पलामू: नेतरहाट में आयोजित प्रथम राष्ट्रीय आदिवासी लोकचित्र कला शिविर में बिहार के कई चित्रकारों ने भाग लिया है, जो अपनी चित्रकारी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं. बिहार के मधुबनी से आए कलाकार मैथिली गीत गाते हुए मधुबनी पेंटिंग बना रहे हैं.
आदिवासी पेंटिंग को दुनिया में पहचान और ऊंचाई देने के लिए इन दिनों डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान की ओर से नेतरहाट में राष्ट्रीय पेंटिंग शिविर का आयोजन किया गया है. जिसमें देश के 16 राज्यों के 80 पेंटर शामिल हुए हैं, जहां पेंटर अपनी पेटिंग के माध्यम से अपने क्षेत्र की कला और संस्कृति को प्रस्तुत कर रहे हैं. इस शिविर में बिहार से आए चित्रकार मैथिली गीत के साथ अपनी पेंटिंग को उकेर रहे हैं, जो नेतरहाट की हसीन वादियों में गूंज रही है. चित्रकला शिविर में बिहार से आए चार चित्रकारों ने भाग लिया है. सभी मधुबनी चित्रकला के चार अलग-अलग भागों को तैयार कर रहे हैं.
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बिहार के मधुबनी से पहुंचे शैलेश कुमार मंडल, सुरेंद्र पासवान, संजीव कुमार झा ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत करते हुए बताया कि आदिवासी पेंटिंग शिविर का आयोजन एक अच्छी पहल है. देशभर के चित्रकार एक साथ जमा हो रहे हैं, जो एक-दूसरे से संस्कृति और कलाकारी को सीखेंगे. इनका कहना है कि इस तरह का आयोजन होते रहना चाहिए, ताकि कला और कलाकारों की पहचान और समृद्ध होते रहे. मधुबनी के शैलेश कुमार मंडल जितनी अच्छी पेटिंग बनाते हैं, उतना ही अच्छा गीत भी गाते हैं. उन्होंने अपने पेंटिंग में राधा-कृष्ण के प्रेम को दर्शाया है. जो पूरी तरह से मधुबनी पेंटिंग पर आधारित है. उन्होंने बताया कि मधुबनी पेटिंग काफी समृद्ध है.