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सामाजिक बुराइयों को दूर कर रही 'बाल पंचायत', नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की लिखी जा रही गाथा

कोडरमा: जिले और गिरीडीह के पंचायतों में बाल पंचायत का गठन किया जा चुका है. बाल पंचायत के गठन में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन अग्रणी भूमिका निभा रहा है. बाल पंचायत के गठन साथ ही इस गांव में विकास हो रही है लोग जागरूक हो रहे हैं और इलाके में नक्सल का खात्मा हो रहा है.

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Published : Feb 3, 2019, 1:51 AM IST

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जिन इलाकों में महीनों पहले तक नक्सलियों का बसेरा हुआ करता था और यह पूरा गांव विकास से कोसों दूर था. नक्सलियों के डर से किसी में बोलने की हिम्मत नहीं होती थी और ना ही किसी के कुछ करने की. लेकिन बाल पंचायत के गठन के साथ ही इस गांव में विकास हो रहा है. लोग जागरूक हो रहे हैं और इलाके में नक्सल का खात्मा हो रहा है.

वहीं, ढोंढाकोला के सरकारी टांड गांव में एक कार्यक्रम का आयोजन कर बाल पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया और उनके बीच सर्टिफिकेट का वितरण किया गया. साथ ही उन्हें कर्तव्य और अधिकारों को लेकर शपथ दिलाई गई. बाल पंचायत की चुनी हुई मुखिया ने बताया कि पंचायत के गठन के साथ गांव की तश्वीर बदल रही है. बच्चे स्कूल जा रहे हैं और गांव की समस्याओं का निदान भी हो रहा है.

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बच्चों को सम्मानित करते स्टेट बार काउंसिल के सचिव राजेश पांडे.
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कार्यक्रम के दौरान बाल पंचायत के प्रतिनिधियों को शपथ दिलाने और उनके बीच सर्टिफिकेट वितरण करने पहुंचे स्टेट बार काउंसिल के सचिव राजेश पांडे ने भी माना कि बाल पंचायत का गठन एक मजबूत लोकतंत्र के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है. बाल पंचायत के जरिए लोग जागरूक हो रहे हैं और कहीं न कहीं बच्चों के जरिए ही विकास से दूर इन गांवों में राजनीति की नई इबारत भी तैयार की जा रही है और मजबूत लोकतंत्र की बुनियाद भी तैयार हो रही है.

जिन इलाकों में महीनों पहले तक नक्सलियों का बसेरा हुआ करता था और यह पूरा गांव विकास से कोसों दूर था. नक्सलियों के डर से किसी में बोलने की हिम्मत नहीं होती थी और ना ही किसी के कुछ करने की. लेकिन बाल पंचायत के गठन के साथ ही इस गांव में विकास हो रहा है. लोग जागरूक हो रहे हैं और इलाके में नक्सल का खात्मा हो रहा है.

वहीं, ढोंढाकोला के सरकारी टांड गांव में एक कार्यक्रम का आयोजन कर बाल पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया और उनके बीच सर्टिफिकेट का वितरण किया गया. साथ ही उन्हें कर्तव्य और अधिकारों को लेकर शपथ दिलाई गई. बाल पंचायत की चुनी हुई मुखिया ने बताया कि पंचायत के गठन के साथ गांव की तश्वीर बदल रही है. बच्चे स्कूल जा रहे हैं और गांव की समस्याओं का निदान भी हो रहा है.

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बच्चों को सम्मानित करते स्टेट बार काउंसिल के सचिव राजेश पांडे.
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कार्यक्रम के दौरान बाल पंचायत के प्रतिनिधियों को शपथ दिलाने और उनके बीच सर्टिफिकेट वितरण करने पहुंचे स्टेट बार काउंसिल के सचिव राजेश पांडे ने भी माना कि बाल पंचायत का गठन एक मजबूत लोकतंत्र के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है. बाल पंचायत के जरिए लोग जागरूक हो रहे हैं और कहीं न कहीं बच्चों के जरिए ही विकास से दूर इन गांवों में राजनीति की नई इबारत भी तैयार की जा रही है और मजबूत लोकतंत्र की बुनियाद भी तैयार हो रही है.

Intro:कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के ढोंढाकोला में बाल पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों का सम्मेलन आयोजित किया गया । बाल पंचायत यानी ऐसी पंचायत जहां मुखिया भी बच्चे ,पंचायत समिति सदस्य भी बच्चे और पंचायत सचिव भी बच्चे होते हैं ।जिन इलाकों में महीनों पहले तक नक्सलियों का बसेरा हुआ करता था और यह पूरा गांव विकास से कोसों दूर था ।नक्सलियों के डर से किसी में बोलने की हिम्मत नहीं होती थी ना ही किसी के किसी के कुछ करने की । लेकिन बाल पंचायत के गठन साथ ही इस गांव में विकास हो रही है लोग जागरूक हो रहे हैं और इलाके में नक्सल का खात्मा हो रहा है ।


Body:कोडरमा और गिरिडीह के पंचायतों में बाल पंचायत का गठन किया जा चुका है ।बाल पंचायत का गठन पूरी प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है । बाल पंचायत के गठन में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन अग्रणी भूमिका निभा रहा है ।धोढाकोला पंचायत के सरकारी टांड गाँव में एक कार्यक्रम का आयोजन कर बाल पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया और उनके बीच सर्टिफिकेट का वितरण किया गया । साथ ही उन्हें कर्तव्य और अधिकारों को लेकर शपथ दिलाई गई । बाल पंचायत की चुनी हुई मुखिया ने बताया कि पंचायत के गठन के साथ गाँव की तश्वीर बदल रही हैं ।बच्चे स्कूल जा रहे हैं और गांव की समस्याओं का निदान भी हो रहा है ।कार्यक्रम के दौरान बाल पंचायत के प्रतिनिधियों को शपथ दिलाने और उनके बीच सर्टिफिकेट वितरण करने पहुंचे स्टेट बार काउंसिल के सचिव राजेश पांडे ने भी माना कि बाल पंचायत का गठन एक मजबूत लोकतंत्र के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है और गांव में विकास के साथ-साथ लोग जागरूक बनने के लिए तैयार हो रहे हैं ।


Conclusion:लोगों की जागरूकता किसी इलाके के विकास के साथ-साथ नक्सलियों के खाते में सहायक सिद्ध हो सकती है ।ऐसे में बाल पंचायत के जरिए बच्चे के द्वारा ही लोग जागरूक हो रहे हैं और कहीं न कहीं बच्चों के जरिए ही विकास से दूर इन गांवों में राजनीति की नई इबारत भी तैयार की जा रही है और मजबूत लोकतंत्र की बुनियाद भी तैयार हो रही है ।
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