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यूक्रेन से लौटे संदीप ने सुनाया हाल, कहा-भयावह था मंजर - रूस यूक्रेन युद्ध 2022 की कहानी

यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच झारखंड का एक युवक लोहरदगा लौट आया है. यहां संदीप ने यूक्रेन का हाल और वतन वापसी का पूरा किस्सा सुनाया. कहा कि यूक्रेन का मंजर भयावह है.

youth of Lohardaga return in midst of Russia-Ukraine war
लोहरदगा का युवक यूक्रेन में करता है पढ़ाई
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Published : Mar 6, 2022, 5:58 PM IST

लोहरदगा : यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच वहां फंसे भारतीय छात्रों की वापसी का कनेक्शन झारखंड से भी जुड़ गया है. लोहरदगा का एक युवक सकुशल भारत लाया गया तो घर पर उसकी मां के आंखों से आंसू छलक आए. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के दौरान युद्ध शुरू होने के कारण वहां युवक के फंसने से घर वाले चिंतित थे. यहां संदीप ने यूक्रेन का हाल सुनाया. कहा कि, युद्ध का मंजर भयावह था. लोगों को जान बचाने के लिए बंकर में रहना पड़ रहा था.

ये भी पढ़ें- रूस-यूक्रेन युद्ध : 'आर्थिक संकट की ओर बढ़ रही दुनिया', रूस को अपने पेमेंट सिस्टम न होने की खल रही कमी

बता दें कि लोहरदगा के एमबी डीएवी स्कूल रोड जुरिया करम टोली के रहने वाले भाऊल चौधरी और विभा देवी का बेटा संदीप कुमार यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. संदीप मेडिकल का चौथे वर्ष का छात्र है. उसके मुताबिक जब भारत सरकार की ओर से छात्रों के यूक्रेन से निकलने की एडवाइजरी जारी की गई तो उसमें यह स्पष्ट नहीं था कि वापस लौट आना अनिवार्य है. उसको इसका अनुमान भी नहीं था कि परिस्थितियां इतनी विपरीत हो जाएंगी. ऑफलाइन क्लास चलने की वजह से संदीप यूक्रेन में ही रुक गया. इसी बीच युद्ध की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई. इससे उसके माता-पिता चिंतित हो गए. इससे ने अपने बेटे के सुरक्षित लौटने को लेकर प्रार्थना कर रहे थे.

यूक्रेन से लौटे संदीप की दास्तां

संदीप के लोहरदगा लौटने पर उसकी मां ने उसकी आरती उतारी, तिलक लगाया, मिठाई खिलाई. मां ने बेटे की सकुशल वापसी पर भारत सरकार को धन्यवाद भी दिया. साथ ही दूसरे छात्रों के यूक्रेन में फंसे होने पर चिंता भी जताई. संदीप की मां ने कहा कि मेरा बेटा तो लौट आया, पर उस मां का क्या, जिसके बेटे-बेटी अभी भी वहां फंसे हैं. संदीप की मां का कहना था कि ऐसी परिस्थितियां आखिर क्यों बनाई जाती हैं, जबकि इससे मां का कलेजा कांप उठता है.

राष्ट्र ध्वज लहराकर खुशी जताईः संदीप के पिता ने भी भारत सरकार का आभार जताया और कहा कि झारखंड में ही और मेडिकल कॉलेज बनने चाहिए, ताकि भारत के छात्र-छात्राओं को बाहर पढ़ने के लिए न जाना पड़े. वह खुद गरीब हैं और परिस्थितियों को समझ सकते हैं. संदीप ने भी भारत सरकार का आभार जताया. संदीप ने कहा कि निश्चित रूप से भारत सरकार ने यूक्रेन से वापस लौटने में पूरी मदद की. संदीप ने राष्ट्रध्वज लहराकर खुशी भी जताई.

youth of Lohardaga return in midst of Russia-Ukraine war
लोहरदगा का युवक यूक्रेन में करता है पढ़ाई

संदीप ने सुनाई दास्तांः रूस यूक्रेन युद्ध 2022 पर बात करते हुए संदीप ने बताया कि वहां लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. खारकीव, कीव समेत कई शहरों में भीषण युद्ध के कारण हालात बहुत खराब हैं. यहां लोगों को जान बचाने के लिए बंकर में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. वहां लोगों को भोजन के लिए दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वतन वापसी में भारत सरकार की भूमिका पर संदीप ने बताया कि दूतावास से उन्हें समय-समय पर अपडेट दिया जा रहा था कि हमें अब क्या करना चाहिए और कैसे सेफ रहेंगे. संदीप ने बताया कि हंगरी में एंट्री के बाद दूतावास से सहायता की गई. वहां रूम अलॉट कराया गया और वहां से फ्री ऑफ कॉस्ट दिल्ली पहुंचाने की व्यवस्था की गई.

लोहरदगा : यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच वहां फंसे भारतीय छात्रों की वापसी का कनेक्शन झारखंड से भी जुड़ गया है. लोहरदगा का एक युवक सकुशल भारत लाया गया तो घर पर उसकी मां के आंखों से आंसू छलक आए. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के दौरान युद्ध शुरू होने के कारण वहां युवक के फंसने से घर वाले चिंतित थे. यहां संदीप ने यूक्रेन का हाल सुनाया. कहा कि, युद्ध का मंजर भयावह था. लोगों को जान बचाने के लिए बंकर में रहना पड़ रहा था.

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बता दें कि लोहरदगा के एमबी डीएवी स्कूल रोड जुरिया करम टोली के रहने वाले भाऊल चौधरी और विभा देवी का बेटा संदीप कुमार यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. संदीप मेडिकल का चौथे वर्ष का छात्र है. उसके मुताबिक जब भारत सरकार की ओर से छात्रों के यूक्रेन से निकलने की एडवाइजरी जारी की गई तो उसमें यह स्पष्ट नहीं था कि वापस लौट आना अनिवार्य है. उसको इसका अनुमान भी नहीं था कि परिस्थितियां इतनी विपरीत हो जाएंगी. ऑफलाइन क्लास चलने की वजह से संदीप यूक्रेन में ही रुक गया. इसी बीच युद्ध की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई. इससे उसके माता-पिता चिंतित हो गए. इससे ने अपने बेटे के सुरक्षित लौटने को लेकर प्रार्थना कर रहे थे.

यूक्रेन से लौटे संदीप की दास्तां

संदीप के लोहरदगा लौटने पर उसकी मां ने उसकी आरती उतारी, तिलक लगाया, मिठाई खिलाई. मां ने बेटे की सकुशल वापसी पर भारत सरकार को धन्यवाद भी दिया. साथ ही दूसरे छात्रों के यूक्रेन में फंसे होने पर चिंता भी जताई. संदीप की मां ने कहा कि मेरा बेटा तो लौट आया, पर उस मां का क्या, जिसके बेटे-बेटी अभी भी वहां फंसे हैं. संदीप की मां का कहना था कि ऐसी परिस्थितियां आखिर क्यों बनाई जाती हैं, जबकि इससे मां का कलेजा कांप उठता है.

राष्ट्र ध्वज लहराकर खुशी जताईः संदीप के पिता ने भी भारत सरकार का आभार जताया और कहा कि झारखंड में ही और मेडिकल कॉलेज बनने चाहिए, ताकि भारत के छात्र-छात्राओं को बाहर पढ़ने के लिए न जाना पड़े. वह खुद गरीब हैं और परिस्थितियों को समझ सकते हैं. संदीप ने भी भारत सरकार का आभार जताया. संदीप ने कहा कि निश्चित रूप से भारत सरकार ने यूक्रेन से वापस लौटने में पूरी मदद की. संदीप ने राष्ट्रध्वज लहराकर खुशी भी जताई.

youth of Lohardaga return in midst of Russia-Ukraine war
लोहरदगा का युवक यूक्रेन में करता है पढ़ाई

संदीप ने सुनाई दास्तांः रूस यूक्रेन युद्ध 2022 पर बात करते हुए संदीप ने बताया कि वहां लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. खारकीव, कीव समेत कई शहरों में भीषण युद्ध के कारण हालात बहुत खराब हैं. यहां लोगों को जान बचाने के लिए बंकर में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. वहां लोगों को भोजन के लिए दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वतन वापसी में भारत सरकार की भूमिका पर संदीप ने बताया कि दूतावास से उन्हें समय-समय पर अपडेट दिया जा रहा था कि हमें अब क्या करना चाहिए और कैसे सेफ रहेंगे. संदीप ने बताया कि हंगरी में एंट्री के बाद दूतावास से सहायता की गई. वहां रूम अलॉट कराया गया और वहां से फ्री ऑफ कॉस्ट दिल्ली पहुंचाने की व्यवस्था की गई.

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