लातेहार: जिले के जंगल, ग्रामीणों को हर मौसम में कोई न कोई कमाई का जरिया सौगात के रूप में दे ही देते हैं. वर्तमान मौसम में लातेहार के जंगलों में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खुखड़ी का उत्पादन हो रहा है. जिसे लोग शाकाहारी मटन के रूप में भी जानते हैं. इससे ग्रामीणों को बिना पूंजी लगाए अच्छी आमदनी हो जा रही है. वहीं, आम लोगों के खाने का जायका भी बढ़ गया है.
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क्या है खुखड़ी
खुखड़ी मशरूम की तरह दिखता है. खुखड़ी में भी कई किस्म हैं. पुटो व सोरवा खुखड़ी अधिक प्रचालित है. सब्जी के अलावा इसका उपयोग दवाई बनाने में भी किया जाता है. दरअसल, लातेहार के जंगली क्षेत्रों में बरसात की पहली बारिश के साथ बड़े पैमाने पर देसी मशरूम का उत्पादन आरंभ हो गया है. इसे स्थानीय भाषा में लोग खुखड़ी या पुटको कहते हैं. ग्रामीण रोज सुबह जंगलों में जाकर देसी मशरूम को लाते हैं और सड़क के किनारे बैठकर बेचते हैं. सड़क से आने-जाने वाले लोग रुक कर बड़े चाव से इसे खरीदते हैं और इसकी सब्जी बनाकर खाते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि ग्रामीणों को इसके उत्पादन के लिए न तो कोई मेहनत करनी पड़ती है और न ही इसके व्यवसाय के लिए कोई पूंजी की जरूरत पड़ती है. बस जंगल में जाकर थोड़ी मेहनत करते हैं और प्राकृतिक मशरूम को बेचकर अच्छी आमदनी कर लेते हैं.
मटन के जैसा खाने में देता है स्वाद
स्थानीय लोगों के अनुसार प्राकृतिक मशरूम का स्वाद मटन के जैसा होता है. लातेहार जिला प्रशासन में एक बड़े पद पर कार्यरत अभियंता हलधर प्रसाद बरनवाल भी प्राकृतिक मशरूम की खरीदारी करने आए थे. उन्होंने बताया कि यह पूरी तरह प्राकृतिक होने के कारण खाने में काफी स्वादिष्ट होता है. इसमें कई प्रकार के विटामिन और प्रोटीन भी पाए जाते हैं. जिससे लोगों को काफी फायदा मिलता है. उन्होंने कहा कि क्योंकि इसका स्वाद खाने में मटन के जैसा होता है, इसलिए लोग इसे शाकाहारी मांस भी कहते हैं.
NH के किनारे लगता है बाजार
सबसे अच्छी बात यह है कि ग्रामीणों को इसे बेचने के लिए किसी बड़े बाजार में जाने की जरूरत नहीं होती है. शहर से दूर जंगली इलाकों से गुजरने वाली एनएच के किनारे बैठकर ग्रामीण इसे बेचते हैं. ग्राहक दूरदराज से आकर ग्रामीणों से प्राकृतिक मशरूम की खरीदारी करते हैं.