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लोहरदगा में आंख मूंदे बैठा है स्वास्थ्य विभाग, सदर अस्पताल में बच्चों के इलाज की भी नहीं है व्यवस्था - लोहरदग का सदर अस्पताल की अव्यवस्था

लोहरदगा का सदर अस्पताल खुद ही बीमार है. अस्पताल के कई मशीने खंडहर में तब्दील हो चुकी है. जिसके कारण बच्चों के इलाज में काफी दिक्क्त आती है. आलम है कि दवाईयां भी बाहर से खरीदनी पड़ती हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को व्यवस्था में कोई कमी दिखाई ही नहीं पड़ती.

bad condition of Sadhar Hospital in Lohardaga
सदर अस्पताल बीमार
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Published : Feb 13, 2020, 6:00 PM IST

Updated : Feb 13, 2020, 7:56 PM IST

लोहरदगा: जिले सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल खुद ही बीमार है. सदर अस्पताल में कई जरूरी मशीनें खराब पड़ी हुई हैं. इनमें बच्चों के इलाज को लेकर आवश्यक रेडिएंट वार्मर भी शामिल है. रेडिएंट वार्मर खराब होने की वजह से बच्चों के अभिभावकों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों की दौड़ लगानी पड़ती है. अस्पताल में दवाओं का भी वही हाल है. ज्यादातर दवाईयां बाहर से खरीदकर लानी पड़ती हैं. सफाई का अभाव भी अभिभावकों को परेशान करता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

सदर अस्पताल लोहरदगा में बच्चों के इलाज को लेकर समुचित व्यवस्था नहीं होने से अभिभावकों की परेशानी काफी बढ़ी हुई है. अभिभावक खुलकर कहते हैं कि यहां इलाज के नाम पर समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. जबकि सदर अस्पताल पूरे जिले में सबसे बड़ा अस्पताल है. सरकार यहां पर इलाज के लिए लाखों रुपए खर्च करती है, बावजूद इसके मरीजों को पूरी सुविधा तक नहीं मिल पाती है.

नहीं हो पा रहा बच्चों का इलाज

आलम यह है कि एक ही कमरे में जैसे-तैसे तंग हालत में बच्चों को रखना पड़ता है. किस बच्चे को क्या परेशानी है, संक्रमण कैसे फैल जाएगा, यह देखने वाला भी कोई नहीं है. सदर अस्पताल की एक बड़ी परेशानी यहां चिकित्सकों की कमी और चिकित्साकर्मियों का अभाव भी है. आए दिन मरीज और उनके परिजन काफी परेशान होते हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग की अपनी ही दलील है. सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार कहते हैं कि हमारे यहां सदर अस्पताल में दो शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. जो बेहतर ढंग से बच्चों का इलाज कर रहे हैं. यहां किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है, लेकिन इसके विपरीत परिजन काफी परेशान दिखाई देते हैं.

ये भी पढे़ं- रिश्वतखोर अमीन गिरफ्तार, एंटी करप्शन ब्यूरो ने 12 हजार घूस लेते रंगे हाथ दबोचा

साफ-सफाई की भी नहीं है कोई सुविधा

वहीं, परिजनों का कहना है कि यहां सुविधाओं को बेहतर करने की जरूरत है. सबसे अधिक साफ-सफाई और व्यवस्था को बेहतर करना होगा. तब जाकर सदर अस्पताल खुद बीमारी से निकल पाएगा. जब तक सदर अस्पताल खुद स्वस्थ नहीं होगा तब तक वह मरीजों का इलाज भला कैसे करेगा. लोहरदगा सदर अस्पताल में हर दिन सैकड़ों की संख्या में मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. सिर्फ आउटडोर में ही हर दिन 300 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जाता है. इसके अलावा इनडोर में भी हर समय 30 से 40 मरीज भर्ती रहते हैं. इसके अलावा अलग-अलग जांच के लिए भी मरीज बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

परेशानियों से जूझ रहा अस्पताल

ज्यादातर मशीनों के खराब पड़े होने की वजह से अक्सर उन्हें परेशानी झेलनी पड़ती है. वर्तमान समय में रेडिएंट वार्मर के अलावे ईसीजी मशीन भी बेकार पड़ा हुआ है. डिजिटल एक्सरे नहीं होने के कारण एक्सरे बेहतर लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा भी कई परेशानियां हैं. जिससे सदर अस्पताल जूझ रहा है. व्यवस्था को दुरुस्त किए बिना स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर नहीं बनाया जा सकता है.

लोहरदगा: जिले सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल खुद ही बीमार है. सदर अस्पताल में कई जरूरी मशीनें खराब पड़ी हुई हैं. इनमें बच्चों के इलाज को लेकर आवश्यक रेडिएंट वार्मर भी शामिल है. रेडिएंट वार्मर खराब होने की वजह से बच्चों के अभिभावकों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों की दौड़ लगानी पड़ती है. अस्पताल में दवाओं का भी वही हाल है. ज्यादातर दवाईयां बाहर से खरीदकर लानी पड़ती हैं. सफाई का अभाव भी अभिभावकों को परेशान करता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

सदर अस्पताल लोहरदगा में बच्चों के इलाज को लेकर समुचित व्यवस्था नहीं होने से अभिभावकों की परेशानी काफी बढ़ी हुई है. अभिभावक खुलकर कहते हैं कि यहां इलाज के नाम पर समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. जबकि सदर अस्पताल पूरे जिले में सबसे बड़ा अस्पताल है. सरकार यहां पर इलाज के लिए लाखों रुपए खर्च करती है, बावजूद इसके मरीजों को पूरी सुविधा तक नहीं मिल पाती है.

नहीं हो पा रहा बच्चों का इलाज

आलम यह है कि एक ही कमरे में जैसे-तैसे तंग हालत में बच्चों को रखना पड़ता है. किस बच्चे को क्या परेशानी है, संक्रमण कैसे फैल जाएगा, यह देखने वाला भी कोई नहीं है. सदर अस्पताल की एक बड़ी परेशानी यहां चिकित्सकों की कमी और चिकित्साकर्मियों का अभाव भी है. आए दिन मरीज और उनके परिजन काफी परेशान होते हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग की अपनी ही दलील है. सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार कहते हैं कि हमारे यहां सदर अस्पताल में दो शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. जो बेहतर ढंग से बच्चों का इलाज कर रहे हैं. यहां किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है, लेकिन इसके विपरीत परिजन काफी परेशान दिखाई देते हैं.

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साफ-सफाई की भी नहीं है कोई सुविधा

वहीं, परिजनों का कहना है कि यहां सुविधाओं को बेहतर करने की जरूरत है. सबसे अधिक साफ-सफाई और व्यवस्था को बेहतर करना होगा. तब जाकर सदर अस्पताल खुद बीमारी से निकल पाएगा. जब तक सदर अस्पताल खुद स्वस्थ नहीं होगा तब तक वह मरीजों का इलाज भला कैसे करेगा. लोहरदगा सदर अस्पताल में हर दिन सैकड़ों की संख्या में मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. सिर्फ आउटडोर में ही हर दिन 300 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जाता है. इसके अलावा इनडोर में भी हर समय 30 से 40 मरीज भर्ती रहते हैं. इसके अलावा अलग-अलग जांच के लिए भी मरीज बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

परेशानियों से जूझ रहा अस्पताल

ज्यादातर मशीनों के खराब पड़े होने की वजह से अक्सर उन्हें परेशानी झेलनी पड़ती है. वर्तमान समय में रेडिएंट वार्मर के अलावे ईसीजी मशीन भी बेकार पड़ा हुआ है. डिजिटल एक्सरे नहीं होने के कारण एक्सरे बेहतर लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा भी कई परेशानियां हैं. जिससे सदर अस्पताल जूझ रहा है. व्यवस्था को दुरुस्त किए बिना स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर नहीं बनाया जा सकता है.

Last Updated : Feb 13, 2020, 7:56 PM IST
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