लातेहार: 2012 से पहले तक सरयू को उग्रवाद की राजधानी कहा जाता था. जिस प्रकार बूढ़ापहाड़ को उग्रवादियों ने अपना आश्रय बना रखा था, ठीक उसी प्रकार सरयू भी उग्रवादियों का सबसे सेफ जोन माना जाता था. सरयू में उग्रवादियों की चहलकदमी दिन के उजाले में भी बेखौफ हुआ करती थी. सरयू तक आने जाने वाले रास्ते में बम बारूद ऐसे लगी रहती थी कि इस रास्ते से गुजरने वालों की जिंदगी भगवान के भरोसे होती थी. सरयू तक पहुंचने के लिए ना तो अच्छी सड़क थी और ना ही यहां बिजली की सुविधा थी. दूरसंचार की बात तो सरयू गांव के लोगों के लिए एक सपने के समान था.
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वर्ष 2012 में तत्कालीन उपायुक्त राहुल पुरवार ने की पहल: सरयू और उसके आसपास के इलाके की समस्याओं का समाधान करने के लिए वर्ष 2012 में तत्कालीन उपायुक्त राहुल पुरवार ने पहल की. तत्कालीन उपायुक्त ने घनघोर उग्रवाद क्षेत्र होने के बावजूद सरयू में जाकर 2 दिनों तक कैंप लगाया और वही रात्रि विश्राम भी किया. इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों के साथ मिलकर उनकी समस्याओं को भी जाना और उसके समाधान के लिए योजनाएं भी तैयार की. तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री भी सारंडा के साथ सरयू के विकास के प्रति गंभीरता दिखाई. सरकार से मिले प्रोत्साहन के बाद तत्कालीन उपायुक्त राहुल पुरवार ने सरयू के इलाके के विकास के लिए सरयू एक्शन प्लान तैयार किया. सरयू एक्शन प्लान में सरयू में विकास के साथ-साथ यहां सुरक्षा के भी पुख्ता व्यवस्था के इंतजाम के प्लान थे.
एक्शन प्लान आरंभ होने के बाद आने लगा था बदलाव: क्षेत्र के विकास के लिए सरयू तथा इसके आसपास के इलाके को सरयू एक्शन प्लान के अधीन रखकर यहां विकास की योजनाओं को धरातल पर उतारा जाने लगा. सबसे पहले सरयू के इलाके में सुरक्षाबलों और पुलिस की कैंप की स्थापना की गई. पुलिस कैंप की स्थापना के बाद नक्सलियों के खिलाफ सघन अभियान आरंभ किया गया और काफी मशक्कत के बाद आखिरकार इस इलाके से नक्सलियों को खदेड़ दिया गया. इसके बाद सरयू तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क बनाई गई. वहीं यहां बिजली भी पहुंचाई गई.
सरयू बना प्रखंड: विकास की रफ्तार को तेज करने के लिए 3 पंचायतों को मिलाकर सरयू को प्रखंड भी बना दिया गया. जिसके बाद पूरे इलाके में विकास की योजनाएं धरातल पर उतरने लगी. ग्रामीण आशा देवी और मुखिया राजेश सिंह बताते हैं कि 10 वर्ष पहले तक इस इलाके में रहना काफी मुश्किल था. बुनियादी सुविधाओं के अभाव के साथ-साथ यहां नक्सलियों का भय भी चरम पर था. परंतु अब स्थिति बिल्कुल बदल गई है. अब लोग चैन की सांस ले रहे हैं. वही प्रखंड विकास पदाधिकारी सालखु हेंब्रम ने कहा कि सरयू के लोग काफी अच्छे हैं. यहां विकास की अपार संभावनाएं हैं. उनकी प्राथमिकता है कि लोगों को विकास योजनाओं के प्रति जागरूक कर उन्हें योजनाओं का लाभ दिया जाए.
सतत प्रयास से आया है बदलाव: इधर, इस संबंध में लातेहार एसपी अंजनी अंजन ने कहा कि सरयू के इलाके में बदलाव लगातार प्रयास के बाद आया है. पुलिस कैंप स्थापित होने के बाद नक्सलियों की चहलकदमी इस इलाके में काफी हद तक रुक गई. ऐसे में नक्सलियों की गतिविधियों को रोकने से यहां विकास की योजनाएं भी धरातल पर उतरने लगी वर्तमान में तो सरयू में एक मार्केट भी विकसित होने लगा है. यहां हर प्रकार की बुनियादी सुविधाएं भी पहुंच चुकी है.
सरयू का इलाका जहां दिन के उजाले में भी सन्नाटा पसरा रहता था. वहीं अब रात के अंधेरे में भी चौपाल सजने लगी है. क्षेत्र में आए बदलाव से यहां के ग्रामीणों का जीवन खुशहाल होने लगा है.