लोहरदगा: जिले के अति नक्सल प्रभावित पेशरार की घाटियों में चार अक्टूबर 2000 को नक्सलियों ने वारदात को अंजाम देकर तत्कालीन एसपी अजय कुमार सिंह की हत्या कर दी थी. शहीद एसपी अजय कुमार सिंह की स्मृति में लोहरदगा शहरी क्षेत्र के बरवाटोली में अजय उद्यान की स्थापना की गई थी. यह उद्यान मूल रूप से छोटे बच्चों के लिए एक क्रीड़ा स्थल के रूप में विकसित किया गया था. जिससे कि शहीद की स्मृति में बने इस पार्क में हमेशा बच्चों की किलकारियां गूंजती रहे. कोविड-19 संक्रमण काल ने कुछ ऐसा प्रभाव फैलाया कि आज यह उद्यान वीरान पड़ गया है. सरकार के आदेश के बाद पार्क तो खोला गया, परंतु आज भी काफी कम संख्या में बच्चे यहां पर नजर आते हैं. हर किसी के चेहरे पर जैसे एक अनजाना खौफ दिखाई देता है.
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बच्चों की उपस्थिति पर पड़ा काफी असर
शहरी क्षेत्र में एकमात्र पार्क होने की वजह से अजय उद्यान में दिनभर बच्चों की भीड़ लगी रहती थी. रविवार और अवकाश के दिन में तो अजय उद्यान में पैर रखने की जगह भी नहीं होती थी, परंतु जब से कोरोना का संक्रमण फैला, तब से पार्क को बंद कर दिया गया. अब पार्क को खोला गया है, परंतु बच्चों की उपस्थिति पर काफी हद तक असर पड़ा है. सामान्य दिनों में जहां अजय उद्यान पार्क में 200 से 300 बच्चे प्रतिदिन आते थे. वहीं वर्तमान समय में यह संख्या सिमटकर 20-25 में रह गई है. यही नहीं अभिभावक भी अपने बच्चों को लेकर अजय उद्यान में आना फिलहाल सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. अभिभावकों के चेहरे पर एक खौफ दिखाई देता है. उन्हें डर सताता है कि कहीं संक्रमण उनके घर तक न पहुंच जाए.
शहीद एसपी अजय कुमार सिंह की स्मृति में बनाए गए अजय उद्यान का संचालन अजय सिंह ट्रस्ट के माध्यम से किया जाता है. यहां पर देखरेख और सुविधाओं को लेकर अजय सिंह ट्रस्ट के सदस्य काम करते हैं. कोरोना संक्रमण काल के दौरान यहां पर देखरेख और सुविधाओं पर असर पड़ा. जब यहां कोई आने नहीं लगा तो यहां पर साफ-सफाई और सुविधाओं का ध्यान रखने पर भी किसी का ध्यान नहीं गया. आज हालात ऐसे हैं कि बच्चों के खेलने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है. साफ-सफाई का अभाव है. यहां पर ज्यादातर समय प्रेमी युगल की भीड़ ही दिखाई देती है. बच्चों की किलकारियां काफी कम गूंजती है. अजय उद्यान की हालत चिंतित करने वाली है.
लंबे समय तक कोविड-19 के कारण बच्चे घर में ही रहे. ऑनलाइन क्लास और इंडोर गेम के माध्यम से समय काट रहे थे. मनोरंजन का साधन नहीं मिलने से बच्चों के मन मस्तिष्क पर और उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा था. ऐसे में पार्क तो खुल गया, पर पार्क में आज भी बच्चों की संख्या काफी कम है. वजह साफ है कि अभिभावकों को डर सताता है कि कहीं covid-19 के तीसरी लहर का असर उनके बच्चों पर न पड़ जाए. जाने कौन-कौन से प्रभावित हो और वह उनके बच्चों को भी प्रभावित कर दे. यही वजह है कि अजय उद्यान सहित दूसरे सार्वजनिक स्थलों में भी अभिभावक अपने बच्चों को लेकर जाना पसंद नहीं करते हैं.