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लोहरदगाः दीदी किचन में भोजन वितरण में नियमों का उल्लंघन, मासूमों की जान से हो रहा खिलवाड़

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Published : May 7, 2020, 1:17 PM IST

Updated : May 7, 2020, 5:04 PM IST

झारखंड में लॉकडाउन के मद्देनजर गरीबों और जरूरतमंदों के लिए दीदी किचन प्रारंभ किया है. राज्य के सभी जिलों में यह उपक्रम चलाया जा रहा है. हजारों लोगों को प्रतिदिन सोशल डिस्टेंसिगं के साथ इसका लाभ मिल रहा है. लोहरदगा जिले में इस दौरान नियमों की अनदेखी हो रही है. यहां भोजन के लिए लाइन में बच्चे लग रहे हैं.

भोजन वितरण में नियमों का उल्लंघन
भोजन वितरण में नियमों का उल्लंघन

लोहरदगाः लॉकडाउन के दौरान भूख की जरूरत को समझते हुए सरकार ने गरीब और जरूरतमंदों के लिए दीदी किचन की शुरुआत की है. दीदी किचन के माध्यम से लोहरदगा जिले में कुल 127 केंद्र से 4 अप्रैल से 6 मई तक 1 लाख 35 हजार लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि दीदी किचन में भोजन के लिए लाइन लगने वाले लोगों में से ज्यादातर बच्चे होते हैं, लेकिन इस दौरान मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जिंदगी के नियम तोड़े जा रहे हैं.

भोजन वितरण में नियमों का उल्लंघन.

सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि 65 वर्ष से ऊपर के वृद्ध और 10 वर्ष से नीचे आयु वर्ग के बच्चों को किसी भी स्थिति में घर से बाहर नहीं निकलना है. इसके बावजूद छोटे बच्चों को लाइन में लगाया जा रहा है.

अभिभावक हैं उदासीन, बच्चों को लगाते हैं लाइन में

मुख्यमंत्री दीदी किचन का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराना है, परंतु लोहरदगा में एक ऐसी तस्वीर नजर आ रही है जो समाज को सोचने पर मजबूर करती है.

दीदी किचन में लाइन में जो भीड़ नजर आती है, उस भीड़ में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं. कोरोना संक्रमण का खतरा वृद्ध और बच्चों पर सबसे ज्यादा है.

सरकार ने भी साफ तौर पर कहा है कि छोटे बच्चों और वृद्धों को किसी भी स्थिति में घर से बाहर ना निकलने दें. इसके बावजूद लोहरदगा में छोटे बच्चों को दीदी किचन में भोजन लेने के लिए लाइन में लगा दिया जाता है. और तो और इन बच्चों से हस्ताक्षर और अंगूठा भी रजिस्टर में लिया जा रहा है.

सोचने वाली बात यह है कि छोटे बच्चों का अंगूठा और हस्ताक्षर भला किस काम का है. यह तो साफ तौर पर खानापूर्ति दिखाई दे रही है. बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

जब सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह रखा है कि छोटे बच्चों को लाइन में नहीं लगाना है तो फिर ऐसी लापरवाही क्यों हो रही है. निश्चित रूप से स्थानीय प्रशासन अभिभावकों को जागरूक करने में अब तक नाकाम रही है.

यह भी पढ़ेः जमशेदपुरः लॉकडाउन में फंसे मजदूरों को वापस लाने सरकार प्रतिबद्ध, जिला प्रशासन ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर

यही नहीं कई लोग तो ऐसे भी हैं जो बिना मास्क के ही लाइन में आकर खड़े हो जाते हैं. कुछ लोग मास्क लगा देते भी हैं तो बस शौक और नियम के लिए.

मास्क उनके नाक के नीचे लगा होता है. अब भला ऐसे मास्क लगाने का फायदा भी क्या है. कुल मिलाकर दीदी किचन की लाइन में सिर्फ लापरवाही ही लापरवाही दिखाई दे रही है.

लोहरदगा में दीदी किचन की लाइन में खड़े मासूम व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं. भोजन के नाम पर मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. सरकार के निर्देशों की अवहेलना करते हुए मासूम बच्चों को लाइन में लगाया जा रहा है. ऐसे में कोरोना संक्रमण को लेकर खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है बावजूद इसके सुधार की तस्वीर नजर नहीं आती.

लोहरदगाः लॉकडाउन के दौरान भूख की जरूरत को समझते हुए सरकार ने गरीब और जरूरतमंदों के लिए दीदी किचन की शुरुआत की है. दीदी किचन के माध्यम से लोहरदगा जिले में कुल 127 केंद्र से 4 अप्रैल से 6 मई तक 1 लाख 35 हजार लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि दीदी किचन में भोजन के लिए लाइन लगने वाले लोगों में से ज्यादातर बच्चे होते हैं, लेकिन इस दौरान मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जिंदगी के नियम तोड़े जा रहे हैं.

भोजन वितरण में नियमों का उल्लंघन.

सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि 65 वर्ष से ऊपर के वृद्ध और 10 वर्ष से नीचे आयु वर्ग के बच्चों को किसी भी स्थिति में घर से बाहर नहीं निकलना है. इसके बावजूद छोटे बच्चों को लाइन में लगाया जा रहा है.

अभिभावक हैं उदासीन, बच्चों को लगाते हैं लाइन में

मुख्यमंत्री दीदी किचन का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराना है, परंतु लोहरदगा में एक ऐसी तस्वीर नजर आ रही है जो समाज को सोचने पर मजबूर करती है.

दीदी किचन में लाइन में जो भीड़ नजर आती है, उस भीड़ में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं. कोरोना संक्रमण का खतरा वृद्ध और बच्चों पर सबसे ज्यादा है.

सरकार ने भी साफ तौर पर कहा है कि छोटे बच्चों और वृद्धों को किसी भी स्थिति में घर से बाहर ना निकलने दें. इसके बावजूद लोहरदगा में छोटे बच्चों को दीदी किचन में भोजन लेने के लिए लाइन में लगा दिया जाता है. और तो और इन बच्चों से हस्ताक्षर और अंगूठा भी रजिस्टर में लिया जा रहा है.

सोचने वाली बात यह है कि छोटे बच्चों का अंगूठा और हस्ताक्षर भला किस काम का है. यह तो साफ तौर पर खानापूर्ति दिखाई दे रही है. बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

जब सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह रखा है कि छोटे बच्चों को लाइन में नहीं लगाना है तो फिर ऐसी लापरवाही क्यों हो रही है. निश्चित रूप से स्थानीय प्रशासन अभिभावकों को जागरूक करने में अब तक नाकाम रही है.

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यही नहीं कई लोग तो ऐसे भी हैं जो बिना मास्क के ही लाइन में आकर खड़े हो जाते हैं. कुछ लोग मास्क लगा देते भी हैं तो बस शौक और नियम के लिए.

मास्क उनके नाक के नीचे लगा होता है. अब भला ऐसे मास्क लगाने का फायदा भी क्या है. कुल मिलाकर दीदी किचन की लाइन में सिर्फ लापरवाही ही लापरवाही दिखाई दे रही है.

लोहरदगा में दीदी किचन की लाइन में खड़े मासूम व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं. भोजन के नाम पर मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. सरकार के निर्देशों की अवहेलना करते हुए मासूम बच्चों को लाइन में लगाया जा रहा है. ऐसे में कोरोना संक्रमण को लेकर खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है बावजूद इसके सुधार की तस्वीर नजर नहीं आती.

Last Updated : May 7, 2020, 5:04 PM IST
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