खूंटीः निलंबित आईएएस सैय्यद रियाज अहमद को जमानत मिल गयी है. एडीजे-1 संजय कुमार की अदालत में जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. इसके बाद उन्हें जमानत दे दी गयी. 41 सीआरपीसी का कंप्लायंस प्रॉपर नहीं होना और 12 दिन की रिमांड अवधि को कंसीडर करके कोर्ट ने उन्हें राहत दी है. सैय्यद रियाज अहमद ने अधिवक्ता रमेश जायसवाल ने बताया कि एसडीओ को गिरफ्तार करने में खूंटी पुलिस ने काफी जल्दबाजी की और 41 सीआरपीसी का उलंघन किया है.
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खूंटी व्यवहार न्यायालय के जिला अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम संजय कुमार ने निलंबित एसडीओ सैय्यद रियाज अहमद को जमानत दी है. बता दें कि 4 जुलाई को खूंटी थाना में आईआईटी की छात्रा ने छेड़खानी से संबंधित प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. इस मामले में खूंटी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एसडीओ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. अधिवक्ता रमेश जायसवाल ने बताया कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के अनुसार पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है. लेकिन बिना वारंट के गिरफ्तार करने के लिए उस व्यक्ति का जुर्म बहुत ही संगीन होना चाहिए. किसी मामूली या छोटे मामले में पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुलिस अधिकारी अगर CRPC की धारा 41 का उल्लंघन करते हुए किसी को गिरफ्तार कर लें तो संबंधित अदालतें उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करें.
अधिवक्ता ने कहा कि सैय्यद रियाज अहमद के बेल का मुख्य आधार था, उनकी गिरफ्तारी में सीआरपीसी की धारा 41 की घोर उल्लंघन. 4 जुलाई को जमानतीय धारा में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जिस दिन जमानतीय धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई थी, उसी रात 1ः27 बजे 41ए का नोटिस दिया गया और फिर 3ः10 बजे गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि सीआरपीसी 41ए में नोटिस दिया गया और नोटिस का अनुपालन किया जा रहा है तो इस दौरान गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि एसडीओ को जमानतीय धारा के तहत गिरफ्तार कर 5 से 16 जुलाई तक जेल में रखा गया. इस मसले में सीआरपीसी 41 की गंभीर अवहेलना की गई. उन्होंने कहा कि पुलिस ने बाद में प्राथमिकी में गैर जमानतीय धारा 354 जोड़ा.