है. गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लगभग सभी मामलों के विकास में मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) संक्रमण एक आवश्यक कारक रहा है.

कारण और कारक

गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के विकास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण जोखिम कारक, मानव अंकुरार्बुद-विषाणु के उच्च जोखिम वाले उपभेद का संक्रमण है. विषाणु कैंसर संबंध, गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में परिवर्तनों से शुरू होता है, जो गर्भाशय-ग्रीवा अंतःउपकला रसौली में परिणत हो सकता है, जो आगे कैंसर को जन्म दे सकता है.

ऐसी महिलाओं को ज्यादा खतरा है, जिनके कई यौन साथी हैं.

अमेरिकन कैंसर सोसायटी गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के जोखिम कारकों की सूची दी है. मानव अंकुरार्बुद-विषाणु (HPV) संक्रमण, धूम्रपान, HIV संक्रमण, क्लामाइडिया संक्रमण, आहार तत्व, हार्मोन गर्भनिरोधक, एकाधिक गर्भधारण, हार्मोनल दवा डाइइथैलस्टिलबेस्ट्रॉल (DES) और गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का पारिवारिक इतिवृत्त, HLA-B7 के साथ संभाव्य आनुवंशिक-जोखिम जुड़ा हुआ है.

इसे भी पढ़ें- महिलाओं में सर्विकल कैंसर के प्रति जागरुकता

संकेत और लक्षण

गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसर की प्रारंभिक अवस्था पूरी तरह अलाक्षणिक हो सकती है. उन्नत बीमारी में रोग-व्याप्ति, उदर, फेफड़े या और कहीं भी हो सकती है. उन्नत गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लक्षणों में भूख में कमी, वज़न में कमी, थकान, श्रोणि में दर्द, पीठ दर्द, पैर दर्द, एक पैर में सूजन और हड्डी टूटना शामिल है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.