लातेहार: महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा भले ही मजदूरों के हित को ध्यान में रखकर बनाई गई है. लेकिन लातेहार में यह योजना अब बिचौलियों के मकड़जाल में पूरी तरह फंस गई है. लातेहार सदर प्रखंड के सीसी पंचायत में मनरेगा में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है. यहां लाभुकों के जानकारी के बिना ही उनके नाम की योजनाओं को पूरा दिखा दिया गया है. बिचौलियों ने पैसे की भी बंदरबांट कर ली. लाभुकों ने जब इसकी शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से की तो मामले की जांच शुरू हुई है.
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सदर प्रखंड के कमलेश सिंह के नाम से मनरेगा योजना के तहत टीसीबी योजना की स्वीकृति मिली थी. हालांकि कमलेश सिंह को इसकी जानकारी नहीं थी. 2 दिन पूर्व कमलेश सिंह अचानक अपने घर से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित अपने जमीन को देखने गया तो वहां पाया कि उसके जमीन में कई स्थानों पर छोटे-छोटे गड्ढे खोद दिए गए हैं. बाद में गांव के कुछ लोगों ने बताया कि उसकी जमीन पर टीसीबी खोदी गई है. गांव के ही कुछ जानकारों ने मोबाइल ऐप से देखकर कमलेश सिंह को बताया कि उसके नाम से टीसीबी स्वीकृत हुई थी, जो पूर्ण हो गई और पैसे भी निकल गए हैं. इस बात की जानकारी होने के बाद कमलेश सिंह परेशान हो गए और इसकी शिकायत उन्होंने प्रखंड विकास पदाधिकारी से की. ग्रामीणों की शिकायत को प्रखंड विकास पदाधिकारी ने पूरी गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच करने की बात कही.
पूरे पंचायत में हो रहा है मनरेगा में गड़बड़ी: इधर, वार्ड सदस्य ने आरोप लगाया कि उन्हें संदेह है कि पूरे पंचायत में मनरेगा योजना में धांधली की जा रही है. उनका कहना है कि रोजगार सेवक से योजनाओं की सूची मांगी जाती है तो जनप्रतिनिधियों को भी सूची नहीं दी जा रही है. जब तक सूची नहीं मिलेगी तब तक कैसे पता चलेगा कि पंचायत में कौन सी योजना स्वीकृत हुई है, और कौन सी योजना चल रही है? उन्होंने कहा कि जिस प्रकार यहां योजनाओं को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है, उससे स्पष्ट है कि पूरे पंचायत में विकास योजनाओं में जमकर धांधली की जा रही है.
टीसीबी में करना है 3 फिट गड्ढा, पर 6 इंच गड्ढा कर निकाले जा रहे पैसे: स्थानीय ग्रामीण विजय सिंह ने आरोप लगाया कि सरकारी प्रावधान है कि टीसीबी में 3 फिट गड्ढा करना है, ताकि बरसात का पानी गड्ढे में जमा हो सके. लेकिन यहां मात्र 6 इंच गड्ढा कर पैसे का बंदरबांट कर लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पंचायत में कई स्थानों पर तो पुराने गड्ढे को ही साफ कर पैसे निकाल लिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना में यह प्रावधान है कि जिस गांव में काम हो रहा हो, उसी गांव के मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर काम देना है. लेकिन इस पंचायत में तो शहरी क्षेत्र के मजदूरों के नाम से पैसे निकाले जा रहे हैं. इस दौरान विजय सिंह के अलावा अन्य ग्रामीणों ने कहा कि इस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामीण आंदोलन करने को विवश हो जाएंगे.
प्रखंड विकास पदाधिकारी ने दिए जांच के आदेश: इस संबंध में लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी मेघनाथ उरांव ने कहा कि ग्रामीणों के द्वारा शिकायत मिली है. ग्रामीणों का आरोप है कि फर्जी तरीके से योजनाओं के पैसे निकाले जा रहे हैं. इस मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद निश्चित रूप से दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. मनरेगा योजना में मजदूरों का हक मारने वाले बिचौलियों तथा भ्रष्ट कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि मजदूरों को उनका हक मिल सके.