खूंटीः 15 नवंबर को देश की राष्ट्रपति खूंटी आने वाली हैं. यहां वो भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू भी पहुंचेंगी. जिला प्रशासन ने राष्ट्रपति के आगमन को लेकर जोर शोर से तैयारियां आरम्भ कर दी हैं. लेकिन जिस स्टेट हाईवे से राष्ट्रपति समेत अन्य गणमान्य उलिहातू पहुचेंगे उस मुख्य पथ के किनारे पत्थलगड़ी आंदोलनकारियों ने दीवारों पर नारे लिखे हैं, जिसमें असंवैधानिक वाक्य लिखे गए हैं. साथ ही पत्थलगड़ी के शिलापट्ट पर भारत के संविधान की गलत व्याख्या की गई है.
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वैसे तो पत्थलगड़ी आंदोलन तीन वर्ष पूर्व ही समाप्त हो गया. लेकिन पत्थलगड़ी के शिलापट्ट आज भी सड़कों के किनारे उसी स्थिति में मौजूद हैं. ऐसे में माननीयों का काफिला इसी रास्ते होकर गुजरने वाला है. तीन वर्ष पूर्व तक जिला में समानांतर सरकार का दंभ भरने वाले तथाकथित नेता पत्थलगड़ी कर सरकार और सिस्टम को खुली चुनौती दिया था. लेकिन बाद में पुलिसिया सख्ती के बाद यह आंदोलन बंद हो गया. उस दौरान पत्थलगड़ी करने वाले नेता सरकारी स्कूलों, भवन व बस अड्डों में सरकार विरोधी संदेश लिखा करते थे. जिससे उनके आंदोलन को ज्यादा गति मिली थी.
इसको लेकर प्रशासन और पुलिस की सख्ती के बाद कई जगहों से ऐसे नारों को मिटाया गया. लेकिन खूंटी तमाड़ मुख्य पथ पर दीवारी पर पत्थलगड़ी के नारे अब भी वैसे ही हैं. इसी सड़क मार्ग से 15 नवंबर को देश की राष्ट्रपति से लेकर कई गणमान्य भगवान बिरसा के गांव जाएंगे. यहां बता दें कि खूंटी तमाड़ मुख्य पथ पर स्थित उदुबुरु गांव कभी पत्थलगड़ी का मुख्य केंद्र हुआ करता था.