लोहरदगा: स्वास्थ्य सेवा में सुधार को लेकर राज्य सरकार की ओर से साल 2007- 2008 में लोहरदगा जिले के कुडू प्रखंड में 100 बेड के अस्पताल भवन का निर्माण कार्य शुरू किया गया था. लगभग 7 करोड़ रुपए की लागत से इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था. योजना को प्रारंभ हुई लगभग 15 साल हो चुके हैं. आज भी योजना अधूरी है. करोड़ों की यह योजना आखिर क्यों पूरी नहीं हो पाई, इसके पीछे की वजह जानिए.
लापरवाही और उदासीनता ने योजना को छोड़ा अधूरा: वर्ष 2007-2008 में लगभग 7 करोड़ रुपए की लागत से कुडू प्रखंड मुख्यालय में इस अस्पताल भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. योजना शुरू हुई तो स्थानीय लोगों में काफी खुशी देखी गई. लोगों को लगा कि अब कुडू में स्वास्थ्य व्यवस्था में काफी सुधार होगा. उस समय पूरे जिले में कहीं भी 100 बेड का अस्पताल नहीं था. कुडू प्रखंड मुख्यालय स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक लंबी छलांग लगाने वाला था. लेकिन स्थानीय लोगों का सपना टूट गया. काफी धीमी गति से निर्माण कार्य, गुणवत्ता में कमी, जांच, संवेदक और विभाग की लापरवाही की वजह से योजना अधूरी रह गई. आज तक यह योजना पूरी नहीं हो पाई.
इस मामले को लेकर स्थानीय समाजसेवी विकास चंद्रा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद साल 2019 में अस्पताल की स्थिति को लेकर एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने काम की स्थिति से सीएम को अवगत कराया था. सीएम ने मामले में त्वरित रूप से कार्रवाई करते हुए जांच और अस्पताल का निर्माण कार्य प्रारंभ करने का निर्देश दिया था. उस समय विकास चंद्रा के पहल की भी सराहना हुई और सीएम के त्वरित पहला को लेकर भी प्रशंसा की गई. इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ. विकास चंद्रा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी मामले से अवगत कराया. बावजूद इसके कोई पहल नहीं हुई. कई बार निर्देश आश्वासन मिला. फिर भी सब कुछ जीरो. आज भी यह अस्पताल अधूरा पड़ा हुआ है.
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