खूंटी: जिले में शिक्षक और जिला शिक्षक अधीक्षक के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है. जिले में शिक्षकों को हर काम के लिए चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है. झारखंड की प्रमुख खबरों में इन दिनों जमीन माफिया सुर्खियों में है लेकिन रांची से सटे पड़ोसी जिला खूंटी की बात करें तो यहां जमीन से ज्यादा शिक्षा माफिया सक्रिय हो गए हैं. शिक्षकों का हर काम माफिया के रास्ते चढ़ावे के साथ ही एक टेबल से दूसरे टेबल में बढ़ता है. जिले में कोरोना संक्रमण के भय से कम लेकिन डीएसई के प्रताड़ना से ज्यादा भयभीत है. महिला शिक्षक इतना परेशान है कि निदेशक से रिश्वत लिए बगैर काम करने की गुहार लगाती दिखी और आत्महत्या करने की बात कही.
सुर्खियों में शिक्षा विभाग
खूंटी में इन दिनों शिक्षा विभाग सुर्खियों में हैं. 12 जनवरी को एक शिक्षक से एक दिन की छुट्टी अवकाश के एवज में स्पष्टीकरण से असंतुष्ट होने पर 14 हजार रुपये रिश्वत लेकर मामला क्लियर करने का था तभी (एसीबी) एंटी करप्शन ब्यूरो ने 14,000 रुपये लेते शिक्षा विभाग के क्लर्क को रंगे हाथों दबोचा है. मामला जिला से राज्य स्तर तक पहुंच गया.
लगाया गया शिक्षा जनता दरबार
इसी क्रम में जिले में पहली बार शिक्षकों की तमाम समस्याओं और लंबित मामलों को सुलझाने के लिए शिक्षा जनता दरबार लगाया गया. शिक्षा जनता दरबार में बतौर सुप्रीमो क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक अरविंद विजय बिलुंग पहुंचे और एक-एक कर मामलों की सुनवाई की. जिसमें 100 से ज्यादा मामले सामने आए. प्रमुख रूप से 5 तरह की समस्याओं से खूंटी के अधिकांश महिला और कुछ पुरुष शिक्षक परेशान हैं.
- जिला के महिला शिक्षकों के साथ विद्यालय और कार्यालय में बेवजह गाली गलौज और अपशब्दों का प्रयोग किया जाता है.
- सेवानिवृत शिक्षकों को यह कहकर दुत्कार कर भाग दिया जाता है कि पेंशन और अन्य कार्य पूर्व के जिला शिक्षा अधीक्षक ने क्यों नहीं किया.
- लॉकडॉउन की अवधि में विद्यालय के निरिक्षण के बाद विडजयली परिसर की साफ सफाई वर्ग कक्ष की साफ सफाई और शौचालय की साफ सफाई के नाम पर स्पष्टीकरण की मांग की गई है. निरीक्षण के दिन का वेतन काटा गया है. कुछ शिक्षकों का वेतन 5 माह से बंद है.
- शिक्षकों से लंबित वेतन भुगतान के एवज में बड़ी राशि की मांग की गई है.
- शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने के लिए आवेदन पर जाति और वर्ग के आधार पर विभेद किया जाता है.
अपनी समस्या को लेकर शिक्षक पहुंचे जनता दरबार
खूंटी में आयोजित शिक्षा जनता दरबार में बड़ी संख्या में अवकाश प्राप्त समेत कार्यरत शिक्षक-शिक्षिकाएं पहुंची थीं. जब शिक्षकों ने कैमरे पर अपनी आपबीती सुनाई तो मामला गंभीर ही नहीं अति गंभीर होता चला गया. कई शिक्षकों ने लंबित वेतन भुगतान, पेंशन और अवकाश में आवेदन के बावजूद ड्यूटी पर नहीं होने के मामले में वेतन रोक जैसे मामलों को सुनवाई के लिए क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक के सामने रखा.
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क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है लेकिन अब तक मामले की जांच के लिए कोई आदेश अब तक नहीं आया है. प्रतिदिन कई तरह की समस्याएं आती हैं और मामलों की जांच भी की जाती है लेकिन इस मामले में विभागीय जांच का आदेश यदि आता है तो मामले की जांच की जाएगी.