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जर्जर है गांव को शहर से जोड़ने वाली सड़क, 20 गांव के ग्रामीण हैं परेशान

शहर और गांव की दूरी तब तक खत्म नहीं होती जब तक सड़क निर्माण का ठेका लेने वाले ईमानदारी से अपना काम नहीं करते. खानापूर्ति करने के नाम पर ये ठेकेदार सड़क का निर्माण करा तो देते हैं लेकिन इनकी बेईमानी कुछ वर्षों में ही जर्जर सड़क के रूप में उभर आती है. ऐसा ही हाल हुआ है लातेहार के मोंगर और डेमू पंचायत को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़क का जो सरकार के दावे को झुठला रही है.

bad condition of road
लातेहार में जर्जर सड़क
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Published : May 14, 2021, 1:24 PM IST

Updated : May 15, 2021, 8:53 AM IST

लातेहार: गांव-गांव तक पक्की सड़क निर्माण कराकर ग्रामीणों को शहर से जोड़ने की योजना भले ही सरकार की प्राथमिकता में शामिल हो, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही नजर आती है. लातेहार सदर प्रखंड के मोंगर और डेमू पंचायत को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़क सरकार के दावे को झुठला रही है. दरअसल, सदर प्रखंड के मोंगर और डेमू पंचायत को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए लगभग 20 वर्ष पहले ग्रामीण सड़क बनाई गई थी, लेकिन कालांतर में सड़क की हालत काफी जर्जर हो गई. ऐसे में इस पथ पर चलकर आने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों को इस पथ पर यात्रा करने के लिए 10 बार सोचना पड़ता है.

देखिए वीडियो

ये भी पढ़ें-ठेकेदार आपदा में ढूंढ रहे निजी फायदा, लॉकडाउन का लाभ उठाकर सड़कों का कर रहे घटिया निर्माण

20 गांव के लोग हैं परेशान

सड़क के जर्जर रहने के कारण मोंगर, केडू, हरखा, इचाक, तेलियाटांड़, डेमू, निंदर, तुरीडीह समेत लगभग 20 गांव के ग्रामीण परेशान हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क इतनी खराब हो गई है कि इस पर चलना भी मुश्किल हो गया है. ग्रामीण विनोद यादव ने बताया कि अच्छी सड़क नहीं होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि भले ही सरकार यह दावा करती है कि गांव-गांव तक सड़क पहुंचाई जाएगी, लेकिन इस गांव में सरकार के दावे पूरी तरह फेल हैं.

ग्रामीण महेंद्र प्रसाद ने कहा कि गांव से शहर को जोड़ने वाली इस सड़क में इतने गड्ढे हो गए हैं कि चलना भी मुश्किल हो गया है. वहीं, पंचायत समिति सदस्य पिंटू रजक ने कहा कि इस सड़क से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 40 गांव के 10,000 से अधिक लोग लाभान्वित होते हैं. इस सड़क के प्रति ना तो सांसद या विधायक ध्यान दे रहे हैं और ना ही जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल की जा रही है.

10 किलोमीटर की यात्रा में लगते हैं 1 घंटे से अधिक समय

ग्रामीणों ने बताया कि बाइक से मात्र 10 किलोमीटर की यात्रा को पूरी करने में ग्रामीणों को 1 घंटे से अधिक समय लग जाता है. ऑटो और अन्य वाहनों को तो और भी अधिक समय लगता है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि सड़क बन जाती तो ग्रामीणों को जिला मुख्यालय आने जाने में काफी सहूलियत होती, वही उनके समय की भी बचत होती.

विभाग को दी जाएगी रिपोर्ट

इधर, इस संबंध में पूछने पर लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने बताया कि मामले की पूरी जानकारी लेकर वह सड़क मरम्मती के लिए विभाग को पत्राचार कर रहे हैं. सड़क जर्जर होने के कारण ग्रामीणों का विकास भी रुक गया है. अपने फसलों को बेचने के लिए भी शहर आने से पहले ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. जरूरत इस बात की है कि ऐसी सड़कों पर सरकार पहले ध्यान दें और प्राथमिकता के साथ इसे दुरुस्त कराएं ताकि गांव और शहर की दूरियां सिमट सके.

लातेहार: गांव-गांव तक पक्की सड़क निर्माण कराकर ग्रामीणों को शहर से जोड़ने की योजना भले ही सरकार की प्राथमिकता में शामिल हो, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही नजर आती है. लातेहार सदर प्रखंड के मोंगर और डेमू पंचायत को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़क सरकार के दावे को झुठला रही है. दरअसल, सदर प्रखंड के मोंगर और डेमू पंचायत को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए लगभग 20 वर्ष पहले ग्रामीण सड़क बनाई गई थी, लेकिन कालांतर में सड़क की हालत काफी जर्जर हो गई. ऐसे में इस पथ पर चलकर आने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों को इस पथ पर यात्रा करने के लिए 10 बार सोचना पड़ता है.

देखिए वीडियो

ये भी पढ़ें-ठेकेदार आपदा में ढूंढ रहे निजी फायदा, लॉकडाउन का लाभ उठाकर सड़कों का कर रहे घटिया निर्माण

20 गांव के लोग हैं परेशान

सड़क के जर्जर रहने के कारण मोंगर, केडू, हरखा, इचाक, तेलियाटांड़, डेमू, निंदर, तुरीडीह समेत लगभग 20 गांव के ग्रामीण परेशान हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क इतनी खराब हो गई है कि इस पर चलना भी मुश्किल हो गया है. ग्रामीण विनोद यादव ने बताया कि अच्छी सड़क नहीं होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि भले ही सरकार यह दावा करती है कि गांव-गांव तक सड़क पहुंचाई जाएगी, लेकिन इस गांव में सरकार के दावे पूरी तरह फेल हैं.

ग्रामीण महेंद्र प्रसाद ने कहा कि गांव से शहर को जोड़ने वाली इस सड़क में इतने गड्ढे हो गए हैं कि चलना भी मुश्किल हो गया है. वहीं, पंचायत समिति सदस्य पिंटू रजक ने कहा कि इस सड़क से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 40 गांव के 10,000 से अधिक लोग लाभान्वित होते हैं. इस सड़क के प्रति ना तो सांसद या विधायक ध्यान दे रहे हैं और ना ही जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल की जा रही है.

10 किलोमीटर की यात्रा में लगते हैं 1 घंटे से अधिक समय

ग्रामीणों ने बताया कि बाइक से मात्र 10 किलोमीटर की यात्रा को पूरी करने में ग्रामीणों को 1 घंटे से अधिक समय लग जाता है. ऑटो और अन्य वाहनों को तो और भी अधिक समय लगता है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि सड़क बन जाती तो ग्रामीणों को जिला मुख्यालय आने जाने में काफी सहूलियत होती, वही उनके समय की भी बचत होती.

विभाग को दी जाएगी रिपोर्ट

इधर, इस संबंध में पूछने पर लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने बताया कि मामले की पूरी जानकारी लेकर वह सड़क मरम्मती के लिए विभाग को पत्राचार कर रहे हैं. सड़क जर्जर होने के कारण ग्रामीणों का विकास भी रुक गया है. अपने फसलों को बेचने के लिए भी शहर आने से पहले ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. जरूरत इस बात की है कि ऐसी सड़कों पर सरकार पहले ध्यान दें और प्राथमिकता के साथ इसे दुरुस्त कराएं ताकि गांव और शहर की दूरियां सिमट सके.

Last Updated : May 15, 2021, 8:53 AM IST
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