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खूंटी में अफीम नष्ट करने से बीमार हो रहे हैं पुलिस जवान, आंख और फेफड़ों में हो रही है दिक्कत

खूंटी में अफीम की खेती का दुष्प्रभाव युवाओं के साथ पुलिस जवानों पर भी पड़ रहा है. अफीम के खेत से निकलने वाली महक और दूध के छीटों से जवान बीमार पड़ रहे हैं.

opium in khunti
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Published : Mar 21, 2022, 8:23 AM IST

Updated : Mar 21, 2022, 2:28 PM IST

खूंटी: काला हीरा (कोयला) के लिए मशहूर झारखंड अब काला सोना (अफीम) को लेकर बदनाम हो रहा है. झारखंड के कई जिलों में अफीम की खेती और उसके बाद तस्करी की खबरे आए दिन सामने आती रहती है. अफीम की खेती और तस्करी से केवल युवा और दूसरे नशाबाज ही प्रभावित नहीं हो रहे हैं बल्कि इसका असर पुलिस जवानों पर भी पड़ रहा है. अफीम के खेत में लगातार कार्रवाई से पुलिसवाले बीमार पड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- खूंटी में लहलहा रहे अफीम के खेत, जिला प्रशासन मामले से अनजान

खूंटी में अफीम की खेती

खूंटी जिले के विभिन्न इलाकों मुरहू,अड़की और मारंगहादा थाना क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सैकड़ों एकड़ खेत और जंगलों के बीच अफीम की खेती की जाती रही है. जिसका पता चलने पर प्रशासन के द्वारा खेतों को नष्ट भी किया जाता रहा है. लेकिन प्रशासन की यही कार्रवाई पुलिस जवानों पर भारी पड़ रही है. अफीम नष्ट करने के दौरान फसल से निकलने वाली महक और दूध के छींटे उनके आंख और फेफड़ों को खराब कर रहे हैं. जवानों के मुताबिक अफीम की दूध से आंखों में जलन होने लगता है. इसके अलावे अफीम के खेत में लगातार डंडा चलाने से उससे निकलने वाली महक भी श्वसन प्रक्रिया पर विपरित असर डाल रही है. जवानों के अनुसार ऐसे खेतों में कार्रवाई के बाद आंखों में धुंधलापन, सर भारी होना, नींद का नहीं आना जैसी समस्या आम हो गई है.

देखें पूरी रिपोर्ट

जवानों के लिए ड्यूटी करना मजबूरी

अफीम विनष्टीकरण अभियान में लगे जवानों की मानें तो खेतों में अभियान चलाना उनकी मजबूरी है. वो बताते हैं कि एक बार अवैध खेती का पता चलने के बाद कार्रवाई से कोई इंकार नहीं कर सकता है. ऐसा करने पर निलंबित होने का खतरा होता है. ऐसे में स्वास्थ्य के आगे नौकरी को तरजीह देना मजबूरी बन गया है. बता दें कि जिले में लगातार पुलिस प्रशासन द्वारा अवैध अफीम की खेती पर कार्रवाई करने के बावजूद अफीम तस्कर और ग्रामीण अफीम की खेती से बाज नहीं आ रहे हैं. विगत चार पांच वर्षों में अवैध अफीम की खेती और तस्करी मामले में एक सौ से ज्यादा अफ़ीम तस्कर जेल भेजे जा चुके हैं. बावजूद अवैध अफीम की खेती में कमी नहीं आ रही है.

ये भी पढ़ें- खूंटी पुलिस को नहीं पता चीनी और अफीम का फर्क! FSL जांच में युवकों से बरामद पदार्थ निकली चीनी, अब हो रही फजीहत

जवानों को डॉक्टरों की सलाह

पुलिस जवानों की समस्या पर जब सदर अस्पताल के डॉक्टर पीपी साह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अफीम से निकलने वाले दूध में भारी मात्रा में केमिकल पाए जाते है जो शरीर के अंगों के लिए काफी हानिकारक होता है. ऐसे में जवानों को पीपीई कीट पहन कर इस तरह की कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही मास्क और चश्मे के इस्तेमाल से भी इससे बचा जा सकता है.

खूंटी: काला हीरा (कोयला) के लिए मशहूर झारखंड अब काला सोना (अफीम) को लेकर बदनाम हो रहा है. झारखंड के कई जिलों में अफीम की खेती और उसके बाद तस्करी की खबरे आए दिन सामने आती रहती है. अफीम की खेती और तस्करी से केवल युवा और दूसरे नशाबाज ही प्रभावित नहीं हो रहे हैं बल्कि इसका असर पुलिस जवानों पर भी पड़ रहा है. अफीम के खेत में लगातार कार्रवाई से पुलिसवाले बीमार पड़ रहे हैं.

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खूंटी में अफीम की खेती

खूंटी जिले के विभिन्न इलाकों मुरहू,अड़की और मारंगहादा थाना क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सैकड़ों एकड़ खेत और जंगलों के बीच अफीम की खेती की जाती रही है. जिसका पता चलने पर प्रशासन के द्वारा खेतों को नष्ट भी किया जाता रहा है. लेकिन प्रशासन की यही कार्रवाई पुलिस जवानों पर भारी पड़ रही है. अफीम नष्ट करने के दौरान फसल से निकलने वाली महक और दूध के छींटे उनके आंख और फेफड़ों को खराब कर रहे हैं. जवानों के मुताबिक अफीम की दूध से आंखों में जलन होने लगता है. इसके अलावे अफीम के खेत में लगातार डंडा चलाने से उससे निकलने वाली महक भी श्वसन प्रक्रिया पर विपरित असर डाल रही है. जवानों के अनुसार ऐसे खेतों में कार्रवाई के बाद आंखों में धुंधलापन, सर भारी होना, नींद का नहीं आना जैसी समस्या आम हो गई है.

देखें पूरी रिपोर्ट

जवानों के लिए ड्यूटी करना मजबूरी

अफीम विनष्टीकरण अभियान में लगे जवानों की मानें तो खेतों में अभियान चलाना उनकी मजबूरी है. वो बताते हैं कि एक बार अवैध खेती का पता चलने के बाद कार्रवाई से कोई इंकार नहीं कर सकता है. ऐसा करने पर निलंबित होने का खतरा होता है. ऐसे में स्वास्थ्य के आगे नौकरी को तरजीह देना मजबूरी बन गया है. बता दें कि जिले में लगातार पुलिस प्रशासन द्वारा अवैध अफीम की खेती पर कार्रवाई करने के बावजूद अफीम तस्कर और ग्रामीण अफीम की खेती से बाज नहीं आ रहे हैं. विगत चार पांच वर्षों में अवैध अफीम की खेती और तस्करी मामले में एक सौ से ज्यादा अफ़ीम तस्कर जेल भेजे जा चुके हैं. बावजूद अवैध अफीम की खेती में कमी नहीं आ रही है.

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जवानों को डॉक्टरों की सलाह

पुलिस जवानों की समस्या पर जब सदर अस्पताल के डॉक्टर पीपी साह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अफीम से निकलने वाले दूध में भारी मात्रा में केमिकल पाए जाते है जो शरीर के अंगों के लिए काफी हानिकारक होता है. ऐसे में जवानों को पीपीई कीट पहन कर इस तरह की कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही मास्क और चश्मे के इस्तेमाल से भी इससे बचा जा सकता है.

Last Updated : Mar 21, 2022, 2:28 PM IST
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