कोडरमा: जिले के केसरिया कलाकंद को अब एक नई पहचान मिलने वाली है. जीआई टैगिंग के साथ कोडरमा का कलाकंद एक ब्रांड के रूप में घोषित किया जाएगा. इसके बाद देश-विदेश तक लोग इसके स्वाद का आसानी से मजा ले सकेंगे.
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आपको बता दें कि ब्रिटिश काल के समय से ही कोडरमा में कलाकंद तैयार किया जा रहा है. यहां का केसरिया कलाकंद विश्व विख्यात है. ऐसे में जिला प्रशासन ने कोडरमा के विश्व विख्यात केसरिया कलाकंद को एक नई पहचान दिलाने के लिए कवायद तेज कर दी है. इस दिशा में कोडरमा के केसरिया कलाकंद के लिए जीआई टैगिंग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.
रोजगार के नए साधन होंगे विकसित: बताते चलें कि जीआई टैगिंग हो जाने से ना सिर्फ केसरिया कलाकंद को विश्व मानचित्र पर एक नई पहचान मिलेगी, बल्कि कोडरमा में इसके जरिए रोजगार के नए साधन भी विकसित होंगे. इस कलाकंद के जरिए कोडरमा की आर्थिक गतिविधियां भी एक बार फिर तेजी पकड़ेगी. इस संबंध में जिले के उपविकास आयुक्त ऋतुराज ने बताया कि कलाकंद में जीआई टैगिंग के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
कोडरमा में बनने वाले केसरिया कलाकंद की क्या खासियत है और कोडरमा में ही बनने वाला कलाकंद इतना स्वादिष्ट क्यूं होता है, इन सब विषयों पर शोध किया जा रहा है. डीडीसी ऋतुराज की अगुवाई में एक रिसर्च टीम लगातार इस विषय पर अध्ययन कर रही है और जीआई टैगिंग के मापदंडों को पूरा किया जा रहा है.
क्या है जीआई टैग?: जीआई टैग मिलने का मतलब होता है कि कोई प्रोडक्ट मुख्य रूप से एक निश्चित क्षेत्र की पहचान बन जाता है. GI का मतलब Geographical Indication होता है. मतलब कि भौगोलिक संकेत. जीआई टैग का सामान्य मतलब है कि कोई प्रोडक्ट कहां होता है, या कहां बनाया जाता है. अपने क्षेत्र में विशेष विशेषता रखने वाले प्रोडक्ट को ही जीआई टैग दिया जाता है.