कोडरमा: जिले में पिछले दिनों बाल मजदूरी और बंधुआ मजदूरी से विमुक्त किए गए चार बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा गया है. उपायुक्त रमेश घोलप की पहल पर इन बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए सभी बच्चों का स्कूलों में नामांकन किया गया है. जबकि 3 बच्चों के अभिभावकों को बतौर एरियर 40-40 हजार रुपये का भुगतान किया है.
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उपायुक्त ने दी सहायता राशि
उपायुक्त ने डोमचांच के मसमोहना में बंधुआ मजदूरी करते रिहा कराए गए बच्चे के अभिभावक को बतौर सहायता राशि दी है. उपायुक्त ने यह राशि बच्चों के पढ़ाई लिखाई पर खर्च करने की अभिभावकों से अपील की है. पिछले 8 फरवरी को कोडरमा थाना क्षेत्र के बेकरी फैक्ट्री में 3 बाल मजदूर काम करते पाए गए थे. जिन्हें वहां से रिहा कराया गया था. जबकि एक बच्चा मसमोहना में अपने पिता का कर्ज चुकाने के लिए बंधुआ मजदूरी करते पाया गया था. बच्चों को उनके बेहतर भविष्य की शुभकामना देते हुए उपायुक्त रमेश घोलप ने सभी बच्चों से हाथ मिलाएं और बारी बारी से उन्हें नियमित तौर पर पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया.
बाल मजदूरी को लेकर जागरूकता
इस मौके पर उपायुक्त रमेश घोलप ने कहा कि बाल मजदूरी को लेकर लोगों को सोच बदलने की जरूरत है. बच्चों को मजदूरी के एवज में बहुत ज्यादा नहीं मिलता है. ऐसे में बच्चों को शिक्षित बनाकर उनका भविष्य बेहतर बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के कारण बाल मजदूरी के मामले जरूर बढे हैं, लेकिन उस पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है.