लोहरदगा: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने लोहरदगा में कहा है कि लापता मजदूरों के आश्रितों को मुआवजा देने को लेकर राज्य सरकार पहल करे. राज्य सरकार की ओर से लापता मजदूरों के आश्रितों को पांच लाख रुपये मुआवजा देना चाहिए. साथ ही वह एनटीपीसी से बात करते हुए भी लापता मजदूरों के परिजनों को मुआवजा देने की पहल करेंगे.
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बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि सबसे गंभीर विषय यह है कि आखिर यहां के मजदूर रोजगार के लिए पलायन क्यों कर रहे हैं. विशेषकर दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र में पलायन की समस्या सबसे ज्यादा गंभीर है. इसका महत्वपूर्ण कारण है कि यहां पर रोजगार के बड़े साधन नहीं हैं. बॉक्साइट उत्खनन के माध्यम से बहुत ज्यादा लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है. कृषि यहां का मुख्य रोजगार है. सरकार को रोजगार सृजन के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है. जब तक यहां पर रोजगार का सृजन नहीं होगा, तब तक पलायन की समस्या कम नहीं हो सकती है. उन्होंने क्षेत्र भ्रमण के दौरान यह पाया है कि सिर्फ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी छोटे-छोटे बच्चों के साथ हैं हर साल रोजगार की तलाश में उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में रोजगार के लिए पलायन करती हैं. यह तस्वीर बेहद चिंतनीय है. सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए रोजगार सृजन के क्षेत्र में काम करना चाहिए. बाबूलाल मरांडी ने लोहरदगा के लापता मजदूरों के मामले को बेहद दुखदाई बताया.
रोजगार की तलाश में उत्तराखंड के चमोली के लोहरदगा के 9 मजदूरों के लापता होने और एक मजदूर का शव बरामद होने की जानकारी मिलने के बाद बाबूलाल मरांडी ने लापता मजदूरों के परिजनों का हालचाल लिया. उन्होंने कहा कि लापता मजदूरों के आश्रितों को मुआवजा दिलाने को लेकर वह पहल करेंगे. सरकार को क्षेत्र में रोजगार सृजन के क्षेत्र में काम करना चाहिए. जब तक रोजगार की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक पलायन की समस्या खत्म नहीं हो सकती है.