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लोहरदगा में निजी अस्पताल की मनमानी, डेंगू के इलाज के नाम पर थमाया 1 लाख 60 हजार का बिल

लोहरदगा में एक निजी अस्पताल की मनमानी सामने आई है. मलेरिया और डेंगू के इलाज के नाम पर एक लाख 60 हजार रुपये का बिल मरीजों के परिजनों को थमा दिया. बिल जमा नहीं करने पर परिजनों को अस्पताल से छुट्टी नहीं देने की बात भी कही गई. मामला बीजेपी नेता के पास पहुंचने के बाद 80 हजार लेकर परिजनों को अस्पताल से छुट्टी दी गई.

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Published : Nov 13, 2020, 10:20 PM IST

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निजी अस्पताल की मनमानी

लोहरदगा: जिले के शहरी क्षेत्र में स्थित एक निजी अस्पताल ने एक मरीज को मलेरिया और डेंगू के इलाज के नाम पर एक लाख 60 हजार रुपए का बिल थमा दिया. बिल नहीं जमा करने पर मरीज को छुट्टी नहीं देने की बात कही गई. इससे परेशान मरीज के परिजन बीजेपी नेता के पास पहुंचे, जिसके बाद बीजेपी नेता ने अस्पताल पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी ली. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के सदस्यों से 60 हजार रुपये पहले लिए गए थे. उसके बाद 20 हजार रुपये और लिए गए तब जाकर मरीज को छुट्टी दी गई. इस मामले में अस्पताल प्रबंधन अब सफाई दे रहा है.

देखें पूरी खबर

सदर अस्पताल में इलाज के दौरान पहुंचे थे दो बिचौलिए
जिले के भंडरा थाना अंतर्गत मसमानो गांव निवासी केश्वर राम के बेटे दीपक राम को तेज बुखार था. दीपक राम को एक नवंबर को लोहरदगा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 3 नवंबर को शहरी क्षेत्र के जनता अस्पताल का नाम लेकर दो बिचौलिए पहुंचे. उन्होंने कहा कि वह काफी कम खर्च में दीपक राम का इलाज करा देंगे, जिसके बाद बिचौलिए दीपक को लेकर कथित तौर पर जनता अस्पताल आ गए, जहां पर दीपक राम का मलेरिया, टाइफाइड और डेंगू का एक निजी पैथोलॉजी में जांच कराई गई. जांच में दीपक को मलेरिया और डेंगू से प्रभावित पाया गया. इलाज के नाम पर दीपक के परिजनों को एक लाख 60 हजार रुपये का बिल थमा दिया गया. परिजनों ने किसी तरह से 60 हजार रुपये तो दे दिए, लेकिन और बकाया पैसा देने के लिए उनके पास नहीं थे. ऐसे में पिछले 2 दिनों से मरीज को छुट्टी नहीं दी जा रही थी. थक हार कर परिजनों ने बीजेपी नेता से संपर्क किया, जिसके बाद बीजेपी नेता अस्पताल पहुंचे. मीडिया के सक्रिय होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने 20 हजार रुपये लेकर मरीज को छुट्टी दी.

इसे भी पढे़ं:- लोहरदगा में महिला की संदेहास्पद मौत, मायके वालों ने लगाया दहेज हत्या का आरोप

सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार से जब इसे लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि डेंगू की जांच सिर्फ रांची के रिम्स में होती है, लोहरदगा में अब तक डेंगू का कोई भी मरीज नहीं पाया गया है. ऐसे में मरीज को डेंगू से प्रभावित कहा गया है तो यह पूरी तरह से गलत है, मरीज के परिजनों को निजी अस्पताल में जाना ही नहीं चाहिए था. उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में जांच की प्रक्रिया सख्त की जाएगी.

लोहरदगा: जिले के शहरी क्षेत्र में स्थित एक निजी अस्पताल ने एक मरीज को मलेरिया और डेंगू के इलाज के नाम पर एक लाख 60 हजार रुपए का बिल थमा दिया. बिल नहीं जमा करने पर मरीज को छुट्टी नहीं देने की बात कही गई. इससे परेशान मरीज के परिजन बीजेपी नेता के पास पहुंचे, जिसके बाद बीजेपी नेता ने अस्पताल पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी ली. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के सदस्यों से 60 हजार रुपये पहले लिए गए थे. उसके बाद 20 हजार रुपये और लिए गए तब जाकर मरीज को छुट्टी दी गई. इस मामले में अस्पताल प्रबंधन अब सफाई दे रहा है.

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सदर अस्पताल में इलाज के दौरान पहुंचे थे दो बिचौलिए
जिले के भंडरा थाना अंतर्गत मसमानो गांव निवासी केश्वर राम के बेटे दीपक राम को तेज बुखार था. दीपक राम को एक नवंबर को लोहरदगा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 3 नवंबर को शहरी क्षेत्र के जनता अस्पताल का नाम लेकर दो बिचौलिए पहुंचे. उन्होंने कहा कि वह काफी कम खर्च में दीपक राम का इलाज करा देंगे, जिसके बाद बिचौलिए दीपक को लेकर कथित तौर पर जनता अस्पताल आ गए, जहां पर दीपक राम का मलेरिया, टाइफाइड और डेंगू का एक निजी पैथोलॉजी में जांच कराई गई. जांच में दीपक को मलेरिया और डेंगू से प्रभावित पाया गया. इलाज के नाम पर दीपक के परिजनों को एक लाख 60 हजार रुपये का बिल थमा दिया गया. परिजनों ने किसी तरह से 60 हजार रुपये तो दे दिए, लेकिन और बकाया पैसा देने के लिए उनके पास नहीं थे. ऐसे में पिछले 2 दिनों से मरीज को छुट्टी नहीं दी जा रही थी. थक हार कर परिजनों ने बीजेपी नेता से संपर्क किया, जिसके बाद बीजेपी नेता अस्पताल पहुंचे. मीडिया के सक्रिय होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने 20 हजार रुपये लेकर मरीज को छुट्टी दी.

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सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार से जब इसे लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि डेंगू की जांच सिर्फ रांची के रिम्स में होती है, लोहरदगा में अब तक डेंगू का कोई भी मरीज नहीं पाया गया है. ऐसे में मरीज को डेंगू से प्रभावित कहा गया है तो यह पूरी तरह से गलत है, मरीज के परिजनों को निजी अस्पताल में जाना ही नहीं चाहिए था. उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में जांच की प्रक्रिया सख्त की जाएगी.

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