लोहरदगा: जिले का इतिहास काफी समृद्धशाली रहा है. लोहरदगा जिला प्रगति के पथ पर अग्रसर है. 17 मई 1983 को लोहरदगा जिला बना. रांची जिले के विभाजन के अंतर्गत लोहरदगा जिले का गठन किया गया. इससे पहले लोहरदगा को 1972 में एक सब-डिवीजन बनाया गया. लोहरदगा के ऐतिहासिक महत्व का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जैन धर्म की पुस्तकों में भगवान महावीर के लोहरदगा आने के साक्ष्य हैं. आईने अकबरी में भी लोहरदगा का जिक्र किया गया है.
लोहरदगा जिले में एकमात्र लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र है. इसके अंतर्गत कुडू, सेन्हा, भंडरा, कैरो, किस्को, पेशरार लोहरदगा नगर परिषद क्षेत्र आते हैं. अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित लोहरदगा विधानसभा आदिवासी बहुल और कृषि प्रधान क्षेत्र है. यहां पर कृषि और पशुपालन ही रोजगार का मुख्य साधन है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार लोहरदगा जिले की आबादी 4 लाख 61 हजार 738 थी, जो अब काफी बढ़ चुकी है. यहां पर लिंग अनुपात 985 है. साक्षरता दर की बात करें, तो यहां 68.29 प्रतिशत लोग साक्षर हैं. लोहरदगा जिला बॉक्साइट की माइंस और कोयल-शंख नदी के कारण भी अपनी पहचान रखता है.
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विधायक सुखदेव भगत का कहना है कि विधानसभा क्षेत्र में वो जिस तरह चाहते थे वैसा विकास नहीं कर सके. इसके लिए उन्होंने सरकारी व्यवस्था पर भी सवाल उठाया है. हालांकि विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि यह क्षेत्र उपेक्षित है. विधायक ने अपनी योजनाओं के शिलान्यास के अलावा कुछ भी नहीं किया. यहां पर विधायक के काम को गिनाने के लिए कुछ भी नहीं है.