खूंटी: जिला प्रशासन के लिए चुनौती बना अवैध अफीम की फसल को नष्ट करने का अभियान लगातार जारी है. अफीम की खेती को रोकने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और पैरामिलिट्री लगातार अभियान चला रहे हैं. इसी के तहत मंगलवार शाम तक 26वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल के साथ खूंटी थाना के सशस्त्र बलों ने संयुक्त रूप से सदर थाना क्षेत्र के भंडारा और चांडीडीह के क्षेत्रों में लगभग 32 एकड़ में लगे पोस्ते की फसल को नष्ट किया गया.
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नक्सलवाद के नाम से पहचाने जाने वाला झारखंड के खूंटी जिला अब अवैध अफीम के नाम से जाना जाता है. दशक पूर्व तक नक्सलियों ने अपनी आय बढ़ाने के लिए अफीम की खेती शुरू की थी, लेकिन अब यहां के ग्रामीण खुलकर इस नशे के कारोबार से जुड़ गए हैं. हालांकि जिला प्रशासन अवैध अफीन के खेतों को नष्ट करने में लगा हुआ है. जिले में पहले जहां पुरुष पुलिसकर्मी कंधों में हथियार और हाथों में डंडा लेकर खेतों को नष्ट करते थे अब महिला पुलिसकर्मी भी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर नशे की खेती को नष्ट करने का काम कर रही हैं.
सीआरपीएफ 94 बटालियन ने अड़की के बिरबांकी के रूंगरू में दो एकड़, सोयको के ओतोंग ओड़ा और रानीफॉल में 6 एकड़ में लगे अफीम की फसलों को नष्ट किया गया है. अवैध अफीम के खिलाफ कार्रवाई के दौरान अबतक 1500 एकड़ से अधिक अवैध अफीम की फसलों को नष्ट किया जा चुका है. एसपी ने बताया कि सीआरपीएफ और पुलिस के अलावा महिला पुलिस बल के जवान भी अवैध अफीम को विनष्ट करने में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि नक्सल अभियान और अफीम विनष्टीकरण अभियान एक साथ चल रहा है.
इसी महीने खूंटी जिला मुख्यालय से महज 8-10 किलोमीटर की दूरी पर किये गए अवैध खेती पर महिला बटालियन ने पहली बार डंडे चलाया और लगभग साढ़े पांच एकड़ में कई गयी खेती को महिला बटालियन ने नष्ट कर दिया. जिला पुलिस बल और महिला बटालियनों ने बताया कि लगातार जागरूकता अभियान चलाए जाने के बावजूद चोरी छिपे अफीम की खेती की जाती है. अवैध अफीम की खेती गैरकानूनी है और कई लोग एनडीपीएस एक्ट के तहत जेल भी जा चुके हैं. पूर्व में नक्सलियों द्वारा शुरुवात की गई खेती अब आम ग्रामीणों के द्वारा की जाने लगी है. हालांकि कई इलाकों में पुलिस प्रशासन द्वारा जागरूकता अभियान चलाये जाने के बाद लोगों ने स्वयं अफीम का विनष्टीकरण भी किया लेकिन अब भी कई इलाकों में अफीम की खेती पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बन गयी है.