लातेहार: फिल्मी स्टाइल में सोमवार को देर रात चतरा पुलिस सादी वर्दी में पहुंची और चिकित्सा पदाधिकारी को गिरफ्तार कर लिया. मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है. अचानक हुई इस गिरफ्तारी से पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया. मामले की जानकारी जब बालूमाथ पुलिस को दी गई, तो पुलिस 2 घंटे तक परेशान रही.
ये भी पढ़ें- हजारीबागः जमीन विवाद मे दो पक्षों में खूनी झड़प, 5 महिला समेत 13 घायल
क्या है पूरा मामला
चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अमरनाथ की पदस्थापना जब चतरा जिले के सिविल सर्जन के रूप में थी, तो उस समय स्वास्थ्य विभाग में उपकरण खरीदारी में गड़बड़ी हुई थी. मामले में तत्कालीन सीएस रहे डॉ. अमरनाथ को भी अभियुक्त बनाया गया था. वहीं विभागीय कार्रवाई करते हुए सरकार ने डॉ. अमरनाथ को लातेहार जिले के बालूमाथ स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित कर दिया. इसी मामले को लेकर सोमवार देर रात 12:30 बजे चतरा पुलिस के अधिकारी और जवान सादी वर्दी में अचानक अस्पताल पहुंचे और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया और अपने साथ चतरा ले गए. जवानों ने वहां तैनात एक अन्य स्वास्थ्यकर्मी को सिर्फ इतना बताया कि हम लोग चतरा पुलिस के लोग हैं और इन्हें गिरफ्तार करके ले जा रहे हैं. अचानक हुई इस गिरफ्तारी से पूरे अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई. अस्पतालकर्मियों ने इसकी सूचना बालूमाथ थाना को दी. पुलिस को भी इसकी जानकारी नहीं थी.
डॉ अमरनाथ 1 करोड़ 21 लाख रुपये घोटाले का आरोपी है. साल 2011-2012 में सदर अस्पताल, चतरा के लिए डीजल मशीन और जेनेरेटर आदि की खरीद की गई थी. इस खरीद में कुल एक करोड़ 21 लाख का घोटाला उजागर हुआ था. इस मामले में सदर अस्पताल चतरा के तात्कालिक सिविल सर्जन सह मेडिकल पदाधिकारी डॉक्टर अमरनाथ को दोषी पाया गया था. चतरा सदर थाने में आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था.
चिकित्सकों के संगठन नाराज
डॉक्टर अमरनाथ की गिरफ्तारी से चिकित्सकों के संगठन में भारी नाराजगी है. आईएमए से जुड़े चिकित्सकों ने कहा कि देर रात किसी चिकित्सक को ड्यूटी के दौरान बिना किसी वरीय पदाधिकारियों को सूचना दिए गिरफ्तार किया जाना सही नहीं है. संघ के लोगों का कहना है कि डॉ. अमरनाथ बालूमाथ में पदस्थापित थे, पुलिस चाहती तो उन्हें दिन में गिरफ्तार कर सकती थी. लेकिन देर रात इस तरह चिकित्सक की गिरफ्तारी शोभनीय नहीं है.
ये भी पढ़ें- रांची में साइबर अपराधियों का खेल, ATM बदलकर खाते से निकाले 3.89 लाख
जिला प्रशासन को भी नहीं हुई जानकारी
चिकित्सक की गिरफ्तारी की जानकारी जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों को भी नहीं दी गई. बता दें कि नियम है कि किसी राजपत्रित पदाधिकारी की गिरफ्तारी की सूचना तत्काल उनके बड़े अधिकारियों को देनी होती है. मामले में पूछने पर लातेहार उपायुक्त अबु इमरान ने भी कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
जमानत के लिए दिया था आवेदन
पुलिस की चार्जशीट के बाद ये मामला चतरा सिविल कोर्ट में जीआर संख्या 694/2013 के तहत दर्ज किया गया. कोर्ट की ओर से समन जारी होने के बाद आरोपी डॉक्टर ने जमानत नहीं ली. 2015 में जब कोर्ट ने मामले का सख्ती से संज्ञान लिया, तब आरोपी डॉक्टर ने झारखंड हाई कोर्ट, रांची में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की, जिसे खारिज कर दिया गया था.