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डोमचांच में बना ऐतिहासिक डाकघर बारिश में धराशायी, प्रशासन से लगाई मदद गुहार - कोडरमा में बारिश के कारण डाकघर धराशायी

कोडरमा के डोमचांच में बना ऐतिहासिक डाकघर बारिश में पूरी तरह से धराशायी हो गया है. स्थानीय लोग प्रशासन से इसकी मरम्मत करवाने के लिए गुहार लगा रहे हैं. लेकिन प्रशासन किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रहा है.

डाकघर बारिश में धराशायी
डाकघर बारिश में धराशायी
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Published : Oct 12, 2020, 4:33 PM IST

कोडरमा: जिले के डोमचांच में बना ऐतिहासिक डाकघर बारिश में पूरी तरह से धराशायी हो गया है. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत में स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश काल में बने इस पोस्ट ऑफिस में तोड़फोड़ कर आगजनी की घटना को अंजाम दिया था और अंग्रेजों का संपर्क देश के दूसरे हिस्सों से तोड़ दिया था, जिस वक्त इस पोस्ट ऑफिस की स्थापना की गई थी. उस वक्त राज्य में महज चतरा और रामगढ़ में ही पोस्ट ऑफिस हुआ करता था.

देखें पूरी खबर

व्यवसाय को संचालित करते थे अंग्रेज

साल दो साल पहले आजादी की लड़ाई से जुड़े इस ऐतिहासिक पोस्ट ऑफिस को स्मारक बनाने की कवायद शुरू की गई थी, लेकिन तमाम योजनाएं फाइलों में ही दब कर रह गई. इस पोस्ट ऑफिस के पास रहने वाले सुब्रतो मुखर्जी ने बताया कि पोस्ट ऑफिस के भवन जीर्णोद्धार के लिए उन्होंने राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ साथ स्थानीय जिला प्रशासन से भी गुहार लगाई. लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई और इस बारिश में आजादी से जुड़ा यह ऐतिहासिक धरोहर धराशाई हो गया है. 19वीं सदी के शुरुआत में अंग्रेजों ने कोडरमा के डोमचांच में इस पोस्ट ऑफिस की स्थापना की थी और यहां से देश के दूसरे हिस्सों से अंग्रेज अपने व्यवसाय को संचालित करते थे.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंत्री बादल पत्रलेख को दी जन्मदिन की बधाई, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना

ऐतिहासिक दृष्टिकोंण से अहम

1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई, तो डोमचांच के स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों पर भारत छोड़ने का दबाव बनाने के लिए उनके संपर्क सूत्र के रूप में अहम माना जाने वाले इस पोस्ट ऑफिस के डाक और तार व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था, लेकिन यह ऐतिहासिक डाकघर स्मारक बनने से पहले ही जमीनदोज होता जा रहा है.

कोडरमा: जिले के डोमचांच में बना ऐतिहासिक डाकघर बारिश में पूरी तरह से धराशायी हो गया है. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत में स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश काल में बने इस पोस्ट ऑफिस में तोड़फोड़ कर आगजनी की घटना को अंजाम दिया था और अंग्रेजों का संपर्क देश के दूसरे हिस्सों से तोड़ दिया था, जिस वक्त इस पोस्ट ऑफिस की स्थापना की गई थी. उस वक्त राज्य में महज चतरा और रामगढ़ में ही पोस्ट ऑफिस हुआ करता था.

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व्यवसाय को संचालित करते थे अंग्रेज

साल दो साल पहले आजादी की लड़ाई से जुड़े इस ऐतिहासिक पोस्ट ऑफिस को स्मारक बनाने की कवायद शुरू की गई थी, लेकिन तमाम योजनाएं फाइलों में ही दब कर रह गई. इस पोस्ट ऑफिस के पास रहने वाले सुब्रतो मुखर्जी ने बताया कि पोस्ट ऑफिस के भवन जीर्णोद्धार के लिए उन्होंने राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ साथ स्थानीय जिला प्रशासन से भी गुहार लगाई. लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई और इस बारिश में आजादी से जुड़ा यह ऐतिहासिक धरोहर धराशाई हो गया है. 19वीं सदी के शुरुआत में अंग्रेजों ने कोडरमा के डोमचांच में इस पोस्ट ऑफिस की स्थापना की थी और यहां से देश के दूसरे हिस्सों से अंग्रेज अपने व्यवसाय को संचालित करते थे.

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ऐतिहासिक दृष्टिकोंण से अहम

1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई, तो डोमचांच के स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों पर भारत छोड़ने का दबाव बनाने के लिए उनके संपर्क सूत्र के रूप में अहम माना जाने वाले इस पोस्ट ऑफिस के डाक और तार व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था, लेकिन यह ऐतिहासिक डाकघर स्मारक बनने से पहले ही जमीनदोज होता जा रहा है.

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