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लातेहार में किसानों ने की धान और मक्के की खेती से तौबा, मूंगफली से जमकर कमा रहे है मुनाफा

लातेहार में सिंचाई के साधन के आभाव से परेशान किसानों ने मूंगफली की खेती शुरू कर दी है. नए फसल की खेती से किसानों को काफी मुनाफा हो रहा है.

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मूंगफली
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Published : Jul 10, 2022, 12:59 PM IST

Updated : Jul 10, 2022, 2:38 PM IST

लातेहार: सिंचाई के साधन का अभाव और कम बारिश से परेशान किसान अब पारंपरिक फसलों की खेती छोड़ नए फसलों को उगाना शुरू कर दिया है. जिले के किसान धान और मक्का की खेती छोड़कर मूंगफली की खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं. किसानों के अनुसार इस खेती में नुकसान की संभावना कम होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति अब बेहतर हो रही है.

ये भी पढ़ें:- किसान को बैल नहीं मिले, तो उसने लगाया ऐसा अजीब जुगाड़

रेन शैडो एरिया है लातेहार: दरअसल लातेहार जिला को रेन शैडो एरिया में गिना जाता है इसलिए यहां बारिश की संभावना अपेक्षाकृत कम ही होती है. पिछले कुछ वर्षों से लगातार बारिश की दगाबाजी के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा था. खेतों तक सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण जिले में किसानों को खेती के लिए पूरी तरह बारिश पर ही आश्रित रहना पड़ता है. ऐसे में लगातार हो रहे नुकसान से बचने के लिए लातेहार के किसान अब खेती की पुरानी परंपरा में बदलाव करते हुए मूंगफली की खेती कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर
नुकसान की संभावना नहीं: स्थानीय किसानों की माने तो मूंगफली की खेती में नुकसान की संभावना नहीं के बराबर होती है. महिला किसान ममता देवी ने बताया कि बारिश नहीं होने से जहां धान और अन्य फसल खराब हो जाते हैं. वही कम बारिश में भी मूंगफली की खेती काफी अच्छी हो जाती है. इसके अलावे मूंगफली की कीमत भी अन फसलों की अपेक्षा काफी अधिक होती है. जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी हो जाता है. वही किसान उत्तम सिंह ने कहा कि मौसम की लगातार दगाबाजी से बचने के लिए किसान अब मूंगफली की खेती की ओर बढ़ने लगे हैं. उन्होंने कहा कि लातेहार के मोंगर पंचायत के इलाके में तो 50% से अधिक किसान अपने खेतों में बदाम की खेती करने लगे हैं.काफी फायदेमंद है मूंगफली की खेती: इधर कृषि विभाग के उप परियोजना निदेशक सप्तमी कुमार झा ने बताया कि लातेहार जिले की भूमि मूंगफली की खेती के लिए काफी उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि लातेहार के अलावे महुआडांड़ प्रखंड में बड़े पैमाने पर किसान मूंगफली की खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि लातेहार जिले में इस बार लगभग 18 सौ हेक्टेयर भूमि में बदाम की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान समय तक 900 हेक्टेयर से अधिक भूमि में किसान बादाम की खेती कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में मूंगफली की खेती को बढ़ावा मिलने से तिलहन की कमी दूर होगी और हमारा राज्य भी तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकेगा.

लातेहार: सिंचाई के साधन का अभाव और कम बारिश से परेशान किसान अब पारंपरिक फसलों की खेती छोड़ नए फसलों को उगाना शुरू कर दिया है. जिले के किसान धान और मक्का की खेती छोड़कर मूंगफली की खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं. किसानों के अनुसार इस खेती में नुकसान की संभावना कम होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति अब बेहतर हो रही है.

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रेन शैडो एरिया है लातेहार: दरअसल लातेहार जिला को रेन शैडो एरिया में गिना जाता है इसलिए यहां बारिश की संभावना अपेक्षाकृत कम ही होती है. पिछले कुछ वर्षों से लगातार बारिश की दगाबाजी के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा था. खेतों तक सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण जिले में किसानों को खेती के लिए पूरी तरह बारिश पर ही आश्रित रहना पड़ता है. ऐसे में लगातार हो रहे नुकसान से बचने के लिए लातेहार के किसान अब खेती की पुरानी परंपरा में बदलाव करते हुए मूंगफली की खेती कर रहे हैं.

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नुकसान की संभावना नहीं: स्थानीय किसानों की माने तो मूंगफली की खेती में नुकसान की संभावना नहीं के बराबर होती है. महिला किसान ममता देवी ने बताया कि बारिश नहीं होने से जहां धान और अन्य फसल खराब हो जाते हैं. वही कम बारिश में भी मूंगफली की खेती काफी अच्छी हो जाती है. इसके अलावे मूंगफली की कीमत भी अन फसलों की अपेक्षा काफी अधिक होती है. जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी हो जाता है. वही किसान उत्तम सिंह ने कहा कि मौसम की लगातार दगाबाजी से बचने के लिए किसान अब मूंगफली की खेती की ओर बढ़ने लगे हैं. उन्होंने कहा कि लातेहार के मोंगर पंचायत के इलाके में तो 50% से अधिक किसान अपने खेतों में बदाम की खेती करने लगे हैं.काफी फायदेमंद है मूंगफली की खेती: इधर कृषि विभाग के उप परियोजना निदेशक सप्तमी कुमार झा ने बताया कि लातेहार जिले की भूमि मूंगफली की खेती के लिए काफी उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि लातेहार के अलावे महुआडांड़ प्रखंड में बड़े पैमाने पर किसान मूंगफली की खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि लातेहार जिले में इस बार लगभग 18 सौ हेक्टेयर भूमि में बदाम की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान समय तक 900 हेक्टेयर से अधिक भूमि में किसान बादाम की खेती कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में मूंगफली की खेती को बढ़ावा मिलने से तिलहन की कमी दूर होगी और हमारा राज्य भी तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकेगा.
Last Updated : Jul 10, 2022, 2:38 PM IST
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