कोडरमा: 17 सितम्बर (रविवार) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वकर्मा योजना को लॉन्च करेंगे. 15 अगस्त को लाल किला से इस योजना की घोषणा होने के बाद से ही कुम्हार समाज के लोगों में उत्साह का माहौल है. कोडरमा जिले में यूं तो कुम्हार समाज के लोगों की संख्या अच्छी खासी है, लेकिन बहुत कम ऐसे लोग हैं जो अपने पुश्तैनी धंधे को आज भी जिंदा रखे हुए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नई उड़ान देंगे: विश्वकर्मा योजना की घोषणा के बाद से कुम्हार परिवार के चाक की रफ्तार तेज हो गई हैं. उन्हें यह उम्मीद है कि जिस पुश्तैनी धंधे को महाजन से कर्ज लेकर आज तक जीवित रखे हुए हैं, उसे अब विश्वकर्मा योजना के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नई उड़ान देंगे. कोडरमा के झुमरी तिलैया में मडुवाटांड़ में रेलवे लाइन के किनारे कुम्हार परिवार निवास करते हैं. दिवाली और छठ के साथ-साथ इनके द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तन की डिमांड पूरे साल रहती है.
व्यवसाय को और बेहतर ढंग से कर सकेंगे: पैसे के अभाव और आर्थिक तंगी के कारण कुम्हार ग्राहकों की डिमांड पूरी करने में पीछे रह जाते थे. जिसके कारण इनका मुनाफा भी प्रभावित होता था. अब इन्हें उम्मीद है कि जब विश्वकर्मा योजना के तहत इन्हें आसानी से ऋण उपलब्ध होगा तो ये अपने पूर्वजों के व्यवसाय को और बेहतर ढंग से कर सकेंगे.
अब आसानी से उपलब्ध हो जाएगा ऋण: मिट्टी के बर्तन तैयार करने के लिए इन कुम्हार परिवारों को पहले मिट्टी आसानी से मुफ्त में उपलब्ध हो जाया करती थी. अब इसे भी इन्हें खरीदना पड़ता है. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक चाक पर बर्तन तैयार करने के लिए इन्हें बिजली बिल का भी भुगतान करना पड़ता है. डिमांड बढ़ने के साथ-साथ इनकी आमदनी जरूर बढ़ी है लेकिन इनका मुनाफा थोड़ा कम जरूर हुआ है. ऐसे में इन कुम्हार परिवारों को उम्मीद है कि जब आसानी से विश्वकर्मा योजना के तहत इन्हें ऋण उपलब्ध हो जाएगा. तब महाजन से ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.
अब तक की सरकारों से उपेक्षा का दंश झेल रहे इन कुम्हारों को विश्वकर्मा योजना से काफी उम्मीदें हैं. योजना के घोषणा मात्र से ही इन परिवारों में उम्मीद की किरण दिखने लगी है.