लातेहार: भारत कृषि प्रधान देश है. प्राचीन काल से यहां एक कहावत भी प्रसिद्ध है कि आजीविका का सबसे बेहतर साधन खेती ही है. जिले के महुआडांड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत पुटरूंगी गांव के प्रगतिशील किसानों ने इस कहावत को वर्तमान समय में भी चरितार्थ किया है. यहां के 10 किसानों ने सामूहिक रूप से आम की खेती की है. इस आम की खेती से किसानों ने जहां आर्थिक उन्नति की ओर अपने कदम बढ़ा दिए हैं. वहीं इस आम की बागवानी ने उन्हें समाज में खास भी बना दिया है.
ग्रामीणों ने बनाई अलग पहचान: दरअसल लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड इलाकों में पानी की भारी कमी होती है. ऐसे में यहां खेती करना काफी कठिन कार्य माना जाता है. ऐसे में यहां के अधिकांश लोग स्थानीय स्तर पर मजदूरी करते हैं या फिर पलायन को मजबूर हो जाते हैं. परंतु इन्हीं ग्रामीणों में से कुछ ऐसे भी ग्रामीण हैं जो अपने पुरुषार्थ के बल पर समाज में अपनी एक अलग पहचान बना ली है. महुआडांड़ प्रखंड के पुटरूंगी गांव के रहने वाले नवीन टोप्पो, रोशन टोप्पो समेत 10 ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से आम की खेती कर समाज में एक मिसाल कायम किया है.
25 एकड़ में लगाए 3000 पेड़: किसान नवीन टोप्पो ने बताया कि इस इलाके में रोजगार के साधन नहीं थे. परंतु उनके पास जमीन थी. पूर्व में घर में कुछ आम के पेड़ भी थे. जिसकी फसलों को वे लोग बेचते भी थे. इसी दौरान उनके मन में एक ख्याल आया कि क्यों न सामूहिक रूप से आम की बागवानी की जाए. इसके बाद गांव के 10 लोग जिनकी जमीन अगल-बगल थी, सभी ने एक साथ मिलकर आम की बागवानी लगाने का निर्णय लिया. प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क किया गया तो मनरेगा योजना से उन्हें सहायता भी देने की बात कही गई. इसके बाद सभी लोगों ने मिलकर लगभग 25 एकड़ भूमि में 3000 आम के पौधे लगाए. उन्नत किस्म के पौधे होने के कारण तीसरे वर्ष से ही बागवानी से अच्छी आमदनी आरंभ हो गई. काफी छोटे पेड़ होने के बावजूद उनके बागवानी में लगभग 300 क्विंटल आम की पैदावार हुई थी.
कई लोगों ने ली प्रेरणा: किसान रोशन टोप्पो ने बताया कि उन्होंने जब बागवानी लगाई थी तो काफी संघर्ष करना पड़ा था. परंतु जब उनका संघर्ष रंग लाया और आम के पेड़ फल देने लगे तो आसपास के कई किसान उनकी बागवानी को देखने आने लगे. उन्होंने बताया कि इस बागवानी को देखकर महुआडांड़ के इलाके में कई अन्य किसानों ने भी अपनी-अपनी जमीन पर आम की बागवानी आरंभ कर दी है. किसान ने कहा कि एक- दोस साल के बाद उम्मीद है कि उनके बाग में 50 लाख रुपए से अधिक के आम की उपज होगी.
बाजार की भी है समस्या: आम की बागवानी करने वाले किसानों ने यह भी कहा कि अच्छे उत्पादन होने के बाद फसलों को बेचने के लिए बेहतर बाजार मिलना भी एक समस्या हो सकता है. क्योंकि जिस प्रकार इलाके में आम की बागवानी लगाई जा रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में इस इलाके में आम का बंपर उत्पादन होगा. ऐसे में सरकार को किसानों की फसलों की उचित मूल्य दिलवाने के लिए भी योजना बनानी होगी. आम की बागवानी ने महुआडांड़ के किसानों को खास बना दिया है. जरूरत इस बात की है कि इन किसानों से सीख लेकर अन्य लोग भी इसी प्रकार कुछ अलग प्रकार की खेती करें ताकि उनकी आमदनी बढ़ सके.