लातेहार: सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रक्रिया को लेकर आम लोगों में सामान्य तौर पर अच्छी धारणा नहीं होती है, लेकिन यदि अधिकारी अपने काम के प्रति ईमानदार हो तो सरकारी योजनाएं लोगों तक सही ढंग से पहुंच जाती हैं. लातेहार सदर प्रखंड के बिरहोर आदिम जनजातियों का गांव बिनगाड़ा इसका उदाहरण है. इस गांव के लोगों को कुछ दिन पहले तक बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ता था, लेकिन आज हर ग्रामीण के घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंच रहा है. इस योजना को सही ढंग से क्रियान्वयन कराने में लातेहार पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता जितेंद्र कुजूर की भूमिका महत्वपूर्ण रही.
ये भी पढ़ें-Water Scarcity in Latehar: मार्च महीने में ही पानी की जद्दोजहद शुरू, ग्रामीणों के हालात देख हैरान हुए अधिकारी
पहले बिनगाड़ा में पेयजल समस्या थी विकरालः दरअसल, सदर प्रखंड का बिनगाड़ा गांव लातेहार जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस गांव में बड़ी संख्या में आदिम जनजाति बिरहोर परिवार रहते हैं. कुछ वर्ष पहले तक यहां के ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ता था. अपनी प्यास बुझाने के लिए लोगों को गांव से लगभग 1.30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नदी के पानी पर निर्भर रहना पड़ता था. हालांकि प्रशासन के द्वारा यहां पेयजल की व्यवस्था करने का प्रयास किया गया, लेकिन पानी का लेयर नहीं मिलने के कारण समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था.
ग्रामीणों ने पूर्व डीसी को कराया था समस्या से अवगतः इधर, लातेहार के पूर्व डीसी अबु इमरान क्षेत्र भ्रमण के दौरान बिनगाड़ा गांव पहुंच कर ग्रामीणों से मिले थे. ग्रामीणों ने उपायुक्त को गांव में व्याप्त पेयजल संकट के संबंध में जानकारी दी थी. उपायुक्त ने इसे गंभीरता से लेते हुए मामले में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता जितेंद्र कुजूर को दिया था.
डीसी के निर्देश पर सक्रिय हुए कार्यपालक अभियंता: डीसी का निर्देश मिलते ही कार्यपालक अभियंता तत्काल अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे थे और ग्रामीणों के घर-घर तक पानी पहुंचाने की योजना बनाने लगे. प्रधानमंत्री नल-जल योजना के तहत इस गांव के हर घर में पानी पहुंचाने के लिए कार्य योजना तैयार की गई. पूरी योजना की रिपोर्ट तैयार करने के बाद सरकार के पास योजना को स्वीकृति के लिए भेजी गई. सरकार से स्वीकृति मिलते ही योजना को धरातल पर उतारने का कार्य आरंभ किया गया. योजना के क्रियान्वयन के दौरान कार्यपालक अभियंता खुद भी इसकी मॉनिटरिंग करते रहे. जिसका प्रतिफल हुआ कि सही समय गांव में यह योजना धरातल पर उतर गई.
गांव के हर घर में पानी पहुंचने पर ग्रामीणों में उत्साह: इधर, बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे ग्रामीणों के घर में जब पानी पहुंच गया तो ग्रामीणों का उत्साह चरम पर था. ग्रामीण पृथ्वी बिरहोर, फूलो बिरहोरिन समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि पहले उन लोगों को पानी के लिए दिन भर परेशान रहना पड़ता था. गांव से डेढ़ से दो किलोमीटर दूरी पर स्थित नदी से पानी लाकर घर का काम करते थे, लेकिन अब सरकार ने प्रत्येक घर में नल लगाकर पानी पहुंचा दिया. जिससे उन्हें काफी सहूलियत हो रही है.
तरवाडीह पंचायत के हर गांव में पहुंची नल-जल योजनाः इधर, गांव के मुखिया जुलेश्वर लोहरा भी कहते हैं कि यहां के ग्रामीणों को पानी के लिए काफी परेशानी होती थी, लेकिन अब हर ग्रामीण के घर में पानी पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि उनकी पंचायत तरवाडीह के प्रत्येक गांव में नल-जल योजना का लाभ मिल गया है. अब यहां के किसी भी ग्रामीण को चुआं का पानी नहीं पीना पड़ता है.
पांच साल तक मेंटेनेंस भी करेगा संवेदक:इधर, इस संबंध में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता जितेंद्र कुजूर ने कहा कि प्रधानमंत्री नल-जल योजना के तहत प्रत्येक घर में पानी पहुंचाना उनकी पहली प्राथमिकता है. इस काम में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि जहां भी नल-जल योजना के तहत पानी पहुंचाया जा रहा है उस योजना का मेंटेनेंस भी आगामी पांच वर्षों तक संवेदक के द्वारा किया जाएगा.