कोडरमा: न्यूयार्क में यूएन के मंच पर बाल मजदूरी और बाल शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली (Voice of child laborers in New York) कोडरमा की काजल कुमारी (Koderma Kajal Kumari) घर लौट आई है. यूएन की ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट (United Nations Transforming Education Summit) में कई देशों के प्रतिनिधियों के बीच बेबाकी से बाल मजदूरों की पीड़ा व्यक्त करने वाली काजल का जगह-जगह स्वागत किया जा रहा है. काजल की उपलब्धि पर आसपास के लोग गदगद हैं और उसकी सोच की तारीफ कर रहे हैं.
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बता दें कि काजल कुमारी कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के मधुबन पंचायत की रहने वाली है. वह नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन से जुड़ी हुई है. काजल कुमारी ने बताया कि सत्यार्थी के संगठन से जुड़ने से पहले वह मायका खदान में मजदूरी करती थी. बाद में सत्यार्थी के बाल मित्र ग्राम प्रोजेक्ट से जुड़ गईं. वर्तमान में वह बाल पंचायत की अध्यक्ष है और बाल नेता के रूप में काम कर रही है.
इसने इस प्रोजेक्ट से जुड़कर पढ़ाई शुरू की. साथ ही गांव के कई बच्चों को साथ जोड़ा. कई बच्चियों के बाल विवाह को रोकने में भी भूमिका निभाई. अब कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की मदद से अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंची. 21 सितंबर को न्यूयॉर्क में यूनाइटेड नेशन की ओर से बच्चों के हक और अधिकारों को लेकर आयोजित किए गए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बेबाकी से राय रखी. इस सम्मेलन में अफ्रीकी और यूरोपीय देशों के बच्चों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई. इस मंच से काजल ने बाल मजदूरी और बाल शोषण के खिलाफ न सिर्फ अपनी आवाज बुलंद किया बल्कि इन कुरीतियों को रोकने के लिए वैश्विक नेताओं को कई सुझाव भी दिए.
संयुक्त राष्ट्र की ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट (United Nations Transforming Education Summit) में कोडरमा की काजल ने भारत में बाल मजदूरों की स्थिति और उसे रोकने को लेकर किए जा रहे उपायों पर अपनी राय रखी. इसके अलावा काजल ने यह भी बताया कि कैसे कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के प्रयास से बच्चे बाल पंचायत से जुड़कर शिक्षित हो रहे हैं और गांव की समस्याओं का समाधान भी खुद कर रहे हैं. इस सम्मेलन के दौरान काजल ने कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात भी की.
मधुवन पंचायत के मुखिया का कहना है कि न्यूयॉर्क से वापस कोडरमा लौटने पर हर तरफ काजल का स्वागत किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर काजल की इस उपलब्धि से लोग खुश नजर आ रहे हैं. काजल को सम्मानित करने के लिए मधुबन पंचायत भवन में सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया, जहां सभी जन जनप्रतिनिधियों ने बाल मजदूरी के खिलाफ काजल के किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और उसकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई दी.
काजल की इस उपलब्धि पर उसके माता- पिता भी गौरवान्वित हैं. अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उसके पिता ने बताया कि एक समय था जब काजल उनके साथ मजदूरी करने जाया करती थी लेकिन सत्यार्थी फाउंडेशन के प्रयास से न सिर्फ काजल आज पढ़ाई कर रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला. इससे वह गौरवान्वित हैं.
वहीं दूसरी तरफ कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के वरिष्ठ कार्यकर्ता गोविंद खनाल का मानना है कि जिस तरह से वैश्विक मंच पर वैश्विक नेताओं के सामने काजल ने बाल मजदूरी और बाल शोषण के खिलाफ बेबाकी से अपनी बातें रखीं हैं. जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल शोषण और बाल मजदूरी को रोकने के लिए उपाय शुरू किए जाएंगे.
गोविंद खनाल ने बताया कि 2016 से पहले काजल बाल मजदूरी किया करती थी और यहां के माइका खदानों में अपने परिवार के साथ माइका चुनने का कार्य करती थी. लेकिन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के प्रयास से काजल बाल पंचायत का सदस्य बनने के बाद मुखिया भी बनी. इन 6 सालों में कार्य करते हुए काजल तकरीबन तीन दर्जन बाल मजदूरों को रिहा करवा चुकी है. साथ ही काजल ने कई बाल विवाह भी रुकवाए हैं.