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यहां 6 साल से पेड़ के नीचे चल रहा है सरकारी स्कूल, जानिए क्या है वजह - ETV Bharat

खूंटी का कई गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. एक गांव ऐसा भी जहां सरकारी स्कूल संचालन 6 साल से पेड़ के नीचे हो रहा है. इसका कारण यह है कि यहां कभी सिस्टम पहुंचा ही नहीं, अधिकारी यहां आने से डरते हैं.

Government school is running under tree
Government school is running under tree
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Published : Jul 31, 2022, 2:32 PM IST

Updated : Jul 31, 2022, 3:47 PM IST

खूंटी: जिला के अंतिम छोर में बसे रनिया प्रखंड के ओलंगेर गांव में पिछले छह साल से पेड़ के नीचे सरकारी स्कूल चल रहा है. यह मामला प्रकाश में तब आया जब जिला परिषद अध्यक्ष मसीह गुड़िया, जिला परिषद सदस्य मेनन कंडुलना और उपप्रमुख रेश्मा कंडुलना ओलंगेर गांव पहुंचे. इन जनप्रतिनिधियों ने रनिया प्रखंड के सोदे और खटखुरा पंचायत के कई अन्य गांवों का भी दौरा किया, जहां गंभीर समस्याएं पाई गयीं. इन समस्याओं का कारण यह है कि यहां कभी सिस्टम पहुंच ही नहीं पाई.

इसे भी पढ़ें: सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल ने लिया था नामांकन के नाम पर पैसा, जांच टीम ने डीएसई को सौंपी रिपोर्ट

अधिकारियों के लिखा गया था पत्र: ओलंगेर गांव पहाड़ों के ऊपर बसा है. गांव के लोगों ने जनप्रतिनिधियों को बताया कि यहां का सरकारी स्कूल भवन छह साल पहले ही काफी जर्जर हो चुका था. छत टूट-टूटकर गिरने लगा था, कई बच्चों को चोटें भी आई थीं. जिसके बाद से बड़ी दुर्घटना की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए स्कूल का संचालन पिछले छह सालों से पेड़ के नीचे होने लगा. हालांकि इस संबंध में स्थानीय विधायकों और पूर्व डीसी सूरज कुमार को पत्र लिखा गया था लेकिन, इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

देखें वीडियो


मात्र एक कुएं पर आश्रित हैं ग्रामीण: जिला परिषद अध्यक्ष और सदस्य ने देखा कि ओलोंगेर और बुरुऊर मुंडा गांवों के लोग पेयजल के लिए मात्र एक कुएं पर आश्रित हैं. आधा सावन बीत जाने के बाद भी इतनी बारिश नहीं हुई कि भूगर्भीय जलस्तर ऊपर आ सके. अब कुएं का जलस्तर भी नीचे चला गया है, जो दो गांवों के ग्रामीणों की चिंता बढ़ा रही है. ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं गांव पहुंचे जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखा.

जिला परिषद अध्यक्ष ने दिया आश्वासन: जिला परिषद अध्यक्ष ने गांव के लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि वे गांव में इस उद्देश्य से आए हैं कि गांवों की समस्याओं को सूचीबद्ध कर बारी-बारी से हर समस्या का सामाधान कर सकें. उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था के तहत लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराकर पलायन जैसी समस्याओं का सामाधान किया जाएगा.

गांव आने से डरते हैं अधिकारी: दरअसल, यह पंचायत वर्षों तक नक्सलवाद की चपेट में रहा और नक्सलवाद तो लगभग अब समाप्ति की ओर है लेकिन समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं. इन इलाकों की तस्वीरें शायद नक्सलवाद के खौफ के कारण नहीं बदली लेकिन, कभी सिस्टम ने भी यहां की तस्वीर बदलने की कोशिश नहीं की. जिला परिषद सदस्य ने बताया कि यहां कभी सिस्टम पहुंचा ही नहीं क्योंकि आज भी अधिकारी गांव आने से डरते हैं.

सिस्टम पर खड़े हो रहे हैं सवाल: नक्सल प्रभावित जिला के इस रनिया प्रखंड क्षेत्र की समस्या वाकई सिस्टम के उन सभी दावों पर सवाल खड़ा करता है कि जिले में विकास के कार्य हुए हैं, जबकि सच्चाई ये है कि कभी दूरस्थ इलाकों में सिस्टम पहुंचा ही नहीं वो तो जिप अध्यक्ष ओलोंगर गांव चले गए तो समस्या देख हैरान रह गए कि आखिर यहां के लोगों का क्या होगा? कौन इनकी फरियाद सुनेगा? बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा?

खूंटी: जिला के अंतिम छोर में बसे रनिया प्रखंड के ओलंगेर गांव में पिछले छह साल से पेड़ के नीचे सरकारी स्कूल चल रहा है. यह मामला प्रकाश में तब आया जब जिला परिषद अध्यक्ष मसीह गुड़िया, जिला परिषद सदस्य मेनन कंडुलना और उपप्रमुख रेश्मा कंडुलना ओलंगेर गांव पहुंचे. इन जनप्रतिनिधियों ने रनिया प्रखंड के सोदे और खटखुरा पंचायत के कई अन्य गांवों का भी दौरा किया, जहां गंभीर समस्याएं पाई गयीं. इन समस्याओं का कारण यह है कि यहां कभी सिस्टम पहुंच ही नहीं पाई.

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अधिकारियों के लिखा गया था पत्र: ओलंगेर गांव पहाड़ों के ऊपर बसा है. गांव के लोगों ने जनप्रतिनिधियों को बताया कि यहां का सरकारी स्कूल भवन छह साल पहले ही काफी जर्जर हो चुका था. छत टूट-टूटकर गिरने लगा था, कई बच्चों को चोटें भी आई थीं. जिसके बाद से बड़ी दुर्घटना की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए स्कूल का संचालन पिछले छह सालों से पेड़ के नीचे होने लगा. हालांकि इस संबंध में स्थानीय विधायकों और पूर्व डीसी सूरज कुमार को पत्र लिखा गया था लेकिन, इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

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मात्र एक कुएं पर आश्रित हैं ग्रामीण: जिला परिषद अध्यक्ष और सदस्य ने देखा कि ओलोंगेर और बुरुऊर मुंडा गांवों के लोग पेयजल के लिए मात्र एक कुएं पर आश्रित हैं. आधा सावन बीत जाने के बाद भी इतनी बारिश नहीं हुई कि भूगर्भीय जलस्तर ऊपर आ सके. अब कुएं का जलस्तर भी नीचे चला गया है, जो दो गांवों के ग्रामीणों की चिंता बढ़ा रही है. ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं गांव पहुंचे जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखा.

जिला परिषद अध्यक्ष ने दिया आश्वासन: जिला परिषद अध्यक्ष ने गांव के लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि वे गांव में इस उद्देश्य से आए हैं कि गांवों की समस्याओं को सूचीबद्ध कर बारी-बारी से हर समस्या का सामाधान कर सकें. उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था के तहत लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराकर पलायन जैसी समस्याओं का सामाधान किया जाएगा.

गांव आने से डरते हैं अधिकारी: दरअसल, यह पंचायत वर्षों तक नक्सलवाद की चपेट में रहा और नक्सलवाद तो लगभग अब समाप्ति की ओर है लेकिन समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं. इन इलाकों की तस्वीरें शायद नक्सलवाद के खौफ के कारण नहीं बदली लेकिन, कभी सिस्टम ने भी यहां की तस्वीर बदलने की कोशिश नहीं की. जिला परिषद सदस्य ने बताया कि यहां कभी सिस्टम पहुंचा ही नहीं क्योंकि आज भी अधिकारी गांव आने से डरते हैं.

सिस्टम पर खड़े हो रहे हैं सवाल: नक्सल प्रभावित जिला के इस रनिया प्रखंड क्षेत्र की समस्या वाकई सिस्टम के उन सभी दावों पर सवाल खड़ा करता है कि जिले में विकास के कार्य हुए हैं, जबकि सच्चाई ये है कि कभी दूरस्थ इलाकों में सिस्टम पहुंचा ही नहीं वो तो जिप अध्यक्ष ओलोंगर गांव चले गए तो समस्या देख हैरान रह गए कि आखिर यहां के लोगों का क्या होगा? कौन इनकी फरियाद सुनेगा? बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा?

Last Updated : Jul 31, 2022, 3:47 PM IST
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