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बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोग, किसको सुनाएं फरियाद, बताओ 'सरकार'

सालोडीह गांव पूरी तरह से आदिवासी बहुल गांव है. गांव के लगभग 50 परिवार के लिए सरकार के स्तर से चापानल भी लगाया गया, लेकिन चापाकल गर्मी के दस्तक देते ही खराब हो गए. ग्रामीणों के द्वारा बार-बार आवेदन देने के बावजूद चापानलों को बनाने के लिए प्रशासन या जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई.

बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे दुमका के लोग
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Published : Jun 20, 2019, 3:02 PM IST

लातेहार: गर्मी का प्रकोप अपने चरम पर पहुंच गया है. ऐसे में जल स्तर नीचे चला जाना सामान्य सी बात लगती है, लेकिन सदर प्रखंड के सालोडीह गांव में इस बार जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है. गांव के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. गांव में लगे सभी चापानल खराब हो गए हैं. खेती के लिए बनाए गए कुओं में भी पानी लगभग खत्म हो गया है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

दरअसल, सालोडीह गांव पूरी तरह से आदिवासी बहुल गांव है. गांव के लगभग 50 परिवार के लिए सरकार के स्तर से चापानल भी लगाया गया, लेकिन चापाकल गर्मी के दस्तक देते ही खराब हो गए. ग्रामीणों के द्वारा बार-बार आवेदन देने के बावजूद चापानलों को बनाने के लिए प्रशासन या जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई.

एक कुएं के भरोसे ग्रामीण किसी तरह अब तक अपनी प्यास बुझाते रहे, लेकिन अब कुआं भी सूखने की कगार पर आ गया है. रात भर में कुएं से बमुश्किल 20-25 बाल्टी पानी जमा होता है. इसके लिए सुबह से ही ग्रामीण लाइन में लग जाते हैं. इस संबंध में ग्रामीण महिला फुलवा देवी ने कहा कि गांव में चापाकल खराब है. कुआं सूख चुका है, लेकिन कहीं से ग्रामीणों को कोई मदद नहीं मिल रही है.

नेत्रहीन छोटू को होती है परेशानी
पेयजल संकट से सबसे ज्यादा परेशान नेत्रहीन छोटू उरांव है. गांव के अन्य लोग तो किसी तरह दूर-दराज जाकर पीने का पानी ले आते हैं, लेकिन छोटू पानी लाने में असमर्थ है. छोटू ने कहा कि उसे कोई मदद करने वाला नहीं है.

शौचालय तो बना पर कैसे हो उपयोग
गांव में लगभग सभी घरों में शौचालय तो बनकर तैयार है, लेकिन पानी के अभाव में ग्रामीण उसका उपयोग कैसे करें, यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है. ग्रामीण सकेंद्र अगरिया ने कहा कि गांव में पीने के लिए तो पानी ही नहीं मिल रहा है, तो वो लोग शौचालय का उपयोग कैसे करेंगे. वहीं, इस संबंध में पूछने पर लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने कहा कि वो मामले की जानकारी ले रहे हैं. जल्द ही पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा.

लातेहार: गर्मी का प्रकोप अपने चरम पर पहुंच गया है. ऐसे में जल स्तर नीचे चला जाना सामान्य सी बात लगती है, लेकिन सदर प्रखंड के सालोडीह गांव में इस बार जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है. गांव के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. गांव में लगे सभी चापानल खराब हो गए हैं. खेती के लिए बनाए गए कुओं में भी पानी लगभग खत्म हो गया है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

दरअसल, सालोडीह गांव पूरी तरह से आदिवासी बहुल गांव है. गांव के लगभग 50 परिवार के लिए सरकार के स्तर से चापानल भी लगाया गया, लेकिन चापाकल गर्मी के दस्तक देते ही खराब हो गए. ग्रामीणों के द्वारा बार-बार आवेदन देने के बावजूद चापानलों को बनाने के लिए प्रशासन या जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई.

एक कुएं के भरोसे ग्रामीण किसी तरह अब तक अपनी प्यास बुझाते रहे, लेकिन अब कुआं भी सूखने की कगार पर आ गया है. रात भर में कुएं से बमुश्किल 20-25 बाल्टी पानी जमा होता है. इसके लिए सुबह से ही ग्रामीण लाइन में लग जाते हैं. इस संबंध में ग्रामीण महिला फुलवा देवी ने कहा कि गांव में चापाकल खराब है. कुआं सूख चुका है, लेकिन कहीं से ग्रामीणों को कोई मदद नहीं मिल रही है.

नेत्रहीन छोटू को होती है परेशानी
पेयजल संकट से सबसे ज्यादा परेशान नेत्रहीन छोटू उरांव है. गांव के अन्य लोग तो किसी तरह दूर-दराज जाकर पीने का पानी ले आते हैं, लेकिन छोटू पानी लाने में असमर्थ है. छोटू ने कहा कि उसे कोई मदद करने वाला नहीं है.

शौचालय तो बना पर कैसे हो उपयोग
गांव में लगभग सभी घरों में शौचालय तो बनकर तैयार है, लेकिन पानी के अभाव में ग्रामीण उसका उपयोग कैसे करें, यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है. ग्रामीण सकेंद्र अगरिया ने कहा कि गांव में पीने के लिए तो पानी ही नहीं मिल रहा है, तो वो लोग शौचालय का उपयोग कैसे करेंगे. वहीं, इस संबंध में पूछने पर लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने कहा कि वो मामले की जानकारी ले रहे हैं. जल्द ही पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा.

Intro:बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं इस गांव के ग्रामीण---- पाताल में पहुंचा जलस्तर

लातेहार. गर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है. ऐसे में जल स्तर नीचे चला जाना सामान्य सी बात लगती है. परंतु सदर प्रखंड के सालोडीह गांव में इस बार जल संकट विकराल रूप धारण कर लिया है .गांव के ग्रामीण बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. गांव में लगे सभी चापानल खराब हो गए हैं. खेती के लिए बनाए गए कुँओं मे भी पानी लगभग खत्म हो गया है. विक्राल जल संकट से ग्रामीण परेशान हैं.


Body:दरअसल सालोडीह गांव पूरी तरह से आदिवासी बहुल गांव है. गांव के लगभग 50 परिवार के लिए सरकार के स्तर से चापानल भी लगाया जाए, परंतु चापाकल गर्मी के दस्तक देते हैं खराब हो गए थे. ग्रामीणों के द्वारा बार-बार आवेदन देने के बावजूद चापा नलों को बनाने की दिशा में प्रशासन या जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. एक कुएं के भरोसे ग्रामीण किसी तरह तो अब तक अपनी प्यास बुझाते रहें .परंतु अब कुआं भी पूरी तरह जवाब दे दिया है. रात भर में कुएं में मुश्किल से 20 25 बाल्टी पानी जमा होता है. जिसके लिए सुबह से ही ग्रामीण लाइन में लग जाते हैं. इस संबंध में ग्रामीण महिला फुलवा देवी ने कहा कि गांव में चापाकल खराब है ,कुआं सूख चुका है, परंतु कहीं से ग्रामीणों को कोई मदद नहीं मिल रही है.
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नेत्रहीन छोटू को होती है परेशानी
पेयजल संकट से सबसे ज्यादा परेशान नेत्रहीन छोटू उरांव है. गांव के अन्य लोग तो किसी प्रकार दूरदराज जाकर पीने का पानी ले आते हैं .परंतु छोटू पानी लाने में असमर्थ है. छोटू ने कहा कि उसे कोई मदद करने वाला नहीं है.
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शौचालय तो बना पर कैसे हो उपयोग
गांव में लगभग सभी घरों में शौचालय तो बनकर तैयार है. परंतु पानी के अभाव में ग्रामीण उसका उपयोग कैसे करें ,यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है. ग्रामीण सकेंद्र अगरिया ने कहा कि गांव में पीने के लिए तो पानी ही नहीं मिल रहा है तो वे लोग शौचालय का उपयोग कैसे करेंगे? वही इस संबंध में पूछने पर लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने कहा कि वे मामले की जानकारी ले रहे हैं .जल्द ही पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा.

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byte- ग्रामीण महिला फुलवा देवी
byte- नेत्रहीन ग्रामीण छोटू उरांव
byte- ग्रामीण सकेंद्र अगरिया
byte- प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक


Conclusion:गांव में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की सरकार के दावे पूरी तरह फेल हो रहे हैं .मरम्मत के अभाव में बंद पड़े चापाकल प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं.

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