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अबुआ दिसुम, अबुआ राज का सपना होगा सच, मजदूरों को झारखंड से नहीं जाना पड़ेगा बाहर: कृषि मंत्री

झारखंड में प्रवासी मजदूरों का लौटना लगातार जारी है. ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष इनके रोजगार के लिए जिम्मेदारी बढ़ जाती है. झारखंड के कृषि मंत्री ने दावा किया है कि अब मजदूरों को झारखंड से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

minister Badal Patralekh statement
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख
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Published : May 18, 2020, 11:37 AM IST

खूंटी: राज्य के कृषि और सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख ने प्रवासी मजदूरों को झारखंड में ही काम दिलाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि मजदूरों के सपनों को झारखंड में पूरा करने का समय आ गया है. अबुआ दिसुम, अबुआ राज का सपना अपने लोगों के साथ हाथ बंटाने से ही संभव हो सकेगा.

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख

मंत्री ने कहा कि काफी जिल्लत भरी जिंदगी पिछले दो माह में प्रवासी मजदूरों ने झेली है, यातनाएं सही हैं. उन्हें अब झारखंड में ही रहकर झारखंड के नवनिर्माण में जोड़ने की जरूरत है. इन प्रवासी मजदूरों का ठहराव कैसे झारखंड में हो इसकी चिंता हम सबों को करने की जरूरत है. क्रैस क्रॉप, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म प्लान के तहत साल हर साल कैसे कृषि और अन्य कार्यों से मजदूरों को जोड़ा जाए इसके लिए मिल-बैठकर कार्य करने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- गढ़वाः वन विभाग के पदाधिकारियों पर हमला, रेंजर सहित तीन घायल, पांच वाहन क्षतिग्रस्त

उन्होंने कहा कि कृषि विभाग लगातार इस मसले पर बैठक कर रहा है. 11 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया है. दूसरे विभागों से भी समन्वय स्थापित कर कार्य किये जा रहे हैं. कृषि, मनरेगा और अन्य रचनात्मक कार्यों से जोड़कर झारखंड के नवनिर्माण में आगे बढ़ने की आवश्यकता है. तमाम बाधाओं और कठिनाइयों से निकलकर स्किल्ड और नॉन-स्किल्ड मजदूरों के लिए कार्ययोजना तैयार कर धरातल पर उतारा जाएगा. इसके लिए गैर सरकारी संगठनों, बुद्धिजीवियों और तकनीकी कुशलता में दक्ष लोगों के समन्वय से बेहतर कार्य किए जा सकते हैं.

खूंटी: राज्य के कृषि और सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख ने प्रवासी मजदूरों को झारखंड में ही काम दिलाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि मजदूरों के सपनों को झारखंड में पूरा करने का समय आ गया है. अबुआ दिसुम, अबुआ राज का सपना अपने लोगों के साथ हाथ बंटाने से ही संभव हो सकेगा.

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख

मंत्री ने कहा कि काफी जिल्लत भरी जिंदगी पिछले दो माह में प्रवासी मजदूरों ने झेली है, यातनाएं सही हैं. उन्हें अब झारखंड में ही रहकर झारखंड के नवनिर्माण में जोड़ने की जरूरत है. इन प्रवासी मजदूरों का ठहराव कैसे झारखंड में हो इसकी चिंता हम सबों को करने की जरूरत है. क्रैस क्रॉप, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म प्लान के तहत साल हर साल कैसे कृषि और अन्य कार्यों से मजदूरों को जोड़ा जाए इसके लिए मिल-बैठकर कार्य करने की जरूरत है.

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उन्होंने कहा कि कृषि विभाग लगातार इस मसले पर बैठक कर रहा है. 11 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया है. दूसरे विभागों से भी समन्वय स्थापित कर कार्य किये जा रहे हैं. कृषि, मनरेगा और अन्य रचनात्मक कार्यों से जोड़कर झारखंड के नवनिर्माण में आगे बढ़ने की आवश्यकता है. तमाम बाधाओं और कठिनाइयों से निकलकर स्किल्ड और नॉन-स्किल्ड मजदूरों के लिए कार्ययोजना तैयार कर धरातल पर उतारा जाएगा. इसके लिए गैर सरकारी संगठनों, बुद्धिजीवियों और तकनीकी कुशलता में दक्ष लोगों के समन्वय से बेहतर कार्य किए जा सकते हैं.

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