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International Women's Day: आखिर क्यों यह महिला है इतनी खास, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर देखिए खास पेशकश

लोहरदगा की सुसरिता एक महिला सशक्तिकरण की बेहतर उदाहरण हैं, वो दिव्यांग हैं लेकिन अपने हौसलों में दम रखती हैं. पुरुष प्रधान समाज में सुसरिता जैसी दिव्यांग महिला ने अपने लिए जगह बनाई और एक अमिट छाप छोड़ी.

International Womens Day
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Published : Mar 8, 2022, 8:11 AM IST

लोहरदगा: समाज में भले ही महिलाओं को कमजोर समझा जाता है. लेकिन इन महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपने आप को साबित कर दिखाया है कि वह किसी से कम नहीं है. मिसाल के तौर पर इस महिला से मिल लीजिए, ये निश्चित रूप से उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने आप को पुरुषों के मुकाबले कमजोर समझती हैं. इस महिला को देखकर आप यह नहीं कहेंगे कि यह कहीं से भी कमजोर है, बल्कि सच मानिए तो इस महिला का हौसला देखकर आपके अंदर भी जिंदगी में संघर्ष करने का जुनून भर जाएगा. देखिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ईटीवी भारत की खास पेशकश.

ये भी पढ़ेंः International Women's Day: विस्थापन के दर्द को पीछे छोड़ 200 महिलाएं कपड़े सिल कर बना रही भविष्य

दिव्यांग है, पर हौसला कम नहीं: नाम सुसरिता, बचपन से ही पोलियो की शिकार, ना ठीक से बोल पाती हैं, ना ठीक से चल पाती हैं, शरीर साथ नहीं देता पर हौसला कमजोर नहीं है. आश्चर्य इस बात की कि तमाम विसंगतियों के बावजूद इन्होंने दसवीं की परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त की. 12वीं की परीक्षा में भी इन्होंने प्रथम श्रेणी से सफलता हासिल की. इतना ही नहीं बी-टेक में भी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण किया. लोहरदगा के रघु टोली की रहने वाली सुसरिता आज उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने आप को पुरुष प्रधान समाज में कमजोर समझती हैं. सुसरिता भले दिव्यांग है, लेकिन हौसले से कमजोर नहीं है. सुसरिता लोहरदगा के निर्वाचन शाखा में दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत हैं. सुसरिता का हौसला देखकर आप भी कहेंगे 'महिला तुझे सलाम'.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सुसरिता महिला सशक्तिकरण की एक बेहतर उदाहरण है. जिस समाज में सामान्य महिलाओं को सम्मान नहीं मिल पाता है, उस समाज में सुसरिता जैसी दिव्यांग महिला ने अपने आप के लिए जगह बनाई और एक अमिट छाप छोड़ दी है. अपने दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्ष की बदौलत सुसरिता ने अपना एक अलग मुकाम, अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है.

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लोहरदगा: समाज में भले ही महिलाओं को कमजोर समझा जाता है. लेकिन इन महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपने आप को साबित कर दिखाया है कि वह किसी से कम नहीं है. मिसाल के तौर पर इस महिला से मिल लीजिए, ये निश्चित रूप से उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने आप को पुरुषों के मुकाबले कमजोर समझती हैं. इस महिला को देखकर आप यह नहीं कहेंगे कि यह कहीं से भी कमजोर है, बल्कि सच मानिए तो इस महिला का हौसला देखकर आपके अंदर भी जिंदगी में संघर्ष करने का जुनून भर जाएगा. देखिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ईटीवी भारत की खास पेशकश.

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दिव्यांग है, पर हौसला कम नहीं: नाम सुसरिता, बचपन से ही पोलियो की शिकार, ना ठीक से बोल पाती हैं, ना ठीक से चल पाती हैं, शरीर साथ नहीं देता पर हौसला कमजोर नहीं है. आश्चर्य इस बात की कि तमाम विसंगतियों के बावजूद इन्होंने दसवीं की परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त की. 12वीं की परीक्षा में भी इन्होंने प्रथम श्रेणी से सफलता हासिल की. इतना ही नहीं बी-टेक में भी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण किया. लोहरदगा के रघु टोली की रहने वाली सुसरिता आज उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने आप को पुरुष प्रधान समाज में कमजोर समझती हैं. सुसरिता भले दिव्यांग है, लेकिन हौसले से कमजोर नहीं है. सुसरिता लोहरदगा के निर्वाचन शाखा में दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत हैं. सुसरिता का हौसला देखकर आप भी कहेंगे 'महिला तुझे सलाम'.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सुसरिता महिला सशक्तिकरण की एक बेहतर उदाहरण है. जिस समाज में सामान्य महिलाओं को सम्मान नहीं मिल पाता है, उस समाज में सुसरिता जैसी दिव्यांग महिला ने अपने आप के लिए जगह बनाई और एक अमिट छाप छोड़ दी है. अपने दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्ष की बदौलत सुसरिता ने अपना एक अलग मुकाम, अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है.

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