लातेहारः प्रकृति जीव जगत के लिए अनुपम उपहार अपने आंचल में संजोए रखा है. ऐसे ही उपहारों में एक डोरी का फल भी है. औषधीय और बहुगुणी खूबियों से भरपूर डोरी ग्रामीणों के लिए वरदान साबित होता है. इससे न सिर्फ ग्रामीणों को खाद्य तेल प्रचुर मात्रा में मिल जाता है, बल्कि आमदनी भी काफी होती है. इसके अलावा विषैले सांपों से भी यह ग्रामीणों की रक्षा करता है.
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डोरी का फल महुआ के पेड़ का फल है. बरसात के आगमन से पूर्व जब महुआ का सीजन समाप्त हो जाता है तो कुछ दिन के बाद डोरी का फल प्रचुर मात्रा में फलने लगता है. डोरी के फल को चुनने के बाद ग्रामीण उसके बीज को निकालते हैं और धूप में सुखाते हैं. सूखे हुए बीज को उबालने के बाद उसका चूर्ण बना लेते हैं, उसके बाद इससे तेल निकालते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि डोरी का तेल खाने के साथ-साथ शरीर में लगाने के भी काम में आता है. ग्रामीणों का कहना है कि डोरी के तेल से शरीर में होने वाले दर्द का इलाज हो जाता है.
नहीं खरीदना पड़ता खाद्य तेलः ग्रामीण बताते हैं कि गांव में अधिकांश लोग डोरी का तेल निकालते हैं. खासकर गरीब वर्ग के लोग तो बड़ी संख्या में डोरी का तेल निकालते हैं और खाद्य तेल के खर्चे से बच जाते हैं. ग्रामीण हरिधन सिंह और खुशबू कुमारी ने बताया कि डोरी का तेल सब्जी बनाने के अलावा पूड़ी कचौड़ी समेत अन्य पकवान बनाने में काम आता है. कम से कम 6 महीने तक ग्रामीणों को खाद्य तेल बाजार से खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है. घर में ही डोरी का तेल निकालकर ग्रामीण उसका भरपूर उपयोग करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि डोरी के तेल का उपयोग खाने के साथ-साथ शरीर में लगाने के लिए भी किया जाता है. अगर शरीर में दर्द हो तो उसके इलाज में डोरी का तेल काफी फायदेमंद होता है.
सांप से भी होती है सुरक्षाः ग्रामीण बताते हैं कि डोरी के फल से तेल निकलने के बाद जो अवशिष्ट बचता है, वह सांप को भगाने के काम आता है. ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के दिनों में जब घर में सांप घुस जाए तो डोरी के खली को घर में जला देने से, उसकी गंध और धुएं से सांप निकल कर भाग जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि डोरी के खली को जलाने से आसपास सांप भटकते भी नहीं हैं. इसी कारण ग्रामीण बरसात के दिनों में आप अपने घर के अलावा गौशाला में डोरी की खली अनिवार्य रूप से जलाते हैं.
पहले डोरी को बेचते थे अब घर में ही बनाते हैं तेलः ग्रामीणों की मानें तो पहले लोग डोरी को चुनकर उसे व्यवसायियों के पास बेच देते थे. जिससे उन्हें कुछ पैसे मिल जाते थे. लेकिन अब अधिकांश ग्रामीण डोरी के बीज से अपने घर में उपयोग के अनुसार तेल निकाल लेते हैं. उपयोग से अधिक डोरी होने के बाद ही ग्रामीण उसे व्यवसायियों के पास बेचते हैं. डोरी का व्यवसाय ग्रामीणों के लिए वरदान बन सकता है. अगर सरकार इसके लिए उचित बाजार उपलब्ध कराए तो ग्रामीण स्वरोजगार से जुड़कर इससे अच्छी आमदनी भी कर सकते हैं.
महुआ तेल के फायदेः पोषक तत्वों से भरा महुआ के फल और फूल में काफी औषधीय गुण है. फाइबर, फैट, विटामिन-सी, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस और कार्बोहाइड्रेट जैसे तत्व इसमें पाए जाते हैं. इसके लगातार इस्तेमाल और सेवन शरीर को महत्वपूर्ण पोषण प्रदान करता है. महुआ तेल विटामिन ई का एक अच्छा स्रोत है, जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और शरीर को कई तरह के दूसरे खराब तत्वों से भी बचाता है. शरीर में जकड़न, दर्द और जोड़ों के दर्द में इसका तेल काफी उपयोगी है. इसके लगाने से सिरदर्द से राहत के साथ साथ अनिद्रा से छुटकारा मिलता. साथ ही शरीर और चेहरे पर लगे दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं. महुआ तेल बालों के लिए भी काफी फायदेमंद है.