लातेहार: लोगों की प्यास बुझाने के लिए सरकारी स्तर पर गांव में बड़े पैमाने पर जल मीनार लगाए गए, लेकिन यह जल मीनार आज खुद ही प्यासे हैं. हाथी के दांत बने खराब पड़े जलमीनार सरकारी सिस्टम को मुंह चिढ़ा रहे हैं.
दरअसल, लातेहार में ग्रामीणों तक शुद्ध पानी आसानी से पहुंचाने को लेकर बड़े पैमाने पर जल मीनार लगाए गए, लेकिन सरकारी सिस्टम की खामियां इस जल मीनार में भी दीमक की तरह लग गई. निर्माण के कुछ ही दिनों बाद जल मीनार खराब हो गए और वह हाथी दांत बन गए. लातेहार सदर प्रखंड की बेंदी पंचायत में लगाए गए 1 दर्जन से ज्यादा जल मीनार खराब पड़े हुए हैं. ऐसे में ग्रामीणों को आज भी पानी के लिए कुआं, नदी और चुंआड़ी का सहारा लेना पड़ रहा है.
कुआं पर निर्भर लोग
सदर प्रखंड की बेंदी पंचायत के आंगनबाड़ी के पास लगभग 1 साल पहले सोलर आधारित जल मीनार लगाया गया था. जल मीनार लगने के बाद ग्रामीणों को उम्मीद थी कि उन लोगों को साफ पानी पीने को मिल सकेगा. हालांकि जल मीनार में लगे सोलर सिस्टम की गुणवत्ता इतनी निम्न थी कि एक माह के अंदर ही यह खराब हो गई. ऐसे में ग्रामीणों को फिर से कुआं पर निर्भर होना पड़ा. ग्रामीण हशमत अंसारी ने कहा कि उनकी पंचायत में जितने भी जल मीनार लगाए गए उनमें अधिकांश जल मीनार वर्तमान में खराब पड़े हैं. वहीं, ग्रामीण महिला फरीदा बानो और रजिया ने कहा कि जल मीनार खराब होने के कारण उन लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस भीषण गर्मी में ग्रामीणों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. कुएं के पानी से ही उनका काम चल रहा है. ग्रामीण भरोसा सिंह ने कहा कि कई बार जल मीनार बनाने के लिए वो लोग अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई उनकी बात नहीं सुन रहा है.
जल मीनार सही होता तो नहीं होता पेयजल संकट
ग्रामीणों का कहना है कि यदि गांव में लगाए गए जल मीनार सही सलामत होते, तो आज गांव में पेयजल संकट नहीं होता. ग्रामीणों ने कहा कि जिस प्रकार निम्न गुणवत्ता के जल मीनार लगाए गए उससे यह स्पष्ट है कि यह योजना ग्रामीणों को लाभ देने के लिए नहीं बल्कि लोग अपना खजाना भरने के लिए लागू किए थे.
जल मीनार को बनाने का दिया गया आदेश
इस संबंध में लातेहार उपायुक्त अबु इमरान ने कहा कि जिले में जितने भी जल मीनार खराब पड़े हैं, उसे बनाने का आदेश संबंधित संवेदक को दिया गया है. उन्होंने कहा कि किसी भी गांव में पेयजल संकट नहीं होने दिया जाएगा.