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लोहरदगाः किसानों के लिए वरदान बनी चुकंदर की खेती, कम लागत में मिल रहा है अधिक मुनाफा

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Published : Mar 18, 2020, 2:29 PM IST

Updated : Mar 18, 2020, 5:10 PM IST

बॉक्साइट नगरी लोहरदगा में चुकंदर की खेती किसानों को समृद्ध बना रही है. किसान 10 हजार रुपया लगाकर इससे 30 से 40 हजार रुपए तक कमा लेते हैं. पानी की खपत कम है, ऐसे में इस खेती को करना भी आसान है.

लोहरदगाः
लोहरदगाः

लोहरदगाः राजधानी रांची के करीब स्थित लोहरदगा को बॉक्साइट की नगरी कहा जाता है. यहां पर लाल पत्थर यानी कि बॉक्साइट की प्रचुरता है. बॉक्साइट की नगरी लोहरदगा में एक लाल रंग की खेती किसानों को काफी आकर्षित कर रही है. या कहें कि किसान इस खेती को करके खूब मुनाफा भी कमा रहे हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह खेती महीने 2 महीने नहीं, बल्कि साल भर की जाती है. यह एक एटीएम के समान है अर्थात जब किसानों को जब जरूरत हुई फसल बेचकर मुनाफा कमा लिया. लोहरदगा सेन्हा प्रखंड के अलावा अन्य प्रखंडों में भी बड़े पैमाने पर खेती को किसान पसंद कर रहे हैं.

कम पूंजी में है बेहतर मुनाफा

चुकंदर की खेती कम पूंजी में बेहतर मुनाफा देती है. किसान महज 10 हजार रुपया लगाकर इससे 30 से 40 हजार रुपए तक कमा लेते हैं. पानी की खपत कम है, ऐसे में किसानों के लिए इस खेती को करना भी आसान है.

किसानों के लिए वरदान बनी चुकंदर की खेती

किसान खुद भी कहते हैं कि चुकंदर की मांग साल भर बनी रहती है. व्यापारी खुद खेत में आकर इसे खरीद कर ले जाते हैं. किसानों के लिए यह खेती काफी फायदेमंद साबित हो रही है. वर्तमान समय में दर्जनों किसान इस खेती को अपनाए हुए हैं. आने वाले समय में यह खेती और भी ज्यादा पसंद की जाएगी. कृषि विभाग भी इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की बात कह रहा है.

लोहरदगा जिले में 90 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं है. सिंचाई का मुख्य स्त्रोत नदी, नहर, तालाब और कुआं है. यदि आंकड़ों में बात करें तो लोहरदगा जिले में 55,070 हेक्टेयर क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से महज 7,752 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र है. ऐसे में किसानों के समक्ष खेती को लेकर बड़ी समस्या रहती है.

बीट या चुकंदर की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. कम पानी में भी इसकी बेहतर ढंग से साल भर खेती की जा सकती है. पूरे साल किसान इस खेती से आर्थिक मुनाफा प्राप्त करते हैं. जिले में धान, दलहन, तिलहन, मक्का, मडुआ आदि प्रमुखता के तौर पर होती है. इसके अलावा लगभग 5,102 हेक्टेयर में सब्जी की खेती भी की जाती है. लोहरदगा जिले में 90 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है.

पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं है. सिंचाई का मुख्य स्त्रोत नदी, नहर, तालाब और कुआं है. यदि आंकड़ों में बात करें तो लोहरदगा जिले में 55,070 हेक्टेयर क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है. जिसमें से महज 7,752 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र है.

यह भी पढ़ेंः इसे कहते हैं सांसद आदर्श गांव, जरा आप भी घूम आइए नहीं मिलेगा झारखंड में यह नजारा

ऐसे में किसानों के समक्ष खेती को लेकर बड़ी समस्या रहती है. बीट या चुकंदर की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. कम पानी में भी इसकी बेहतर ढंग से सालों भर खेती की जा सकती है.

पूरे साल किसान इस खेती से आर्थिक मुनाफा प्राप्त करते हैं. जिले में धान, दलहन, तिलहन, मक्का, मडूवा आदि प्रमुखता के तौर पर होती है. इसके अलावा लगभग 5102 हेक्टेयर में सब्जी की खेती भी की जाती है.

बॉक्साइट की नगरी लोहरदगा में लाल खेती से किसान मालामाल हो रहे हैं. लाल खेती कहने का अर्थ बीट या चुकंदर की खेती से है. यहां पर अलग-अलग क्षेत्रों में में बड़े पैमाने पर किसानों द्वारा बीट या चुकंदर की खेती की जा रही है. इससे किसानों को काफी आर्थिक फायदा पहुंच रहा है. हाल के समय में काफी तेजी से किसानों का इस खेती की ओर झुकाव हुआ है.

लोहरदगाः राजधानी रांची के करीब स्थित लोहरदगा को बॉक्साइट की नगरी कहा जाता है. यहां पर लाल पत्थर यानी कि बॉक्साइट की प्रचुरता है. बॉक्साइट की नगरी लोहरदगा में एक लाल रंग की खेती किसानों को काफी आकर्षित कर रही है. या कहें कि किसान इस खेती को करके खूब मुनाफा भी कमा रहे हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह खेती महीने 2 महीने नहीं, बल्कि साल भर की जाती है. यह एक एटीएम के समान है अर्थात जब किसानों को जब जरूरत हुई फसल बेचकर मुनाफा कमा लिया. लोहरदगा सेन्हा प्रखंड के अलावा अन्य प्रखंडों में भी बड़े पैमाने पर खेती को किसान पसंद कर रहे हैं.

कम पूंजी में है बेहतर मुनाफा

चुकंदर की खेती कम पूंजी में बेहतर मुनाफा देती है. किसान महज 10 हजार रुपया लगाकर इससे 30 से 40 हजार रुपए तक कमा लेते हैं. पानी की खपत कम है, ऐसे में किसानों के लिए इस खेती को करना भी आसान है.

किसानों के लिए वरदान बनी चुकंदर की खेती

किसान खुद भी कहते हैं कि चुकंदर की मांग साल भर बनी रहती है. व्यापारी खुद खेत में आकर इसे खरीद कर ले जाते हैं. किसानों के लिए यह खेती काफी फायदेमंद साबित हो रही है. वर्तमान समय में दर्जनों किसान इस खेती को अपनाए हुए हैं. आने वाले समय में यह खेती और भी ज्यादा पसंद की जाएगी. कृषि विभाग भी इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की बात कह रहा है.

लोहरदगा जिले में 90 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं है. सिंचाई का मुख्य स्त्रोत नदी, नहर, तालाब और कुआं है. यदि आंकड़ों में बात करें तो लोहरदगा जिले में 55,070 हेक्टेयर क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से महज 7,752 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र है. ऐसे में किसानों के समक्ष खेती को लेकर बड़ी समस्या रहती है.

बीट या चुकंदर की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. कम पानी में भी इसकी बेहतर ढंग से साल भर खेती की जा सकती है. पूरे साल किसान इस खेती से आर्थिक मुनाफा प्राप्त करते हैं. जिले में धान, दलहन, तिलहन, मक्का, मडुआ आदि प्रमुखता के तौर पर होती है. इसके अलावा लगभग 5,102 हेक्टेयर में सब्जी की खेती भी की जाती है. लोहरदगा जिले में 90 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है.

पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं है. सिंचाई का मुख्य स्त्रोत नदी, नहर, तालाब और कुआं है. यदि आंकड़ों में बात करें तो लोहरदगा जिले में 55,070 हेक्टेयर क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है. जिसमें से महज 7,752 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र है.

यह भी पढ़ेंः इसे कहते हैं सांसद आदर्श गांव, जरा आप भी घूम आइए नहीं मिलेगा झारखंड में यह नजारा

ऐसे में किसानों के समक्ष खेती को लेकर बड़ी समस्या रहती है. बीट या चुकंदर की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. कम पानी में भी इसकी बेहतर ढंग से सालों भर खेती की जा सकती है.

पूरे साल किसान इस खेती से आर्थिक मुनाफा प्राप्त करते हैं. जिले में धान, दलहन, तिलहन, मक्का, मडूवा आदि प्रमुखता के तौर पर होती है. इसके अलावा लगभग 5102 हेक्टेयर में सब्जी की खेती भी की जाती है.

बॉक्साइट की नगरी लोहरदगा में लाल खेती से किसान मालामाल हो रहे हैं. लाल खेती कहने का अर्थ बीट या चुकंदर की खेती से है. यहां पर अलग-अलग क्षेत्रों में में बड़े पैमाने पर किसानों द्वारा बीट या चुकंदर की खेती की जा रही है. इससे किसानों को काफी आर्थिक फायदा पहुंच रहा है. हाल के समय में काफी तेजी से किसानों का इस खेती की ओर झुकाव हुआ है.

Last Updated : Mar 18, 2020, 5:10 PM IST
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