खूंटीः ब्रिटिश शासन काल में जिले के डोंबारी बुरु में जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसी घटना घटी थी. इस घटना में सैकड़ों आदिवासी शहीद हुए थे. 9 जनवरी 1899 को यह दर्दनाक घटना घटी थी. उन शहीदों की याद में डोंबारी बुरु में 9 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है और मेला का आयोजन किया जाता है.
डोंबारी बुरु में शहीद हुए आदिवासियों को आज नमन करने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा पहुंचेंगे. इसके साथ ही शाम को मेला का आयोजन किया जाएगा. गांव वालों ने पूरी तैयारी कर ली है, साथ ही प्रशासनिक स्तर से भी तैयारी पूर्ण कर ली गई है. शहीद स्थल को सजा दिया गया है. केंद्रीय मंत्री के कार्यक्रम को लेकर सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार ने डोंबारी बुरु जाकर तैयारियों का जायजा लिया. बीडीओ सुलेमान मुंडरी ने बताया कि पूरी तैयारी कर ली गई है. बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों समेत बिरसाइत और स्थानीय ग्रामीण शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.
खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड का डोंबारी बुरु अंग्रेजों के अत्याचार की गवाही देता है. यहां निहत्थे आदिवासियों पर अंग्रेजों ने गोलियों की बौछार कर दी थी, जिसमें सैकड़ों आदिवासियों ने अपनी जान गंवाई थी और सैकड़ों घायल भी हुए थे. डोंबारी बुरु में यह घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी पहले हुई थी. डोंबारी बुरु में 9 जनवरी 1899 को ये घटना घटी थी. सैकड़ों आदिवासियों की शहादत को हर साल याद किया जाता. इस वर्ष खूंटी के सांसद सह केंद्रीय अर्जुन मुंडा मुख्य अतिथि के तौर पर डोंबारी में उपस्थित होकर शहीदों को नमन करेंगे. उनके अलावा पूर्व मंत्री और खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा भी शहीदों को नमन करने शहादत स्थल पहुंचेंगे.
बताया जाता है कि अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान को लेकर 9 जनवरी 1899 को भगवान बिरसा मुंडा अपने अनुयायियों के साथ सभा कर रहे थे. सभा की सूचना मिलने पर अंग्रेज सैनिक वहां आ धमके और सभा स्थल को चारों ओर से घेर लिया था, अंग्रेजों ने सभा पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी. बिरसा मुंडा और उनके साथियों ने भी काफी संघर्ष किया. इस गोलीबारी के बीच से बिरसा मुंडा किसी तरह से निकलने में सफल रहे, लेकिन सैकड़ों लोग शहीद हो गए.
इस हत्याकांड में शहीद हुए लोगों की याद में यहां हर साल 9 जनवरी को मेला लगाया जाता है. मेला की तैयारी डोंबारी के गांव वालों ने पूरी कर ली है. डोंबारी बुरु में शाम को मेला का आयोजन होगा. मेला से पूर्व शहीदों को राज्य के गणमान्य नमन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. बताते चलें कि जिस स्थल पर अंग्रेज सिपाहियों ने सैकड़ों आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया गया था, वहां 110 फीट ऊंची एक विशाल स्तूप का निर्माण किया गया है.
बताया जाता है कि अंग्रेजों ने सैकड़ों आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया था लेकिन डोंबारी बुरू में शहीद हुए सैकड़ों शहीदों में से अब तक सभी की पहचान नहीं हो पायी है. शहादत स्थल पर लगे बोर्ड के अनुसार शहीद हुए लोगों में मात्र 6 लोगों की ही पहचान हो सकी. इसमें गुटूहातू के हाथीराम मुंडा, हाड़ी मुंडा, बरटोली के सिंगराय मुंडा, बंकन मुंडा की पत्नी, मझिया मुंडा की पत्नी और डुंगडुंग मुंडा की पत्नी शामिल हैं.
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