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लाखों मुश्किलों को धता बता किसान फूलचंद बने आत्मनिर्भर, बेटे को बनाया इंजीनियर

लातेहार में बारियातू प्रखंड अंतर्गत गोनिया गांव निवासी किसान फूलचंद गंझू ने खेती के सहारे एक नया मुकाम हासिल किया है. उन्होंने मेहनत कर न सिर्फ अपने बच्चे को पढ़ाया, बल्कि आधुनिक खेती कर जिले के किसानों के लिए प्रेरणा भी बने. उनके बेटे ने इस वर्ष जेईई एडवांस क्वालीफाई करते हुए आईआईटी कॉलेज में दाखिला लिया.

farmer son qualified jee advance in latehar
किसान ने किया एक नया मुकाम हासिल
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Published : Nov 2, 2020, 2:08 PM IST

Updated : Nov 3, 2020, 10:01 AM IST

लातेहारः पुराने जमाने में कहावत प्रचलित थी कि खेती आजीविका का सर्वोत्तम साधन है. इस पुरानी कहावत को वर्तमान समय में भी चरितार्थ करने वाले किसानों की कमी नहीं है. लातेहार जिले के बारियातू प्रखंड अंतर्गत गोनिया गांव निवासी किसान फूलचंद गंझू एक ऐसे ही किसान हैं, जिन्हें खेती ने बुलंदी तक पहुंचा दिया. खेती की कमाई से ही उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई करवाई. उनके बेटे ने इस वर्ष जेईई एडवांस क्वालीफाई करते हुए आईआईटी कॉलेज में दाखिला लिया.

देखें स्पेशल स्टोरी

नक्सलियों ने जला दिया था घर

फूलचंद गंझू एक साधारण किसान थे. उनके खेतों में भी पारंपरिक खेती ही होती थी. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में रहने के कारण वह नक्सलियों के निशाने पर भी होते थे. कई बार नक्सली उन्हें धमकी भी दिए, लेकिन वे किसी भी सूरत में नक्सलियों का सहयोग करने को तैयार नहीं थे. नक्सलियों ने वर्ष 2012 में उनके घर पर धावा बोल दिया था और पूरे घर को आग लगा दी. इस घटना के बाद फूलचंद पूरी तरह टूट गए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर से अपना घर परिवार सवारने में जुट गए.

वैकल्पिक खेती पर दिया ध्यान

फूलचंद ने खेती को अपनी आजीविका का मुख्य साधन बना लिया. उन्होंने अपने खेतों में धान और मक्का के साथ-साथ टमाटर, आम, मटर, आलू समेत अन्य वैकल्पिक फसल लगाए. उधर नक्सली हमले के बाद घर की हालत खराब होने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे को शिक्षा के लिए रांची भेज दिया. फूलचंद खेती में कड़ी मेहनत करने लगा. वहीं, उनका बेटा शिक्षा में जुट गया. कुछ वर्ष के परिश्रम के बाद फूलचंद की पहचान एक सफल किसान के रूप में होने लगी. फूलचंद ने बताया कि कठिन समय में जब वे निराश हो गए थे तो खेती ही उनके जीवन का आधार बनी. खेती के भरोसे ही उनका जीवन फिर से संवर गया. उन्होंने कहा कि खेती से उन्हें कम से कम 10 से 12 लाख रुपये प्रति वर्ष की कमाई हो जाती है.

इसे भी पढ़ें- दो माह बाद झारखंड में बनेगी भाजपा की सरकार! कैसे कह दिया दीपक प्रकाश ने, कहां है आचार संहिता ?

बेटे ने पाई सफलता

इसी बीच फूलचंद के बेटे अविनाश ने भी देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग की परीक्षा जेईई एडवांस में सफलता प्राप्त की. उसने वर्ष 2020 की परीक्षा में पूरे देश भर में अनुसूचित जाति वर्ग में 1598 रैंक लाकर पूरे इलाके को गौरवांवित कर दिया. अविनाश का नामांकन इसी वर्ष आईएसएम धनबाद में सिविल इंजीनियरिंग में हो गया.

खेती से जुड़ा है पूरा परिवार

देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग की परीक्षा पास होने के बावजूद फूलचंद के बेटे अविनाश खेती को भुले नहीं हैं. लॉकडाउन के दौरान वह अपने गांव में ही रहे. इस दौरान उसने अपने पिता के साथ मिलकर खेती में भी पसीने बहाए. इस संबंध में किसान फूलचंद गंझु ने कहा कि खेती के सहारे उन्होंने अपने जीवन का नया मुकाम हासिल किया है. उन्होंने कहा कि जो लोग यह सोचते हैं कि खेती में फायदा नहीं है वह गलत है. उन्होंने लोगों को यह भी संदेश दिया कि चाहे जो भी काम कीजिए, लेकिन अपने बच्चों को शिक्षित जरूर करें.

सच्ची लगन की जरूरत

वहीं, उनके बेटे अविनाश ने कहा कि पिता के कार्यों से प्रभावित होकर काफी लगन से मेहनत की. इसी का प्रतिफल हुआ कि आईआईटी कॉलेज के लिए चयन हो गया. उन्होंने कहा कि किसान का बेटा भी जीवन में आगे बढ़ सकता है. बस इसके लिए सच्ची लगन की जरूरत है.

अधिकारियों ने भी की सराहना

फूलचंद और उनके बेटे की सराहना जिले के अधिकारी भी कर रहे हैं. लातेहार के उप विकास आयुक्त सुरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि किसान फूलचंद और उनके बेटे समाज के लिए प्रेरणा है.

लातेहारः पुराने जमाने में कहावत प्रचलित थी कि खेती आजीविका का सर्वोत्तम साधन है. इस पुरानी कहावत को वर्तमान समय में भी चरितार्थ करने वाले किसानों की कमी नहीं है. लातेहार जिले के बारियातू प्रखंड अंतर्गत गोनिया गांव निवासी किसान फूलचंद गंझू एक ऐसे ही किसान हैं, जिन्हें खेती ने बुलंदी तक पहुंचा दिया. खेती की कमाई से ही उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई करवाई. उनके बेटे ने इस वर्ष जेईई एडवांस क्वालीफाई करते हुए आईआईटी कॉलेज में दाखिला लिया.

देखें स्पेशल स्टोरी

नक्सलियों ने जला दिया था घर

फूलचंद गंझू एक साधारण किसान थे. उनके खेतों में भी पारंपरिक खेती ही होती थी. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में रहने के कारण वह नक्सलियों के निशाने पर भी होते थे. कई बार नक्सली उन्हें धमकी भी दिए, लेकिन वे किसी भी सूरत में नक्सलियों का सहयोग करने को तैयार नहीं थे. नक्सलियों ने वर्ष 2012 में उनके घर पर धावा बोल दिया था और पूरे घर को आग लगा दी. इस घटना के बाद फूलचंद पूरी तरह टूट गए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर से अपना घर परिवार सवारने में जुट गए.

वैकल्पिक खेती पर दिया ध्यान

फूलचंद ने खेती को अपनी आजीविका का मुख्य साधन बना लिया. उन्होंने अपने खेतों में धान और मक्का के साथ-साथ टमाटर, आम, मटर, आलू समेत अन्य वैकल्पिक फसल लगाए. उधर नक्सली हमले के बाद घर की हालत खराब होने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे को शिक्षा के लिए रांची भेज दिया. फूलचंद खेती में कड़ी मेहनत करने लगा. वहीं, उनका बेटा शिक्षा में जुट गया. कुछ वर्ष के परिश्रम के बाद फूलचंद की पहचान एक सफल किसान के रूप में होने लगी. फूलचंद ने बताया कि कठिन समय में जब वे निराश हो गए थे तो खेती ही उनके जीवन का आधार बनी. खेती के भरोसे ही उनका जीवन फिर से संवर गया. उन्होंने कहा कि खेती से उन्हें कम से कम 10 से 12 लाख रुपये प्रति वर्ष की कमाई हो जाती है.

इसे भी पढ़ें- दो माह बाद झारखंड में बनेगी भाजपा की सरकार! कैसे कह दिया दीपक प्रकाश ने, कहां है आचार संहिता ?

बेटे ने पाई सफलता

इसी बीच फूलचंद के बेटे अविनाश ने भी देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग की परीक्षा जेईई एडवांस में सफलता प्राप्त की. उसने वर्ष 2020 की परीक्षा में पूरे देश भर में अनुसूचित जाति वर्ग में 1598 रैंक लाकर पूरे इलाके को गौरवांवित कर दिया. अविनाश का नामांकन इसी वर्ष आईएसएम धनबाद में सिविल इंजीनियरिंग में हो गया.

खेती से जुड़ा है पूरा परिवार

देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग की परीक्षा पास होने के बावजूद फूलचंद के बेटे अविनाश खेती को भुले नहीं हैं. लॉकडाउन के दौरान वह अपने गांव में ही रहे. इस दौरान उसने अपने पिता के साथ मिलकर खेती में भी पसीने बहाए. इस संबंध में किसान फूलचंद गंझु ने कहा कि खेती के सहारे उन्होंने अपने जीवन का नया मुकाम हासिल किया है. उन्होंने कहा कि जो लोग यह सोचते हैं कि खेती में फायदा नहीं है वह गलत है. उन्होंने लोगों को यह भी संदेश दिया कि चाहे जो भी काम कीजिए, लेकिन अपने बच्चों को शिक्षित जरूर करें.

सच्ची लगन की जरूरत

वहीं, उनके बेटे अविनाश ने कहा कि पिता के कार्यों से प्रभावित होकर काफी लगन से मेहनत की. इसी का प्रतिफल हुआ कि आईआईटी कॉलेज के लिए चयन हो गया. उन्होंने कहा कि किसान का बेटा भी जीवन में आगे बढ़ सकता है. बस इसके लिए सच्ची लगन की जरूरत है.

अधिकारियों ने भी की सराहना

फूलचंद और उनके बेटे की सराहना जिले के अधिकारी भी कर रहे हैं. लातेहार के उप विकास आयुक्त सुरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि किसान फूलचंद और उनके बेटे समाज के लिए प्रेरणा है.

Last Updated : Nov 3, 2020, 10:01 AM IST
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