लोहरदगा: जिले के ज्यादातर क्षेत्र पहाड़ी और जंगली इलाके में फैले हुए हैं. मानसून शुरू होते ही लोगों की जान अटक जाती है. कई लोग असमय काल के गाल में समा जाते हैं. ज्यादातर मौतें मानसून में सांप काटने की वजह से होती है. हर साल कई लोगों की जान सांप काटने की वजह से चली जाती है. इसके पीछे मुख्य वजह जागरूकता का अभाव, समय पर इलाज की व्यवस्था नहीं मिल पाना और अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर झाड़-फूंक में ही लोग जान गवा बैठते हैं. लोहरदगा में किसी दूसरी मौत के आंकड़े सांप काटने के आंकड़ों से कम हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पर सांप किस कदर जहर उगल रहे हैं.
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लोहरदगा जिले में हर साल कई लोगों की जान सांप काटने की वजह से कई लोगों की जान चली जाती है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि सांप काटने की वजह से हर साल बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं. अगर चालू वित्तीय वर्ष में सांप काटने के मामलों की बात करें तो अब तक 3 लोगों की मौत सांप काटने की वजह से हो चुकी है. जबकि जून के महीने में 39 और जुलाई के महीने में 14 लोगों को सांप ने काटा है. सांप काटने से हुई मौत पर आपदा प्रबंधन विभाग 4 लाख तक का मुआवजा देती है. इसके लिए सांप काटने से हुई मौत पर पोस्टमार्टम करना होता है और संबंधित विभाग में इसकी जानकारी देनी होती है.
लोहरदगा जिले में अप्रैल 2021 से लेकर मार्च 2022 तक कुल 117 लोग सर्पदंश के शिकार हुए हैं. वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर वित्तीय वर्ष 2022-23 में वर्तमान समय तक अब तक 14 लोगों की जान सांप काटने की वजह से गई है. जिसमें से वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 3, वित्तीय वर्ष 2021-22 में पांच और चालू वित्तीय वर्ष में 3 लोगों की जान सांप काटने की वजह से जा चुकी है. ज्यादातर मामले ग्रामीण क्षेत्रों में ही सामने आए हैं. समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से कई लोगों की जान गई है. देखने वाली बात यह भी है कि सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होता है. ऐसे में मरीज को इलाज के लिए सीधे सदर अस्पताल या फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर जाना पड़ता है. इसमें काफी वक्त लग जाता है, जिसके कारण लोगों की जान चली जाती है.